राजनीति

अभिभावक मंच के सामने अब चट्टान की तरह खड़ी हो गई निजी स्कूलें, अभय मिश्रा ने कहा गलत के आगे नहीं झूकेंगे, कानूनी लड़ाई लड़ेंगे

झारखण्ड अभिभावक संघ और निजी स्कूलों के प्राचार्यों की टीम अब आमने-सामने हो गई है। निजी स्कूलों के प्राचार्यों का कहना है कि उपायुक्त द्वारा प्राइवेट स्कूल के खिलाफ आदेश जारी करना विद्यालय प्रबंधन एवं शिक्षकों पर गहरा आघात है। यह आदेश विद्यालय के मूलभूत आवश्यकताओं को छीनने का प्रयास है। वर्तमान  बदली हुई परिथिति में , उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद सरकार शुल्क के लिए दिशा निर्देश जारी नहीं कर सकती है। 

कोविड – 19 महामारी को देखते हए उचतम न्यायालय का निर्णय पूरे भारत वर्ष में लागू होता है। नये हालातों में इस संदर्भ में वे ज्ञापन सौपेंगे और उपायुक्त  के आदेश के खिलाफ कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाऍंगे। दूसरी ओर झारखण्ड अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अभय मिश्रा ने विद्रोही24 को बताया कि अभिभावक मंच ने जिस प्रकार से निजी स्कूलों और खासकर उन्हें टारगेट किया है, वे जल्द ही उनके खिलाफ कानून का सहारा लेंगे, तथा उन्हें बतायेंगे कि सच क्या होता है और झूठ क्या होता है?

उन्होंने कहा कि जिनके घर शीशे के होते हैं, उन्हें दूसरे के घरों में पत्थर नहीं मारने चाहिए। कोविड 19 की मार से प्राइवेट स्कूल के अस्तित्व पर भी संकट उत्पन्न हो गया है, ऐसे में बेवजह की अभिभावक मंच की ये दादागिरी बर्दाश्त के बाहर है। उन्होंने कहा कि वे जल्द ही इस विषय पर कानून का सहारा लेंगे, क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने पहले ही इन सारी मुद्दों पर बाते क्लियर कर दी हैं, ऐसे में फिर से इस मुद्दे को उघारना एक सोची- समझी चालबाजी के सिवा और कुछ नहीं।

इधर झारखण्ड अभिभावक संघ की वर्चुअल बैठक जूम के माध्यम से अध्यक्ष अजय राय की अध्यक्षता में हुई जिसमे राज्य के लगभग सभी जिलों के अभिभावक प्रतिनिधि शामिल हुए। बैठक में इन्होंने निम्न निर्णय लिए –  

  1. रांची जिला की तरह हर जिला में प्राइवेट स्कूलों को लेकर शुल्क निर्धारण कमेटी का गठन सुनिश्चित किया गया।
  2. 28 जून से जिला अभिभावक संघ की ओर से हर जिला में स्कूल शुल्क निर्धारण कमेटी के गठन को लेकर उपायुक्त को ज्ञापन सौपने की बात कही गई।
  3. रांची उपायुक्त के द्वारा बनाये गए शुल्क निर्धारण कमेटी व जांच कमेटी के विरोध करने वाले अनएडेड स्कूल एसोसिएसन के द्वारा दिए गए बयान की निन्दा की गई है, इसके अध्यक्ष अभय मिश्रा पर गंभीर आरोप लगाये गये, कहा गया कि – वे खुद एक स्कूल को अवैध तरीके से कब्ज़ा कर बैठे है, और उनके ऊपर पूर्व से कई गंभीर आरोप लगे हुए है। 
  4. निर्णय लिया गया कि रांची उपायुक्त द्वारा अलग अलग जोन के लिए बनाई गई जांच कमेटी को स्कूलों द्वारा लिये जा रहे विभिन्न मदों के शुल्क के सम्बन्ध में पूरी जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। 
  5. कोई भी अभिभावक, वर्तमान सत्र 2021-22 में टयूशन फ़ीस के अलावा कोई दूसरा शुल्क नहीं देंगे।
  6. ऑनलाइन क्लास से वंचित छात्रों की सूची अभिभावक संघ की ओर से जाँच कमेटी को उपलब्ध कराई जाएगी।
  7. जांच को लेकर बनाई गई रांची जिला के नियंत्रण कक्ष में अभिभावक सीधी अपनी शिकायत दर्ज करा सके, इसको लेकर डीएसई रांची से सोमवार को बात की जाएगी।

इधर अभिभावक मंच के इस बैठक के बाद विद्रोही24 से बातचीत में अभय मिश्रा ने कहा कि उनका विद्यालय सस्ता विद्यालय कहां जा सकता है, क्योंकि शुल्क की वृद्धि पिछले पांच वर्षों से नहीं हुई थी। इस बार शुल्क वृद्धि हुई थी मतलब पांच वर्षों के बाद, वह भी मात्र 07%। उनके यहां सिर्फ तीन शुल्क लिए जाते हैं। 1250 रुपये शिक्षण शुल्क, 50 रुपये स्कूल मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर, 150 रुपये कंप्यूटर के अतिरिक्त, पूरे वर्ष में सिर्फ  साढे ₹4500 बिल्डिंग मेंटेनेंस, जिस में समाहित है बिजली बिल, टेलीफोन बिल, भवन का शुल्क, इंटरनेट का खर्च, भवन का मरम्मत, बेंच व अन्य टैक्स आदि।

इसके अतिरिक्त उनके विद्यालय में किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता। उनके कार्यकाल के पूर्व पुस्तकों के दाम 5000 से 7000 रुपये थे, उन्होंने उसे 250 से लेकर 2000 रुपये तक कर दिया, मतलब नर्सरी में 250 और 12वीं में 2000 रुपये जिसका पूर्व में दाम 5000 से 7000 रुपये हुआ करता था। जब सभी प्रकार की अवैध कमाई रुक गई तो उनके कुछ सदस्य उनके ऊपर झूठा मुकदमा दायर कर दिये है।

कुछ राजनीतिक दलों के लोग स्कूल को कब्जा करना चाहते हैं और बारंबार झूठा मुकदमा करके जीतना चाहते हैं। 21 तारीख को उनके विद्यालय आये लोगों के कारण और प्रधानाचार्य को दिन भर जो इससे बेवजह दबाव झेलना पड़ा, परेशानी उठानी पड़ी, उससे उनके विद्यालय की प्रधानाचार्य बीमार हो गई। दो दिनों की छुट्टी में चली गई जिसके चलते विद्यार्थियों का अंकेक्षण 12वीं का एवं यू डायस का काम पूर्ण नहीं हो पाया। इस आशय का पत्र मुख्य सचिव डीजीपी, एसपी रांची सभी को लिख डाला कि इस तरह के मानसिक दबाव में हम लोग काम नहीं करेंगे।

उन्होंने भी अपने पत्र में सभी को इस आशय का पत्र लिख दिया, इस प्रकार का दबाव अभिभावक संघ बनाता रहता है, पूरे विद्यालय में घूम घूम कर नामांकन, फलाना-ढिकाना का दबाव इनका करना काम हो गया है। उसके बाद राम प्रकाश तिवारी ने मनोज मिश्रा के ऊपर मुकदमा का एक आवेदन दे दिया।

आज गुस्सा होकर अजय राय ने उनके ऊपर मिथ्या आरोप लगाया है कि मेरे ऊपर मुकदमे चल रहे हैं। यह बिल्कुल सच है। सिर्फ एक झूठा मुकदमा चल रहा है, इसमें कोई साक्ष्य नहीं मिलने के चलते 2017 से कुछ नहीं हो पा रहा है, झूठे मुकदमे का हश्र छोटा ही होता है। कुल मिलाकर उनके गैरकानूनी कार्यो को जो अभय मिश्रा ने रोक दिया।

विगत पांच वर्षों से यह लोग सभी विद्यालय पर घूमते हैं, दबाव डालते हैं, झूठा आरोप लगाते हैं, लुटेरा बोलते हैं, चोर बोलते हैं, और ये सब इसलिए बोलते है क्योंकि पहली बार किसी विद्यालय से इन लोगों को जवाब मिला है। पहली बार इन लोगों को इस शहर में पांच साल के बाद जवाब मिला कि आप लोगों का कृत्य गलत है, गैरकानूनी है, हमारे विद्यालय में किसी प्रकार की गलत कार्य नहीं होती। इस तरह की धमकियां आप दूसरे जगह जा कर दें।

अभय मिश्रा के कथनानुसार तुरंत और त्वरित कार्रवाई से इन लोगों का दुकान बंद होने लगा सच जनता को पता चल गया कि यह लोग हमारा भला नहीं करते, अभिभावकों को आगे रखकर अपने बच्चों का नामांकन करवाते हैं, बीपीएल में पैसा खाते हैं, यहां तक कि इन लोगों के बच्चे मुफ्त में भी पढ़ते हैं।

स्कूल कब्जा करने का अवैध धंधा उन्होंने नहीं कर के रखा है अवैध हमारे विपक्षी लोग हैं जो उन्हें अवैध रूप से येन-केन प्रकारेण हटाना चाहते हैं। उन्हें तो न्यायालय ने खाता संचालन करने का आदेश पारित कर रखा है। इतने ही यह दिक्कत में है तो जाकर न्यायालय में जाएं। इतना तो हमारे विद्यालय के जो सदस्य हैं इनको यह बोलने का अधिकार ही नहीं है। जो लोग गलत हैं, या गलत कर रहे हैं, समझ ले, सभी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

अभय मिश्रा ने कहा कि उन्हें और सभी निजी विद्यालय को रोजाना चोर, लुटेरा, डकैत, महा लुच्चा बोलने वाले लोगों के बारे मे पहली बार उन्होंने सच बोला है और बोलते रहेंगे। अपने शिक्षकों, शिक्षकेतर कर्मचारी, ड्राइवर खलासी जो भूखे मर रहे हैं, उनके लिए पहली बार कानून बताना, अभिभावक मंच को ठीक नहीं लग रहा, वे अपनी नेतागिरी के लिए शिक्षण व्यवस्था का नाश कर रहे हैं। अभय मिश्रा के अनुसार, अभिभावक मंच क्या करता है?

  1. अपने लिए कार्य करता है।
  2. गैरकानूनी मजमा बनाता है, प्रधानाचार्यों-शिक्षकों पर दबाव बनाता है।

  3. जब उनके बारे में सच कह दिया जाय तो दूसरे को इनके द्वारा चोर, लुच्चा, लफंगा, अवैध कब्जा धारी बताया जाने लगता है।

चूंकि सच कड़वा होता है। सुबह से रात तक गाली देने वालों के बारे में सच बोल दिया तो तीखा लग गया। ये कभी नामी गिरामी में छापा नहीं मारते। ये कभी नामी-गिरामी कॉन्वेन्ट विद्यालयों पर छापा नहीं मारते। अभिभावक संघ के पदाधिकारी के बच्चे नामी-गिरामी विद्यालय में कॉनवेन्ट में कैसे पढ़ते हैं? वे कॉन्वेन्ट स्कूलों से क्यों नहीं पूछते कि आप अपने  यहां शुल्क कैसे बढ़ा लिये? जहां महंगा शुल्क हैं, दरअसल वे वहां ये जाते ही नहीं। दरअसल में ये लोग बेईमान है, अभिभावकों को मूर्ख बना कर अपना उल्लू सीधा करते हैं।

बेहाल शिक्षकों के लिए उपायुक्त का निर्णय असंवैधानिक एवं आदेश के खिलाफ आपात बैठक

कोरोना काल शिक्षकों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा। संक्रमण काल में शिक्षक आधी सैलरी पर भी पूरे मन से काम करते हैं। पूरे दिन होमवर्क चेक करने से लेकर स्टडी मटीरियल बनाने और ऑनलाइन क्लास पर काम करते हैं। इसके बाद भी कई अभिभावकों की फीस न देने के कारण स्कूल की स्थिति डाँवाडोल हो गई है । कई माह से वेतन न मिलने एवं  कुछ शिक्षकों की असामयिक मृत्यु से शिक्षक-परिवार भूखमरी से जूझ रहा है।

ऐसे संक्रमण काल में रांची के उपायुक्त के निजी स्कूलों के फीस एवं अन्य शुल्कों से संबंधित  लिए गए निर्णय शिक्षण-कार्य एवं विद्यालय की कार्य प्रणाली के अस्तित्व को मिटा सकती है। यह भी हो सकता है कि शिक्षण संस्थान बंद करने पड़े। सरकार और अभिभावकों को ये समझने की ज़रूरत है कि केवल ट्यूशन फीस से स्कूल के खर्चे नहीं चलते हैं।

शिक्षक तथा शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के वेतन के अतिरिक्त बिलिंग तथा बसों के लोन के ई. एम.आई, बिल्डिंग मेंटेनेंस कॉस्ट, बिल्डिंग टैक्स, इलेक्ट्रिक बिल, टेलीफोन बिल, कंप्यूटर मेंटेनेंस, स्मार्ट बोर्ड का ई.एम.आई, बसों के टैक्स, फिटनेस, परमिट, इन्सुरेंस के खर्चे, खेल मैदान के मेंटेनेंस  तथा अन्य खर्चे कहाँ से मेंटेनेंस होंगे? वहीं खलासी, बस-चालक, माली, चपरासी, लिपिक, दरबान आदि को भी कैसे वेतन दिया जाय?

अभिभावक संघ का विद्यालय संगठन के विरुद्ध खड़े होना आग में घी का काम रहा

निजी विद्यालय की इन समस्याओं से प्रभावित आज दिनांक 27 जून को  प्रातः दस बजे सहोदया समूह के प्राचार्यों की मीटिंग आहूत की गयी,  जिसमें लगभग राँची के प्रतिष्ठित विद्यालयों के लगभग 40 प्रिंसिपलों ने भाग लिया। शिक्षा जगत के लोग उपायुक्त के आदेश से आहत हुए हैं, दिनांक 25-06-2021 को  उपायुक्त द्वारा दिए गए आदेश को उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर करार कर दिया है। कोविड – 19 महामारी के प्रभाव के कारण जून 2020 में जारी आदेश के अनुसार यह मामला अभी भी विचाराधीन है।

इस परिस्थिति में उपायुक्त द्वारा प्राइवेट स्कूल के खिलाफ आदेश जारी करना विद्यालय प्रबंधन एवं शिक्षकों पर गहरा आघात है। यह आदेश विद्यालय के मूलभूत आवश्यकताओं को छीनने का प्रयास है। वर्तमान  बदली हुई परिथिति में , उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद सरकार शुल्क के लिए दिशा निर्देश जारी नहीं कर सकती है। कोविड – 19 महामारी को देखते हए उचतम न्यायालय का निर्णय पूरे भारत वर्ष में लागू होता है। सहोदया मीटिंग में सभी प्राचार्यों ने एक मत होकर निर्णय लिया है कि वे सरकार को इस संदर्भ में ज्ञापन सौपेंगे और उपायुक्त के आदेश के खिलाफ कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाऍंगे।