पं. नेहरु से इतनी नफरत क्यों, जनाब? सिर्फ इसलिए कि उनके नाम स्मरण कर लेने से…
देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. नेहरु से इतनी नफरत क्यों, जनाब? सिर्फ इसलिए कि उनके नाम स्मरण कर लेने से भाजपा के वोट बैंक के प्रभावित होने का खतरा बढ़ जाता है। आखिर राजनीति में एक दूसरे को दुश्मन मान लेने का प्रचलन, आपको नहीं लगता कि आनेवाले समय में भाजपा के लिए भी यहीं खतरा उत्पन्न करेगा, जबकि भारतीय संस्कृति में कहा गया है कि मरणोपरांत अगर आपका कोई शत्रु भी हैं, तो उसके प्रति भाव बदल देना चाहिए।
कमाल है, कांग्रेस के सरदार वल्लभ भाई पटेल, उनसे नफरत नहीं, उनके लिए तो आपने विश्व की ऊंची प्रतिमा बनवा दी, पर पं. जवाहर लाल नेहरु और उनके परिवार का नाम आते ही आपकी और आपके लोगों की भावनाएं ही बदल जाती है, जबकि पूरा देश पं. जवाहर लाल नेहरु के जन्मदिवस को ‘बाल दिवस’ के रुप में मनाता रहा है, आपने तो उस दिन बच्चों तक को याद नहीं किया, आखिर आप हैं क्या? पं. नेहरु से इतनी जलन, इतनी ईर्ष्या, इतनी शत्रुता तो आपको ही मिटा कर रख देगी, क्योंकि कबीर ने तो साफ कहा है कि ‘बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मीलिया कोय, जो दिल खोजा आपना मुझ सा बुरा न कोय।’
झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास को देखिये, इनका सोशल साइट देखिये। ये अपने फेसबुक पेज पर दस नवम्बर को भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे के जन्म दिन पर उन्हें शुभकामनाएं दे रहे हैं। 11 नवम्बर को कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता रह चुके मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती को याद करते है। 11 नवम्बर को ही नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो को उनके जन्मदिन पर शुभकामनाएं दे रहे हैं। 11 नवम्बर को ही केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर को उनके जन्मदिन पर शुभकामनाएं दे रहे हैं। 12 नवम्बर को पं. मदन मोहन मालवीय को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धाजंलि दे रहे हैं। 15 नवम्बर को भगवान बिरसा मुंडा को उनके जन्मदिन पर श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे हैं, पर इसी बीच बच्चों में आज भी प्रिय ‘चाचा नेहरु’ के नाम से विख्यात देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरु को उनके जन्मदिन पर श्रद्धा सुमन अर्पित करना भूल जाते हैं, बच्चों के दिन ‘बाल दिवस’ के अवसर पर बच्चों को शुभकामनाएं तक नहीं देते।
आखिर ये सब क्या बताता है? क्या ये निकृष्टतम सोच को प्रदर्शित नहीं करता? क्या आनेवाले समय में झारखण्ड में जब भाजपा का सूर्य अस्त होगा या केन्द्र में भाजपा का सूर्य अस्त होगा और भाजपा से शत्रुता रखनेवाले लोगों का समूह इसी प्रकार की, उनके नेताओं के साथ हरकत करेगा तो भाजपा के लोग ऐसा स्वीकार करने को तैयार है, अगर कोई ये कहता है कि इसकी शुरुआत कांग्रेसियों ने की तो फिर आप भी ये स्वीकार करते हैं न, कि उसका अनुपालन आपने भी किया? यानी आप भी कांग्रेस के गलत कार्यों का अनुसरण करने में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं। ऐसे में आपमें और कांग्रेस में भी कोई अंतर नहीं, इसलिए आप अपनी राजनीति के डिक्शनरी से शुचिता शब्द ही हटा दीजिये, क्योंकि सर्वाधिक शुचिता शब्द का प्रयोग आपने ही किया है।