अपनी बात

बारिश ने जमशेदपुर में मोदी की सभा की बाट लगा दी, सभा में न भाजपा दिखी और न भाजपा नेताओं का वर्चस्व दिखा, अगर यही हाल रहा तो विधानसभा चुनाव में भाजपा को दिक्कतें आनी तय

आज जमशेदपुर के गोपाल मैदान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सभा थी। लेकिन सुबह से हो रही बारिश ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सारे कार्यक्रम का खेल बिगाड़ कर रख दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज जमशेदपुर से ही वंदे भारत ट्रेनों का शुभारम्भ करनेवाले थे। लेकिन बारिश के कारण उन्हें रांची से ही ऑनलाइन उद्घाटन करना पड़ा। प्रधानमंत्री मोदी का आज जमशेदपुर में रोड शो भी था। लेकिन बारिश की वजह से इसे भी कैंसिल करना पड़ गया।

इधर गोपाल मैदान में झामुमो से भाजपा में आये चम्पाई सोरेन द्वारा लाई गई भीड़ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का इंतजार कर रही थी। उन्हें लग रहा था कि जैसे ऑनलाइन वंदे भारत का उद्घाटन हो गया, रोड शो को स्थगित कर दिया गया, कही वैसे ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सभा भी कही स्थगित न हो जाये। लेकिन अचानक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जमशेदपुर सड़क मार्ग से जाने का निश्चय किया और वे गोपाल मैदान सभा को संबोधित करने के लिए पहुंच गये।

राजनीतिक पंडित बताते है कि गोपाल मैदान की क्षमता 40 से 45 हजार की है। लेकिन जिस प्रकार से बारिश हुई। उसके कारण भीड़ ऐसे भी कम होना स्वाभाविक था। राजनीतिक पंडित यह भी कहते है कि कोई नेता कितना लोकप्रिय हैं? उसके कार्यकर्ता कितने चुस्त-दुरुस्त हैं? यह विपरीत परिस्थितियों में ही पता चलता है। इसलिए बारिश का बहाना बनाकर अगर कोई भाजपा कार्यकर्ता या नेता यह कहता है कि बारिश के वजह से भीड़ कम आई, तो इसका मतलब है कि वो अपने संगठन को धोखा दे रहा है।

राजनीतिक पंडित यह भी कहते हैं कि जब बारिश के बावजूद प्रधानमंत्री रांची से जमशेदपुर सड़क मार्ग से आ सकते हैं तो फिर मोदी के चाहनेवाले जमशेदपुर के आस-पास से ही क्यों नहीं आ सकते? सच्चाई यह है कि जमशेदपुर में भाजपा का अब संगठन मृत प्रायः हो चला है। इसके कार्यकर्ता ही नहीं बल्कि यहां रह रहे प्रदेश  स्तरीय नेता भी गुटबाजी के शिकार है।

वे अपना और अपने परिवार का हित तो चाहते हैं। लेकिन पार्टी का हित नहीं चाहते। जरा पूछिये, अर्जुन मुंडा से, क्या वे जमशेदपुर में नहीं रहते? या रघुवर दास जो फिलहाल ओडिशा के राज्यपाल बने हुए हैं, क्या उनके समर्थकों की संख्या खत्म हो गई? सच्चाई यह है कि जब से चम्पाई सोरेन ने भाजपा का दामन थामा है। भाजपा के पुराने नेताओं ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन करना छोड़ दिया हैं और उनकी राजनीति स्वकेन्द्रित हो गई हैं।

इसलिए भाजपा के सुविधाभोगी प्रमुख नेताओं ने इस सभा में भीड़ लाने के लिए कोई काम ही नहीं किया। सब छोड़ दिया कि चम्पाई सोरेन करेंगे। चम्पाई सोरेन की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी थी। चम्पाई के चाहनेवालों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। लेकिन बारिश ने सब कबाड़ा कर दिया। जो रांची से प्रदेश के नेता गये थे और जो जमशेदपुर में बैठे हैं।

जब विद्रोही24 ने इन दो नेताओं से पूछा कि सभा में कितनी भीड़ होगी, तो उनका कहना था कि पन्द्रह-सोलह हजार से ज्यादा की भीड़ नहीं थी। जब विद्रोही24 ने एक गैर राजनीतिक व्यक्ति से यही सवाल पूछा तो उसका भी यही कहना था कि गोपाल मैदान में आज की भीड़ मात्र पन्द्रह से सोलह हजार में सिमट गई। वो भी तब जबकि भाजपा में कोल्हान में नेता ही नेता भरे पड़े हैं।

उस गैर-राजनीतिक व्यक्ति ने यह भी कहा कि ये भाजपा के लिए खतरे की घंटी भी हैं, अगर पीएम मोदी की सभा का यह हाल है, तो इनके प्रदेश स्तर के नेताओं का क्या होगा? इससे ज्यादा की भीड़ तो आजकल झामुमो नेता व राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की सभा में उमड़ रही हैं। हालांकि असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा इस पन्द्रह से सोलह हजार की भीड़ को भी अपनी ओर से बेहतर बताने दिखाने की कोशिश एक यूट्यूबर्स के साथ बातचीत में कर रहे थे। जिस यूट्यूबर्स से वे बात कर रहे थे। उक्त यू-ट्यूबर्स आजकल भाजपा व हिमंता के प्रति पूरी श्रद्धा व भक्ति के साथ लगा हुआ हैं, जहां-जहां हिमंता रहते हैं, वो यू-ट्यूबर्स वहां दिखाई दे ही जाता है।

अंत में इस न्यूज में दो फोटो दिये गये हैं। ये दोनों फोटो आगे से लिये गये हैं। इस फोटो को भाजपावालों ने अपने फेसबुक वॉल पर लगाया है। इसलिए कोई यह नहीं कह सकता कि फोटो पीछे से लिया गया है। इस फोटो को आप ध्यान से देखें तो आपको खुद पता लग जायेगा कि कितनी कुर्सिंयां अंदर में खाली है। बस ध्यान देने की जरुरत है। पंडाल के बाहर बारिश हो रही हैं। जहां आप खड़े भी नहीं हो सकते। ये पंडाल का दृश्य भाजपा के खस्ते हाल का स्वयं वर्णन कर रहा है। कोई दूसरा क्या करेगा?