पीवी रामानुजम की आत्महत्या के कारणों का पता लगाने के लिए रांची प्रेस क्लब, पुलिस प्रशासन पर दबाव बनाएं
रांची पीटीआइ के ब्यूरो प्रमुख पीवी रामानुजम की आत्महत्या की वजहों को जानना हर पत्रकार के लिए जरुरी है, साथ ही आत्महत्या की वजहों को पता लगाना और जनता के समक्ष सही-सही रखना रांची पुलिस की नैतिक जिम्मेदारी भी बन जाती है, क्योंकि पत्रकार बुद्धिजीवी वर्ग में आता है, अगर कोई पत्रकार आत्महत्या कर रहा है, तो उसकी कुछ न कुछ वजह अवश्य होगी। बिना वजह के कोई जीवन से मुक्ति क्यों पाना चाहेगा?
अब तक राज्य में भूख से लड़ रहे किसान-मजदूर, परीक्षा में अनुतीर्ण हो चुके छात्र-छात्राओं अथवा प्रेम में असफल प्रेमी-प्रेमिकाओं की ही खबरें आती थी। अब पत्रकार भी इस श्रेणी में आ गये। यह स्थिति भयावह है, क्योंकि जब बुद्धिजीवी वर्ग ही आत्महत्या करने लगेगा, तो सामान्य लोगों को कौन रास्ता दिखायेगा।
लोग बता रहे है कि जिस दिन की घटना है, देर रात रामानुजम ने एक खबर भी लिखी थी, बाद में उन्होंने भोजन किया, फिर वे सोने चले गये, आदतन उन्होंने किताबे भी पढ़ी और फिर सुबह उनकी लाश पंखे से लटकी पड़ी मिली। परिवार के लोग उनके मौत के बारे में क्या कहते हैं? यह अलग विषय है, पर इसे आत्महत्या भी कहा जायेगा तो उस आत्महत्या के कारण जानने अवश्य होंगे।
एक पीटीआइ जैसे समाचार एजेंसी में ब्यूरो प्रमुख पद पर कार्यरत पत्रकार की कौई सैलरी कम नहीं होती, और न ही उन्हें कोई आर्थिक अभाव था, न तो उन्हें नौकरी पर कोई संकट मंडरा रहा था, जो लोग पीवी रामानुजम को जानते हैं, वे यह भी जानते है कि वे बिल्कुल शांत स्वभाव के थे। उनकी मौत की खबर सुनकर पूरा पत्रकार जगत मर्माहत है।
बिहार-झारखण्ड व देश के विभिन्न कोनों में रह रहे वे पत्रकार जिन्होंने पी वी रामानुजम के साथ काम किया है, वे सोशल साइट पर अपने-अपने फेसबुक के माध्यम से उनके प्रति संवेदना प्रकट कर रहे हैं, पर उन संवेदनाओं में भी यह बात उभर कर आ रही है कि आत्महत्या के कारणों का पता लगाया जाय, क्योंकि इसे सामान्य आत्महत्या की घटना माना जायेगा तो फिर कुछ निकल कर नहीं आयेगा और पुलिस अपना काम करना बंद कर देगी।
रांची प्रेस क्लब के धुरंधरों को चाहिए कि वे इस मुद्दे को लेकर स्थानीय प्रशासन के पास जाये और इस मुद्दे पर जांच का दबाव बनाये ताकि सही बात निकल सकें और फिर दुसरी ऐसी हृदयविदारक घटना न हो, सारे पत्रकारों को यह भी चाहिए कि समय-समय पर अपने साथियों के साथ उनके हाल-चाल लेने की कोशिश अवश्य करें, क्योंकि बहुत सारी ऐसी घटनाएं जीवन में एक साथ चल रही होती है, जो कभी-भी मन को विचलित कर सकती है, जिससे कोई व्यक्ति भी खतरनाक कदम उठा सकता है।
ऐसे में हमारा यह कर्तव्य बन जाता है कि समय-समय पर ऐसे भी कार्यक्रम आयोजित हो, जो गेट-टूगेदर के साथ-साथ सभी अपनी समस्याओं को भी अपने साथियों के साथ शेयर कर सकें, अगर ये होता है तो बहुत हद तक ऐसी घटनाओं पर काबू करने में हम सफल होंगे, नहीं तो ये शुरुआत आनेवाले समय में महंगी पड़ सकती हैं, क्योंकि हम नहीं चाहेंगे कि हमारे मित्र काल के गाल में इस प्रकार समा जाये।
अत्यंत दुःखद,
सत्यता स्पष्ट हो