रांची से प्रकाशित कुछ अखबारों के खिलाफ हिंदपीढ़ी में भड़का जनाक्रोश, अखबार जलाकर लोगों ने किया अपने गुस्से को प्रकट
रांची के मुस्लिम बहुल इलाके हिंदपीढ़ी में लोग गुस्से में हैं, यह गुस्सा उन्होंने कल अखबारों पर उतारा और कुछ अखबारों की प्रतियां भी जलाई, इनका कहना था कि इन अखबारों ने हिंदपीढ़ी के सम्मान के साथ खेलने का काम किया है। झूठी समाचारों को प्रकाशित कर एक तरह से हिंदपीढ़ी को बदनाम करने का प्रयास किया, जो शर्मनाक है।
इन लोगों का सर्वाधिक गुस्सा प्रभात खबर, दैनिक जागरण व दैनिक भास्कर पर था, इनका कहना था कि ये सारे अखबारों ने जिस प्रकार से कुछ समाचारों को अतिरंजित कर प्रकाशित किया, वह हिंदपीढ़ी में रहनेवाले लोगों पर एक कलंक लगा दिया, इससे सामाजिक ढांचा प्रभावित हो गई। कल देर रात जो अखबारों को जलाने का कार्यक्रम चला, वो आज भी जारी है, लेकिन लोगों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा।
इसी बीच अंजुमन इस्लामिया के सदर इबरार अहमद ने एक मीडियाकर्मी से बातचीत में कहा है कि कल की अखबारों को देखकर उन्हें बहुत ही निराशा हुई है, खासकर प्रभात खबर जैसे अखबार, जो कहता है कि अखबार नहीं आंदोलन, उससे ज्यादा वे खफा हैं, क्योंकि उस अखबार को आगे बढ़ाने में हम जैसे लोगों की कम भूमिका नहीं रही, पर पता नहींं, आज क्या हो गया?
इबरार अहमद ने यह भी कहा कि कल जो भी समाचार हिंदपीढ़ी से संबंधित छपी है, उसका सच्चाई से कोई वास्ता नहीं, सारी खबरें झूठी हैं और इन खबरों से सामाजिक ढांचा प्रभावित हुआ है, जिसकी जितनी आलोचना की जाय कम है। रांची से प्रकाशित अखबारों को ऐसी खबरों को छापने में सावधानी बरतनी चाहिए।
इधर समाज सेवी नदीम खान ने भी कल रांची के अखबारों में प्रकाशित खबरों पर दुख प्रकट करते हुए कहा कि अगर ऐसी खबरें छपेंगी तो निश्चय ही सामाजिक विद्वेष फैलेगा, अखबार का काम सामाजिक सद्भाव बढ़ाना, लोगों को जागरुक करना है, न कि झूठी खबरों को प्राथमिकता देकर, सामाजिक विद्वेष फैलाना, जैसा कि कल देखने को मिला।
उनका कहना था कि अगर हिंदपीढ़ी के युवा अपना गुस्सा अखबारों की प्रतियां जलाकर कर रहे हैं, तो उसे गलत भी नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि उनके पास विरोध का विकल्प क्या है? शांतिपूर्वक अपने गुस्से को प्रकट कर, उन्होंने अपने विचार एक तरह से उन अखबारों तक पहुंचा दिया। इधर कल सोशल साइट पर हिन्दपीढ़ी के बुद्धिजीवियों द्वारा सोशल साइट के माध्यम से जिला प्रशासन और अखबारों से पूछे गये सवाल का असर आज देखने को मिला, आज अतिरंजित खबरें, अखबारों में न के बराबर थी।