CM से सवाल, जब उपायुक्त और एसपी ही सुरक्षा मानकों की धज्जियां उड़ाएं तब आम आदमी क्या करें?
याद करिये दिसम्बर 2013 रांची की घटना, रांची के बड़ा तालाब में एक घटना घटी थी, जिसमें बोटिंग के दौरान तत्कालीन मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती दुर्घटना का शिकार होते-होते बचे थे, जिसमें तीन लोगों की जानें चली गई थी, वह भी इसलिए कि यहां सुरक्षा मानकों का ध्यान नहीं रखा गया था।
इस घटना के बाद ऐसा लगा कि राज्य के अधिकारी सबक लेंगे तथा नौका विहार करने के दौरान सुरक्षा-मानकों का पालन करेंगे, पर झारखण्ड में ऐसा दिखता नहीं, हाल ही में चार दिन पूर्व जामताड़ा के लाधना डैम में वहां के उपायुक्त और एसपी ने सुरक्षा मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए, नौका विहार का आनन्द लिया, अब सवाल फिर उठता है कि अगर इसी दौरान कुछ घटना घट जाती तो इसका जिम्मेवार कौन होता?
सवाल नंबर दो, जब जिनके हाथों में सुरक्षा मानकों को जमीन पर उतारने का जिम्मा सौंपा गया हैं, वे ही जब इन सुरक्षा-मानकों की धज्जियां उड़ायेंगे? तो आप सामान्य जन से क्या उम्मीद लगा सकते हैं? यह प्रश्न इसलिए उठाया जा रहा है कि सच्चाई यहीं है कि जहां का आप दृश्य देख रहे हैं, वह जामताडा का लाधना डैम है, जहां जामताड़ा के एसपी और उपायुक्त बिना लाइफ जैकेट के नौका विहार का आनन्द ले रहे हैं, वह भी तब जबकि वहां रेस्क्यू की कोई व्यवस्था ही नहीं हैं।
लोग बताते है कि लाधना एक पिकनिक स्पॉट है, पर यहां को बोटिंग का कोई नियम ही नहीं हैं, यहां ढूंढने से एक रेस्क्यू टीम भी नहीं मिलेगा, गोताखोर नहीं मिलेगा, लाइफ जैकेट नहीं मिलेगा, यहां तक कि हवा भरा हुआ ट्यूब भी आप खोज ले, वो भी नहीं मिलेगा, अब सवाल फिर उठता है कि जब जान बचाने के लिए कोई संसाधन वहां मौजूद ही न हो, तो लोग नौका विहार का आनन्द कैसे ले? और बिना इन सारी व्यवस्थाओं के जामताड़ा के एसपी और उपायुक्त ने नौका विहार का आनन्द कैसे ले लिया?
सूत्र बताते है कि गत शुक्रवार को लाधना पिकनिक स्पॉट पर ही उपायुक्त ने चुनाव संबंधी बैठक रखी थी, जिसमें जिले के सभी प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे, इधर बैठक हुई और उधर इन सभी ने सुरक्षा मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए नौका विहार का आनन्द लिया, अगर ऐसे में कुछ अनहोनी हो जाती तो इसके लिए जिम्मेवार कौन होता, क्या सीएम रघुवर दास आम जनता को बतायेंगे?
हम ही है कोतवाल,
हमे डर काहे का..