जीवन में समस्याएं परीक्षाओं की तरह हैं, इससे मुक्ति पाने का सरल उपाय गुरु के प्रति शरणागत हो जाइये – निर्मलानन्द
मेरे प्यारे बच्चों,
हमेशा की तरह आज भी मैं रांची के योगदा सत्संग मठ गया था। चूंकि तुम जानते हो कि यहां हर रविवार को सत्संग होता है और इस सत्संग में, मैं रांची में रहकर शामिल नहीं रहूं, ये हो ही नहीं सकता। यह ऐसा स्थल है कि जो भी व्यक्ति एक बार पहुंच जायेगा, वो यही का होकर रह जायेगा, क्योंकि परमहंस योगानन्द जी के इस स्थल में ऐसी चुम्बकीय शक्ति हैं, कि व्यक्ति यहीं का होकर रह जाता हैं और उसकी जिंदगी तीव्र गति से संवरने लगती हैं। यह तो ईश्वरीय कृपा है कि मैं भी इससे जुड़ा हूं।
अब चलो, आज की बात बताता हूं। हमेशा की तरह प्रार्थना व ध्यान के बाद योगदा सत्संग मठ के ध्यान केन्द्र में सत्संग प्रारंभ हुआ। आज के इस सत्संग को संबोधित कर रहे थे, योगदा सत्संग मठ के ही ब्रह्मचारी निर्मलानन्द। मैं इन्हें पहली बार यहां देख रहा था। आज का प्रसंग भी रोचक था, इसलिए मैं तुमसे शेयर करना ज्यादा जरुरी समझता हूं। आशा हैं, इसे ध्यान से पढ़ोंगे, तो तुम्हें भी आनन्द आयेगा और तुम बेहतर दिशा की ओर बढ़ सकते हो।
ब्रह्मचारी निर्मलानन्द वहीं कह रहे थे, जो परमहंस योगानन्द कई बार कह चुके हैं, जो परमहंस योगानन्द जी की योगी कथामृत पुस्तक कहती रहती है, पर चूंकि अभ्यास अनवरत न हो, तो लोग भूल जाते हैं, इसलिए अभ्यास निरन्तर जरुरी है, योगदा सत्संग मठ भी निरन्तर जाना जरुरी है, ताकि अभ्यास छूटे नहीं और जीवन हमेशा की तरह संवरता रहे और हम ईश्वरीय मार्ग से भटके नहीं।
ब्रह्मचारी निर्मलानन्द कह रहे थे, कि जीवन है, तो याद रखों समस्याएं रहेंगी। ये समस्याएं अनवरत् चलती रहेंगी, ये जीवन की परीक्षाओं की तरह हैं। एक समाप्त होंगी तो दूसरी आ खड़ी होंगी, ये हमारी बेहतरी के लिए होती हैं, इससे घबराना नहीं चाहिए, अगर कोई ये सोच लें कि उसके जिंदगी में कोई समस्याएं नहीं रहेंगी या नहीं आयेंगी तो उसका जीवन नीरस हो जायेगा।
प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में समस्याएं भी अलग-अलग प्रकार की होती हैं, सभी की समस्याएं एक जैसी नहीं होती, पर इतना तय है कि जो उन समस्याओं से लड़ता हैं, वो विजय पाता हैं और जो नहीं लड़ पाता, उस पर समस्याएं विजय पा लेती हैं, फिर उस व्यक्ति के जीवन का कोई अर्थ नहीं रह पाता।
ब्रह्मचारी निर्मलानन्द बता रहे थे, कि जीवन में आनेवाली समस्याओं पर काबू पाना बहुत ही आसान है, क्योंकि प्रत्येक जीव के अंदर एक ऐसी शक्ति विद्यमान रहती हैं, जो उन समस्याओं से लड़ने के लिए युद्धरत रहती हैं, वो सर्वदा उन समस्याओं पर विजय प्राप्त करती हैं, जरुरत उस शक्ति को देखने व पहचानने की है।
लेकिन उस शक्ति की दिव्य क्षमता को आप तभी परख सकते हैं तथा उसके द्वारा आप आनेवाली समस्याओं पर तभी विजय प्राप्त कर सकते हैं, जब आपके पास परमहंस योगानन्द जैसे महान गुरुओं का साथ हो, तथा उन गुरु पर गहरा विश्वास हो, उनके आगे आप शरणागत हो और अगर ऐसा नहीं हैं तो फिर आप सफल नहीं हो सकते।
ब्रह्मचारी निर्मलानन्द का कहना था कि गुरु के उपर गहरा विश्वास, उनके आगे नतमस्तक अथवा शरणागत् होना, आपके अंदर एक ऐसी ऊर्जा व क्षमता का दिव्य प्रकाश भर देता है कि आप अपनी जिंदगी में आनेवाली विभिन्न प्रकार की समस्याओं पर विजय प्राप्त करते हुए अपनी आध्यात्मिक शक्तियों के साथ स्वयं को ईश्वरीय मार्ग की ओर चल पड़ते हैं। उन्होंने इसी दौरान ध्यान केन्द्र में उपस्थित सभी भक्तों से दिव्य प्रार्थनाएं भी कराई, जो अद्भुत थी, चूंकि मेरी अंग्रेजी ठीक नहीं हैं, मैं बोल व समझ नहीं पा रहा था, पर इतना तो हमें भान जरुर हो गया कि मेरे अंदर भी वो चीजें प्रवेश कर रही हैं।
चूंकि तुम यहां नहीं हो, फिर भी इस आलेख से अनुभव करों और समझने की कोशिश करों कि क्या समस्याएँ हमारे जीवन के लिए बाधक हैं, उत्तर होगा – एकदम नहीं। इन समस्याओं पर विजय कैसे प्राप्त करेंगे, उत्तर होगा – जब गुरु हमारे पास हैं तो फिर सोचना कैसा कि समस्याएं रहेंगी, गुरु सारी समस्याओं को खुद देख लेंगे, मुझे क्या सोचना।
शायद यही कारण है कि मेरे जीवन में भी कई बाधाएं आई, समस्याएं आई, सभी पर एक-एक कर विजय प्राप्त कर रहा हूं, तुम्हारे साथ भी ऐसा होगा। घबराना नहीं। हंसते रहो। जय गुरु बोलते रहो। मुस्कुराते रहो। समस्याओं से मुक्त हो जाओ। किसी भी परिस्थितियों में परमहंस योगानन्द जी को मत भूलना।
तुम्हारा पिता
कृष्ण बिहारी मिश्र