अपनी बात

हेमन्त की बदलाव यात्रा के आगे रघुवर की आशीर्वाद यात्रा की निकली हवा, गढ़वा में JMM की दिखी ताकत

अभी झारखण्ड में विधानसभा चुनाव का शंखनाद नहीं हुआ है, पर राज्य की सभी प्रमुख पार्टियां विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों को जनता के बीच रख, स्वयं को चुनाव प्रचार में झोंक चुकी है। यहां चुनाव प्रचार में फिलहाल झारखण्ड मुक्ति मोर्चा सभी पार्टियों से आगे हैं और उसे लोगों का समर्थन भी मिल रहा है, नेता प्रतिपक्ष हेमन्त सोरेन अपने बदलाव यात्रा के माध्यम से जनता के बीच अच्छी पकड़ बना चुके हैं और लोग उन्हें सुनने को भी रहे हैं।

दूसरे नंबर पर भारतीय जनता पार्टी है, जिनके राष्ट्रीय नेता हर दूसरे दिन झारखण्ड में आकर पसीना बहा रहे हैं, 18 मार्च से राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास भी जन जोहार आशीर्वाद यात्रा के साथ जनता के बीच निकल पड़े हैं।  इधर झारखण्ड विकास मोर्चा ने भी स्वयं को चुनाव प्रचार में झोंक दिया है, बाबू लाल मरांडी ने आज जनादेश समागम नामक रथ सड़कों पर उतार दिया,  जबकि कांग्रेस और आरजेडी में कोई सुगबुगाहट नहीं दिख रही, पता नहीं इन्हें किसका इंतजार है?

आज हम आपको राज्य की दो प्रमुख पार्टियों के यात्राओं का विश्लेषण आपके समक्ष रख रहे है कि सही मायनों में जनता के बीच में इन यात्राओं का क्या महत्व है, क्या जनता इन नेताओं की यात्रा में रुचि रख रही है। सच्चाई यह है कि रघुवर दास की जोहार जन आशीर्वाद यात्रा पर हेमन्त की बदलाव यात्रा भारी पड़ रही है।

आज हेमन्त सोरेन बदलाव यात्रा के क्रम में गढ़वा में थे, जबकि राज्य के मुख्यमंत्री जोहार जन आशीर्वाद यात्रा के क्रम में शिकारीपाड़ा दुमका में थे। जरा दोनों प्रमुख नेताओं की सभाओं में भीड़ देख लिजिये, जहां हेमन्त सोरेन की सभा में भीड़ उमड़घुमड़ रही हैं, वहीं मुख्यमंत्री की सभा में भीड़ दिख नहीं रही। आखिर इसका कारण क्या है?

इसका मूल कारण मुख्यमंत्री रघुवर दास का जनता में विश्वास खो देना हैं, वहीं हेमन्त का जनता के बीच विश्वास का बढ़ना है। कमाल है एक मुख्यमंत्री हैं जो आदिवासी बहुल इलाके में है, जहां भाजपा लोकसभा में भारी मतों से जीती है, और हेमन्त सोरेन उस इलाके में है, जहां उनकी पार्टी को सही मायनो में उतने लोग ठीक से जानते भी नहीं, पर आज स्थिति उलट है, गढ़वा में भीड़ ही भीड़ हैं, और मुख्यमंत्री रघुवर दास की सभा से भीड़ गायब है।

ऐसे भी जिस इलाके में मुख्यमंत्री घुम रहे हैं, लोग बताते है कि कुछ दिन पहले की बात है दुमका के शिकारीपाड़ी में ग्राम प्रधान को सूचना दिये बिना पूजा कराने पर भाजपा नेताकार्यकर्ताओं को बंधक बना लिया गया था। लोग बताते है कि शिकारीपाड़ा के पंच वाहिनी गांव में पिछले रविवार को भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य परितोष सोरेन अपने अन्य कार्यकर्ताओं के साथ पहुंचे तो वहां के ग्रामीणों ने इन सबको बंधक बना लिया, तथा तीन घंटे बंधक बनाने के बाद बाण्ड भरवाने के बाद छोड़ा।

स्थिति ऐसी थी कि जब पुलिस को पता चला कि ग्रामीणों ने इन लोगों को बंधक बना लिया हैं तो इनकी हिम्मत नहीं हुई कि इन्हें छुड़ाने के लिए घटनास्थल तक पहुंच पाये, पुलिस एक किलोमीटर पहले ही ठिठक गई। बताया जाता है कि ग्रामीण इस बात को लेकर गुस्से में थे कि जिस कार्यक्रम का गांव में आयोजन हुआ, उसका निमंत्रण ग्राम प्रधान को क्यों नहीं था और बिना ग्राम प्रधान की अनुमति के कार्यक्रम आयोजित कैसे हो गया? ये घटना बताने के लिए काफी है कि लोग फिलहाल भाजपा से किस कदर नाराज है।

राजनैतिक पंडितों की मानें, तो जिस प्रकार से हेमन्त सोरेन ने मुख्यमंत्री रघुवर दास को अपने बदलाव यात्रा से बांध कर रखा है, तथा भाजपा के सारे राष्ट्रीय नेताओं के नाक में नकेल कसा है, अगर इसी प्रकार सावधानी बरतते हुए चलते रहे, तो भाजपा मुसीबत में पड़ सकती है, क्योंकि जनता सीएम रघुवर को देखना पसन्द नहीं करती, ऐसे तो भाजपा के कार्यकर्ता भी रघुवर को देखना पसन्द नहीं करते।

भाजपा की मजबूरी है, रघुवर को आगे करके चलना, पर जिस प्रकार की स्थितियां बन रही हैं, बदलाव यात्रा में जनता और जन आशीर्वाद यात्रा में सिर्फ रघुवर भक्त भाजपा कार्यकर्ता दिख रहे हैं, आनेवाले समय में भाजपा की लूटिया डूबनी तय है, क्योंकि आज की हेमन्त की गढ़वा में आयोजित बदलाव यात्रा की सभा बहुत कुछ कह देती हैं, एक ओर स्वतःस्फूर्त भीड़ और दुसरी ओर रघुवर की जन आशीर्वाद यात्रा में लोगों की लाई गई भीड़ सब कुछ बयान कर देती है कि यहां आखिर चल क्या रहा हैं? यानी अभी तक भाजपा के अमित शाह, जे पी नड्डा, अर्जुन मुंडा और रघुवर दास पर तो फिलहाल हेमन्त ही भारी दिख रहे हैं।