रघुवर सरकार का करिश्मा, यौन शोषण के आरोपी JVM नेता प्रदीप यादव पर कार्रवाई और BJP नेता ढुलू को दुध-मलाई
धनबाद भाजपा की जिला मंत्री कमला कुमारी, सीएम रघुवर दास के अतिप्रिय एवं भाजपा के बाघमारा विधायक ढुलू महतो के खिलाफ यौन शोषण की प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए पिछले पांच महीने से कतरास थाने का चक्कर लगा रही हैं। उसने प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए कतरास थाने पर प्रदर्शन किया, वह अपना दर्द सुनाने के लिए रांची विधानसभा तक पहुंची, वह रांची प्रेस क्लब में प्रेस कांफ्रेस की, उसने खुद को कतरास थाने के समक्ष आत्मदाह करने का प्रयास भी किया, उसके बावजूद आज तक भाजपा विधायक ढुलू महतो के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं हुआ।
जबकि भारत के सर्वोच्च न्यायालय का आदेश है कि किसी के खिलाफ यौन शोषण का मामला आता है, तो सर्वप्रथम उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाय, पर धनबाद पुलिस शायद सर्वोच्च न्यायालय से भी उपर हैं, तभी तो रघुवर सरकार के आगे नतमस्तक होकर, उसने दबंग भाजपा विधायक ढुलू के खिलाफ आज तक प्राथमिकी दर्ज नहीं किया और न ही आगे की कार्रवाई की।
ज्ञातव्य है कि जब मामला खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय के पास पहुंचा, तब उन्होंने भी प्रथम दृष्टया प्राथमिकी दर्ज करने की बात की, पर उनके बात को भी हवा में उड़ा दिया गया, लेकिन जैसे ही झारखण्ड विकास मोर्चा के नेता एवं गोड्डा से महागठबंधन प्रत्याशी प्रदीप यादव के खिलाफ यौन शोषण का मामला उजागर हुआ, बड़ी ही तीव्र गति से झाविमो नेता प्रदीप यादव के खिलाफ देवघर थाने में प्राथमिकी भी दर्ज कर ली गई और स्थानीय पुलिस ने कार्रवाई करना भी प्रारंभ कर दिया यानी इस रघुवर सरकार में कानून के साथ कैसे खिलवाड़ किया जा रहा हैं और यहां के पुलिस अधिकारी कैसे कानून का सत्तापक्ष के इशारों पर धज्जियां उड़ा रहे हैं, उसकी बानगी है ताजातरीन प्रदीप यादव प्रकरण।
अब सवाल उठता है कि भारतीय कानून में यह स्पष्ट लिखा है क्या कि जो सत्तापक्ष के लोग होंगे, उनके खिलाफ कोई भी प्राथमिकी दर्ज नहीं की जायेगी, चाहे वह मामला यौन शोषण से ही संबंधित क्यों न हो? क्या भारतीय कानून इस बात का समर्थन करता है कि चाहे कोई भी मामला क्यों न हो, अगर विपक्ष के किसी भी नेता के खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज कराने आये तो बिना कुछ देर किये, उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई प्रारम्भ कर देनी चाहिए। अगर नहीं तो फिर एक ही प्रकार के मामले में भाजपा विधायक ढुलू महतो पर कृपा और झाविमो विधायक प्रदीप यादव पर कानूनी कार्रवाई करने में जल्दबाजी दिखाने जैसा भेदभाव क्यों?
आखिर क्या वजह है कि कमला कुमारी को सीएम के अतिप्रिय एवं बाघमारा के भाजपा विधायक ढुलू महतो के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए झारखण्ड उच्च न्यायालय का सहारा लेना पड़ा। आखिर क्या वजह है कि झारखण्ड उच्च न्यायालय ने जब राज्य सरकार से इस संबंध में जवाब मांगा कि आखिर विधायक ढुलू महतो के खिलाफ यौन शोषण की प्राथमिकी दर्ज कराने में क्या आपत्ति हैं, उसका जवाब भी अभी तक राज्य सरकार ने नहीं दिया, जबकि सूत्र बताते है कि राज्य सरकार ने इस संबंध में धनबाद एसएसपी को अपना पक्ष रखने को कहा है, पर धनबाद एसएसपी ने इस पर अब तक कुछ नहीं किया।
हद हो गई। झारखण्ड में अनोखे तरीके से सरकार चल रही है। एक ओर सत्तापक्ष से जुड़े यौन शोषण के आरोपी विधायक को बचाने के लिए राज्य सरकार तरह-तरह के हथकंडे अपना रही हैं और दूसरी ओर विपक्षी नेताओं के खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई करने में राज्य सरकार को तनिक देर नहीं लग रहा, आखिर ये सब कब तक चलेगा। झाविमो विधायक प्रदीप यादव पर छेड़खानी और जोर-जबर्दस्ती का आरोप लगानेवाली महिला, पूर्व में झाविमो की ही पदाधिकारी थी, तथा झारखण्ड उच्च न्यायालय में अधिवक्ता भी हैं।
झाविमो के नेताओं की माने तो ये भाजपा की ओर से किया जा रहा षडयंत्र हैं। चूंकि भाजपा मान चुकी है कि गोड्डा से उसके प्रत्याशी निशिकांत दूबे की हार सुनिश्चित है, इसलिए वह अपने प्रत्याशी का इमेज बनाने तथा महागठबंधन प्रत्याशी प्रदीप यादव का इमेज बिगाड़ने का प्रयास कर रही हैं। प्रदीप यादव का कहना है कि इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। साथ ही उन्होंने जनता से आहवान किया कि वे इस षडयंत्र को समझे और षडयंत्रकारियों को चुनाव में वोट के द्वारा मुंहतोड़ जवाब दें।
इधर देवघर पुलिस पूरे मामले की जांच शुरु कर दी है, तथा इसकी फोरेसिंक जांच के साथ-साथ निष्पक्ष जांच करने का दावा भी किया है, पर सवाल फिर उठता है कि प्रदीप यादव पर लगे यौन शोषण के आरोप पर तो देवघर पुलिस सक्रिय हो गई, प्राथमिकी दर्ज कर ली, लेकिन धनबाद भाजपा की जिला मंत्री कमला, जो सीएम रघुवर दास के अतिप्रिय विधायक ढुलू के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए हाथ-पांव मार रही हैं, उस पर धनबाद पुलिस की कब कृपा होगी? ये सवाल तो राज्य सरकार और धनबाद पुलिस से बार-बार पूछे जायेंगे, चाहे वह जवाब दें या न दें।