झारखण्ड पर सर्वेक्षण, फायदा लेना था CM रघुवर को और फायदा ले गये हेमन्त
22 सितम्बर को एक न्यूज एंजेंसी व वीएमआर द्वारा झारखण्ड में एक राजनीतिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट रांची से प्रकाशित रघुवर भक्त अखबारों में छपी। यह वह दिन था, जब रघुवर दास की सरकार अपना 1000वां दिन मना रही थी। इस सर्वे रिपोर्ट में रघुवर दास की आरती उतारी गई थी। उन्हें झारखण्ड हृदय सम्राट की तरह पेश किया गया था। रिपोर्ट से साफ लग रहा था कि यह सरकार की आरती उतारने के लिए बनाई गयी है, क्योंकि जो झारखण्ड की राजनीति और यहां की जनता की मनोस्थिति को जानते है, वे ये कतई मानने को तैयार नहीं होंगे कि भाजपा सरकार की यहां वापसी की कोई उम्मीद भी है।
यह रिपोर्ट जैसे ही रांची के एक अतिप्रिय रघुवर भक्त अखबार में छपी। सीएम रघुवर दास के कट्टर विरोधियों ने उसी अखबार के उक्त पृष्ठ को ऐसा पोस्टमार्टम करके आम जनता में वायरल कर दिया कि प्रथम दृष्टया देखने में यहीं लगता है कि यहीं सर्वेक्षण ही सही हैं और लोग सही मायनों में इसे ही सही मानने लगे हैं। पूर्व के सर्वेक्षण में जहां रघुवर दास को झारखण्ड हृदय सम्राट की तरह पेश किया गया था, यहां हेमन्त सोरेन को पेश किया गया।
आखिर क्या अंतर है, दोनों में –
एक में भाजपा को 65 सीटें दी गई है, तो दूसरे में भाजपा को 12 सीटे दी गई है। एक में हेडिंग हैं – झारखण्ड में भाजपा अन्य दलों से आगे, तो दूसरे में हेडिंग हैं झारखण्ड में भाजपा अन्य दलों से पीछे। एक में रघुवर दास को महिमामंडित किया गया है। तो दूसरे में हेमन्त सोरेन को महिमामंडित किया गया है। एक में भाजपा की स्तुति गाई गई है तो दूसरे में भाजपा की पराजय तय को बहुत ही कलाकारी से प्रस्तुत किया गया है। आप इस कलाकारी से समझ सकते है कि भाजपा और सीएम रघुवर दास के हर कारगुजारियों पर विरोधियों की नजर है और वे अब कमर कस चुके है कि वे भाजपा और सीएम रघुवर दास को उन्हीं की कलाबाजी से जवाब देंगे और जीतेंगे भी।
स्थिति ऐसी है कि भाजपा के विरोधियों ने जो इस खबर का पोस्टमार्टम कर पोस्ट वायरल किया है, उससे झामुमो को बहुत बड़ा माइलेज मिल रहा है। जो राज्य की बहुतायत जनता राज्य सरकार के क्रियाकलापों से असंतुष्ट है, वे इस खबर पर बहुत रुचि ले रही हैं, इनमें युवाओं की संख्या सर्वाधिक है। भाजपा के अधिकांश कार्यकर्ता तो ऐसे ही सीएम रघुवर दास से नाराज चल रहे हैं। हां, सीएम रघुवर दास के भक्त, भाजपाविरोधियों के जवाब से परेशान है। उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि वे अपने विरोधियों का जवाब कैसे दें? पर इतना तय है कि आनेवाले समय में जिस प्रकार से राज्य सरकार अपने प्रचार पर अंधाधुंध खर्च कर रही हैं, इनके विरोधी बिना किसी खर्च के ही भाजपा को जवाब देने के मूड में हैं, जैसा कि लिट्टीपाड़ा में हुआ, यानी भाजपा से सब कुछ प्राप्त करों, पर जब वोट देने की बात आये तो भाजपा की विरोध करनेवाली पार्टियों को अपना वोट दे दो।