डंडे मारनेवाली बयान देकर राहुल ने सिद्ध किया कि वे खुद चाहते है कि देश में मोदी सरकार बनी रहे
छोटे नेता या किसी खास विचारों के गुलाम लोग, अगर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए आपत्तिजनक शब्द का प्रयोग करते हैं, तो बात समझ में आती है कि चलो इनसे इससे अधिक की अपेक्षा नहीं की जा सकती, पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बड़े नेता एवं भविष्य के लिए प्रधानमंत्री पद के प्रबल दावेदार के रुप में जाने-जानेवाले राहुल गांधी जैसे लोग जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए आपत्तिजनक शब्द का प्रयोग करते हैं तो किसी को भी आश्चर्य हो सकता है।
क्योंकि राहुल गांधी उस परिवार से बिलान्ग करते हैं, जिन्होंने देश को मजबूती दी, देश को नई दिशा दी, इससे कोई इनकार भी नहीं कर सकता, क्योंकि स्वयं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में कहा था कि अगर हम पूर्व में हुए विकास की बातों को स्वीकार नहीं करते, तो हम अपने पूर्वजों तथा उन नेताओं का अपमान करते हैं, जिन्होंने देश को मजबूती के लिए स्वयं को झोक दिया था।
ऐसे में राहुल गांधी का दिल्ली के हौजकाजी चुनावी रैली में यह कहना कि आज युवा इतने गुस्से में हैं कि छह महीने में मोदी को डंडे पड़ेंगे, बताता है कि राहुल गांधी की जुबां से निकली यह बात किसी के लिए भी ग्राह्य नहीं है। राहुल गांधी के लिए नरेन्द्र मोदी प्रतिद्वंदी हो सकते हैं, पर उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं, भारत के 130 करोड़ जनता के जनप्रतिनिधि हैं, उनका अपमान देश की जनता का अपमान है, क्योंकि देश की जनता ने उन्हें दुबारा प्रधानमंत्री पद तक पहुंचाया है। राहुल गांधी को इसके लिए योग्य नहीं समझा और उन्हें बाहर रखा।
राहुल गांधी ने यह पहली बार ऐसा नहीं किया, इसके पहले भी उन्होंने कई विवादास्पद बयान दिये, जैसे उन्होंने कई सभाओं में कहा कि सारे चोरों के सरनेम मोदी है। राहुल गांधी को समझना चाहिए कि वे जिस परिवार या जिस पार्टी से बिलांन्ग करते हैं, वहां उनके एक-एक शब्द की पकड़ होगी। हमें लगता है कि राहुल गांधी का जो लोग भाषण तैयार करते हैं, उन्हें पता नहीं कि वे क्या उनसे बुलवा रहे हैं और इससे राहुल को फायदा हो रहा हैं या नुकसान।
लीजिये राहुल गांधी ने उधर पीएम मोदी के खिलाफ बयान दिया और पीएम नरेन्द्र मोदी ने संसद में उनके भाषण की बखियां उधेड़ दी, पूरे देश ने राहुल के वक्तव्य को हवा में उड़ा दिया। भाजपा नेता नरेन्द्र तोमर ने तो साफ कह दिया कि राहुल गांधी पहले खुद की चिन्ता करे। जीवीएल नरसिम्हा राव ने तो इस वक्तव्य के बाद राहुल गांधी को पागल करार दे दिया। रामदास आठवले ने तो साफ कह दिया कि राहुल अपने मुंह पर ताला लगाएं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तो राहुल के वक्तव्य को अपने स्वाभावानुसार क्रिकेट में लगनेवाले बाउंड्री की तरह ऐसा छक्का जड़ा कि राहुल एक बार फिर राजनीति के क्षेत्र में बच्चा नजर आ गये।
संघ के प्रचारक के रुप में जीवन व्यतीत कर चुके, नरेन्द्र मोदी ने तो साफ कह दिया कि वे इसका मुकाबला सूर्य नमस्कार की संख्या बढ़ाकर कर देंगे, और अब लीजिये इसका क्या है जवाब, राहुल गांधी जी, जो आपके समर्थक चैनल हैं, क्या आपको बचा पायेंगे? भाई आपको बचाने के लिए, आपने उसे कही का नहीं छोड़ा है, ऐसे में सभी किंकर्तव्यविमूढ़ है। कभी संसद में आंख मारकर, आपने जो अपनी भद्द पिटवाई थी, ठीक उसी प्रकार वाहियात बयान देकर, आपने संसद में फिर एक बार भद्द पिटवा ली, अब आप कुछ भी करते रहिये, लोग जान गये कि आप नरेन्द्र मोदी के विकल्प नहीं हो सकते, क्योंकि आप में अभी भी परिपक्वता नहीं आई है।
हमारा सलाह है कि आप आकाशवाणी/दूरदर्शन या फिल्मस् डिवीजन के दिल्ली केन्द्र में जाइये और पं. जवाहर लाल नेहरु, लाल बहादुर शास्त्री, इन्दिरा गांधी के रिकार्डेड भाषण को प्राप्त कर, उसे सुने और देखे कि इन नेताओं ने अपने विरोधियों के लिए किस प्रकार की भाषा का प्रयोग कब और कहां किया, शायद आपको ज्ञान हो जाये, नहीं तो आप तो खुद जाइयेगा ही, पार्टी को भी कहां ले जा रहे हैं, वो सबको पता है।