रघुवर भक्ति में डूबे अखबारों-चैनलों ने दबाया विपक्ष और जनता की आवाज
मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि जो भी रिपोर्टर, चाहे वे किसी अखबार या चैनल के हो, उन्होंने जो कल महाबंद के दौरान देखा होगा, वे सही-सही रिपोर्ट अपने-अपने अखबारों व चैनलों में जरुर किये होंगे, पर अखबारों-चैनलों के मालिकों और संपादकों ने सरकारी विज्ञापनों और मुख्यमंत्री रघुवर दास के साथ पीआर बनाने के चक्कर में उन रिपोर्टरों के द्वारा दिये गये समाचारों के साथ अन्याय करते हुए, अपने हिसाब से ऐसे समाचार आज जनता के बीच परोस दिया, जिससे उनके आका प्रसन्न हो जाये, और उन्हें मुंहमांगी विज्ञापन और जब कभी उनके अपने काम निकल आये, तो उनके आका उनके काम पर नजरे इनायत रखते हुए, बिना किसी झिझक के उन पर कृपा लूटा दें।
सच्चाई आपके सामने हैं, आज आप रांची से प्रकाशित चार प्रमुख अखबारों के प्रथम पृष्ठों पर नजर दौड़ाइये, सच आपको पता लग जायेगा, कि कैसे सीएम रघुवर दास को प्रसन्न करने के लिए ऐसी हेडिंग लगा दी गई, जैसे लगता है कि कल के महाबंद का कोई प्रभाव ही नहीं था। जरा सबसे पहले “प्रभात खबर” को देखिये, इसने हेंडिंग लगाई है – “बंद समर्थकों पर भारी रही पुलिस, फिर भी सड़कों पर कम चले वाहन, संताल में रेलवे ट्रैक को किया जाम।“ साइड में “मुख्यमंत्री रघुवर दास बोले – जनता ने बंद को कर दिया विफल।”
अब “दैनिक भास्कर” देखिये, इसने हेडिंग दिया है ”पुलिस कस्टडी में विपक्ष बंद।” यानी इन दोनों अखबारों ने पुलिस के आगे संपूर्ण विपक्ष को बौना करार दे दिया, जबकि सच्चाई यह है कि पूरे राज्य में रघुवर सरकार द्वारा भयानक रुप से विपक्ष एवं सामाजिक संगठनों के उपर भय दिखाये गये, दहशत फैलाया गया, उसके बावजूद पूरे राज्य से 18973 बंद समर्थक गिरफ्तार किये गये, अब कोई बतलाएं कि झारखण्ड बनने के बाद किस आंदोलन में इतनी बड़ी संख्या में गिरफ्तारी हुई और अगर किसी के पास प्रमाण हैं तो जरा दें, नहीं तो जनहित में पत्रकारिता न कर, रघुवर हित में पत्रकारिता करने का क्या मतलब?
अब “दैनिक जागरण” को देखिये, इसने हेडिंग क्या दी है – “कड़ी सुरक्षा के बीच बंद शांतिपूर्ण, 18973 गिरफ्तार” साइड में मुख्यमंत्री रघुवर दास का बयान हैं – “विपक्षी दलों का नजरिया विकास विरोधीः सीएम।” और अब “हिन्दुस्तान” की बारी, इसने हेडिंग दिया है – “बंद शांतिपूर्ण, 18973 गिरफ्तार।” कल सुबह 10 बजे, बिहार के एक बहुत बड़े अधिकारी का मेरे पास फोन आया कि मिश्राजी झारखण्ड में बंद की क्या स्थिति हैं? मैंने कहा कि अभी तक रांची में विपक्ष का कोई भी नेता सड़कों पर नहीं उतरा हैं, फिर भी राजधानी रांची के सारे के सारे निजी स्कूल बंद हैं, व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद है, ग्रीन और पिंक कलर के जो ऑटो चलते हैं, वे भी बंद हैं, लंबी दूरी के वाहन नहीं चल रहे।
आज की बंद को देखते हुए रांची विश्वविद्यालय की आज की परीक्षा स्थगित कर दी गई है, परीक्षा की अगली तिथि की घोषणा बाद में की जायेगी, योग विभाग में जो साक्षात्कार, जो पांच जुलाई को होनेवाला था, उसे भी स्थगित कर दिया गया और ये अब छह जुलाई को होगा, और इसके बाद भी कई चैनलों और अखबारी-चैनल पोर्टलों द्वारा लाइभ में ये कहना कि बंद फ्लॉप हैं, इसका मतलब है कि जो गलत खबर प्रसारित या प्रकाशित कर रहे हैं, उनके जैसा दूसरा कोई दुनिया में रघुवर भक्त हो ही नहीं सकता, ऐसे रघुवर भक्त पत्रकारों/संपादकों/मालिकों को रघुवर रत्न से सम्मानित करना चाहिए।
हद हो गई, ये तो वहीं बात हुई कि आप भरी दुपहरिया में कह दें कि भाई अभी तो रात हैं, और ऐसी घटना तभी घटती है, जब आप किसी के प्यार में इतने पागल हो गये हो, कि आपको पता ही नहीं चल रहा कि आप आदमी हैं भी या नहीं। सचमुच स्थिति बहुत बिगड़ चुकी हैं, पूरे राज्य में पत्रकारिता संक्रमण काल से गुजर रहा हैं, जो आज सत्ता में हैं, उन्हें ये नहीं भूलना चाहिए कि यहां लोकतंत्र हैं, कभी आपको विपक्ष में भी बैठने का मौका मिल सकता है या जो आज विपक्ष में हैं, वे भी सत्ता में आ सकते हैं, अगर वे भी इसी तरह बदला लेना शुरु करें और जो आज आप कर रहे हैं, वे भी यहां के पत्रकारों/संपादकों/मालिकों को घूटने के बल चलाने शुरु कर दें तो आप क्या करेंगे,
आप भी, जैसे आज विपक्ष अपने बयानों को प्रकाशित नहीं होने पर शर्मिंदगी महसूस कर रहा हैं, कल आप तो शर्म से डूब मरेंगे, क्योंकि कल किसने देखा है। दुर्भाग्य झारखण्ड की जनता का हैं, जिन्हें जनसरोकार की खबरें कम, और रघुवर भक्ति में लीन अखबारों-चैनलों के दर्शन प्रातः प्रातः हो जा रहे हैं, कुल मिलाकर देखा जाये तो स्थिति बहुत ही खतरनाक हैं, जितना जल्द हो सकें, इसमें सुधार हो, बेहतर हैं, नहीं तो इसका खामियाजा सभी को भुगतना पड़ेगा, चाहे कोई हो।