दुष्कर्म और बच्चों के बेचने जैसे गंभीर आरोपों से मिशनरियों पर उठे सवाल
गोड्डा का राजाभिट्ठा थाना के धमनी गांव में चमन हांसदा ने अगिया मोड़ चर्च के पूर्व फादर पर अपनी बेटी का धर्मांतरण कराने व पत्नी के साथ अवैध संबंध रखने का आरोप लगाते हुए पुलिस अधीक्षक को आवेदन के माध्यम से फरियाद लगाया। चमन ने पुलिस अधीक्षक से गुहार लगाया कि उसकी पत्नी के साथ नाजायज संबंध बनाने व यौन शोषण की प्राथमिकी उक्त फादर के खिलाफ दर्ज की जाय। चमन का कहना था कि उसका विवाह क्लाइमेंट बेसरा ने ही वर्ष 2005 में चर्च की ही अनिता सोरेन से कराया, इसके बाद से उनके घर में चर्च के फादर का आना-जाना लगा रहा, शादी के बाद भी क्लाइमेंट बेसरा ने उसकी पत्नी का लगातार यौन शोषण करता रहा।
जब चमन ने इस अनैतिक कार्य का विरोध किया तब फादर के ही एक आदमी अनिल बारसा मरांडी ने उसे जान से मारने की धमकी दी, एक बार मारने का प्रयास भी किया, जिसके बाद से वह भयभीत हैं। अगर एसपी गोड्डा की माने तो उनके अनुसार पूरा मामला गंभीर है, प्राथमिकी दर्ज कर जल्द ही पूरे प्रकरण की जांच की जायेगी, साथ ही कानूनसम्मत कार्रवाई होगी।
दूसरी घटना, 19 जून को कोचांग में पांच महिला के साथ दुष्कर्म का मामला है, जहां एक फादर अल्फोंस ने पांच महिला का अपहरण कर रहे दुष्कर्मियों से दो ननों को तो बचा लिया, पर उन पांच महिला को बचाने की कोशिश नहीं की, उलटे इन महिलाओं के साथ हुए दुष्कर्म की घटना की जानकारी स्थानीय पुलिस को भी नहीं दी और मामले को छुपाने का प्रयास किया, ज्यादातर ऐसे मामलों में एक सामान्य व्यक्ति भी दुष्कर्मियों से महिलाओं को बचाने का प्रयास करता है, पर इस फादर अल्फोंस ने ऐसा कुछ नहीं किया, फिलहाल वह जेल में बंद हैं।
तीसरी घटना रांची की मिशनरीज ऑफ चैरिटी से जुड़ा हैं। चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की अध्यक्ष रुपा कुमारी ने बजाप्ता प्रेस कांफ्रेस कर, बच्चा बेचने के आरोप में मिशनरीज ऑफ चैरिटी होम की कर्मचारी अनिमा ईंदवार को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये जाने की सूचना दी। रुपा कुमारी का कहना था कि अनिमा इंदवार ने स्वयं स्वीकार किया कि अब तक वह आधा दर्जन नवजात शिशुओं को चैरिटी होम की संचालिका सिस्टर कोंसालिया के साथ मिलकर बेचा। जैसे ही मिशनरीज ऑफ चैरिटी पर बच्चा बेचने का दाग लगा, सारे लोग सकते में है कि ऐसा यहां कैसे संभव है? पर सच्चाई तो यहीं बयां कर रही है।
फिलहाल मिशनरीज ऑफ चैरिटी की सिस्टर कोंसालिया भी गिरफ्तार कर ली गई है, उन्हें जेल भी भेज दिया गया है। सिस्टर कोंसालिया ने स्वीकार किया था कि तीन बच्चों को बेचा गया है, एक बच्चे को मुफ्त में किसी व्यक्ति को दिया गया, उसने स्वीकार किया कि उत्तर प्रदेश के सोनभद्र निवासी सौरभ कुमार अग्रवाल को एक लाख बीस हजार में जो बच्चा बेचा गया था, उसमें 90 हजार उसे भी मिले थे, इसी बयान को सबूत मानकर, पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
इधर बाल कल्याण समिति ने नवजात शिशुओं के बेचे जाने के मामले की गंभीरता को समझते हुए, वर्तमान में मौजूद सारी बच्चियों को दूसरे शेल्टर में शिफ्ट करने का फैसला लिया है। मिशनरीज ऑफ चैरिटी होम व हिनू शेल्टर होम को सील भी किया जा सकता है, साथ ही आरोप लगने के बाद ब्लैक लिस्टेड करने की भी तैयारी है।
अब सवाल उठता है कि चर्च के फादरों पर लग रहे यौन शोषण के आरोप, दुष्कर्म को बढ़ावे का आरोप और अब मिशनरीज ऑफ चैरिटी के सिस्टरों पर नवजात शिशुओं को बेचने का आरोप लगने के बाद, क्या नहीं लगता कि मिशनरी से जुड़े लोगों को आत्ममंथन करने की जरुरत है कि आखिर ये सब उनके संस्थानों में क्यों हो रहा हैं? आखिर जिस सेवा की बात मिशनरियां करती रही हैं, अब उन मिशनरियों में सेवा की जगह यौन शोषण और बच्चों के बेचने की बात कहां से आ गई, क्या इस पाप से मिशनरियां मुक्त हो पायेंगी, या दामन पर लगे दाग को धो पायेंगी।
हमें तो नहीं लगता, हालांकि अपने उपर लगे इस दाग को धोने का प्रयास मिशनरियों से जुड़े लोग कर रहे हैं, पर इतना तो तय है मिशनरियों पर फिलहाल ऐसा दाग लगा है, जिससे विश्वासियों को बहुत बड़ा आघात लगा है, यानी जो दाग दूसरों में देखते थे, अब वे भी उसी दाग के शिकार हो गये, यानी इस हमाम में सभी नंगे हैं, सब को यौन सुख चाहिए, पर गलत तरीके से, सब को पैसे चाहिए, चाहे नवजात को बेचकर ही अनैतिक तरीके से क्यों न कमाया जाय, ऐसे में तो विश्वास दरकना तय है, दाग लगने तय हैं।