प्रेस क्लब लोगे, पेंशन लोगे और हमारी आरती नहीं उतारोगे, ये कैसे होगा? तुम्हें वो सब करना पड़ेगा, जो हम चाहेंगे
प्रेस क्लब लोगे, पेंशन लोगे और राज्य सरकार की आरती नहीं उतारोगे, ये कैसे होगा? तुम्हें वो सब करना पड़ेगा, जो हम चाहेंगे, और रही बात व्यवस्था की, वो हम करवा देंगे, स्पेशल बस या चारपहिया वाहन (जो हर प्रकार से सुसज्जित हो) से लेकर तुम्हारे ठहरने, खाने–पीने की व्यवस्था तक वो तुम्हारे लिये मुहैया करायेंगे, बस तुम्हें एक काम करना है, जब तक विधानसभा चुनाव संपन्न नहीं हो जाता, तुम्हें हमारी तथाकथित विकास गाथा गानी है, उसे अपने अखबार में जगह देनी है, उसे चैनल अथवा पोर्टल पर चलाना है, समझे।
लो फिलहाल ये शिवंगगा बस लो, समाहरणालय धनबाद के मुख्यालय में पंक्तिबद्ध होकर फोटो खिंचवाओं और मैथन में जाकर बोटिंग का आनन्द लो, और उसके बाद जो हमारे अधिकारी जिस गांव में ले जायेंगे, वहां जाना और सरकार के पक्ष में वो सब लिखना, जो वो लिखवायेंगे और हां फिलहाल ये विपक्ष क्या होता है? इस पर ध्यान मत दो, ध्यान देना है तो सिर्फ एक ही महामंत्र “रघुवर नाम केवलम्” पर ध्यान दो।
सचमुच राज्य की रघुवर सरकार और उनके अधिकारियों का दल महान है, तभी तो बीपीएल परिवार के 60 वर्ष से उपर के वृद्ध लोगों के लिए बनी मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना की तरह पत्रकारों के लिए भी लगता है एक योजना बना दी है। उसका नाम है – “पत्रकारों का जिला भ्रमण कार्यक्रम।”
झारखण्ड का अतिमहत्वपूर्ण जिला धनबाद। जहां की जिला सूचना एवं जनसम्पर्क ईकाई ने पत्रकारों का जिला भ्रमण कार्यक्रम के तहत बजाप्ता एक प्रथम श्रेणी की बस की व्यवस्था की और उसे समाहरणालय धनबाद से विदा किया, जिसमें बड़े ही प्रेम से, हृदय में सरकार के प्रति सच्ची निष्ठा रखते हुए धनबाद जिले के पत्रकार बस पर सवार हुए। बस के अंदर सेल्फी ली, मुस्कुराए ऐसे की जैसे किसी की बारात में शामिल हो रहे हो।
बस पर सवार पत्रकारों को देख, धनबाद के वरीय अधिकारियों के मुखमंडल पर भी प्रसन्नता दिखी। बस समाहरणालय से खुली और पहुंच गई, वहां जहां पत्रकारों को ले जाया जाना था। पत्रकार पहुंचे मैथन, और जमकर नौकायन का परम आनन्द लिया, हालांकि ये वह इलाका है, जहां ये पत्रकार आराम से जब चाहे, जा सकते हैं, पर सरकार द्वारा जब कुछ मुहैया कराया जाता है, तो उसका आनन्द कुछ और ही होता है।
सूत्र बताते है कि राज्य के अधिकारियों ने इन पत्रकारों की खुब आवभगत की। जमकर भोज–भात दिया। उनके परम आनन्द का ख्याल किया। रघुवर सरकार और उनके अधिकारियों द्वारा की गई व्यवस्था से पत्रकार गद्गगद् थे। इधर कुछ पत्रकारों ने विद्रोही24.कॉम को बताया कि उनका दल कल एगारकुंड प्रखण्ड भ्रमण करने के लिए निकला था। यह यात्रा का मुख्य उद्देश्य था, सरकार द्वारा विभिन्न प्रखण्डों में चल रही विकास कार्यों की सकारात्मक छवि से जनता को रु–ब–रु कराना, जनता को दिखाना था कि कैसे रघुवर शासन में धनबाद के विभिन्न पंचायतों में उत्कृष्ट कार्य हुए हैं।
इधर जिला कार्यालय द्वारा पत्रकारों के विशेष भ्रमण पर राजनीतिक पंडितों का कहना है कि पत्रकारों को इस प्रकार के कार्यक्रम से खुद को दूर रखना चाहिए, लेकिन जब राजधानी रांची के पत्रकारों का समूह सरकार द्वारा आयोजित विशेष यात्रा–भोज भात का आनन्द लेंगे तो आप फिर जिलों के पत्रकारों को कैसे रोक पायेंगे? आप ये क्यों नहीं समझते कि गंगा गोमुख से निकलती है, हावड़ा से नहीं। आप एक ही प्रकार के कार्यक्रम के लिए रांची को सही और धनबाद को गलत नहीं ठहरा सकते।
और जिसने भी इस प्रकार की हरकतों को हवा दी हैं, या इसमें शामिल है, दरअसल वे पत्रकारिता जगत के दुश्मन है। अगर सरकार ने अच्छा काम किया है, तो उसे खुब दिखाइये, पर सरकार द्वारा आयोजित व्यवस्था से दूरी बनाकर, ताकि लोगों को लगे कि आपने अपने काम में ईमानदारी बरती है, पर जिस प्रकार से इस नई संस्कृति का जन्म हुआ हैं, उससे राज्य का बंटाधार होना तय है।
क्या इन पत्रकारों को नहीं मालूम कि धनबाद की जनता आज भी बिजली, पानी और सड़क यानी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रही हैं? क्या धनबाद की जनता नहीं जानती कि जिले में अपराधिक गतिविधियों की क्या स्थिति हैं? क्या धनबाद की जनता नहीं जानती कि कैसे कट्टे के बल पर अपराधी चिकित्सा व्यवस्था को ठप करने में लगे हैं? कैसे एक दबंग सत्तारुढ़ दल का एक विधायक बीसीसीएल के कार्य में हस्तक्षेप कर रहा है? जरुरत हैं जनहित की पत्रकारिता करने की, पर आजकल तो सभी को रघुवर महामंत्र जपने की आदत पड़ गई हैं तो अब बोलना ही क्या है?