धर्म

क्या कहते हैं बारिश के नक्षत्र…

खूब बरसेंगे। तृप्त होगी भारत की धरती। अच्छी होगी फसल। पूरे भारत में अच्छी बारिश के संकेत दे रहे है, इस बार बारिश के नक्षत्र। भारतीय मणीषी प्राचीन काल से, नक्षत्रों के आधार पर, उनका विश्लेषण करते हुए, पूर्व में बारिश की भविष्यवाणियां किया करते थे, और ये बाते पूर्णतः सत्य साबित होती थी। पिछले कई वर्षों से मैंने भी महसूस किया कि ऐसा सहीं हैं। जब – जब नक्षत्रों ने ये संदेश दिया कि इस बार बारिश नहीं होगी तो हुआ भी ऐसा ही, बारिश नहीं हुई। जब नक्षत्रों ने सामान्य अथवा मूसलाधार बारिश के संकेत दिये, तो उस साल भी इसी प्रकार की घटना घटित हुई। इस बार ये नक्षत्र क्या कह रहे हैं। इसे देखना वर्तमान में जरुरी हैं। बारिश के कई नक्षत्र हैं जो विभिन्न प्रकार से संदेश दे रहे हैं। ये कह रहे हैं कि भारतीय किसान घबराये नहीं, वैज्ञानिक कुछ भी कहें, नक्षत्र इस बार दगा नही देंगे। केवल एक ही नक्षत्र चित्रा में अल्पवृष्टि के संकेत हैं।

आइये देखते हैं, नक्षत्रों के दृष्टिकोण में मानसून

क. आर्द्रा – 21 जून को दिन 12.33 से प्रारंभ – सौम्य वृष्टि।
ख. पुनर्वसु – 06 जुलाई को दिन 02.08 से प्रारंभ – वार्युवृष्टि।
ग. पुष्य – 20 जूलाई को दिन 3.35 से प्रारंभ – अतिवृष्टि।

घ. आश्लेषा – 3 अगस्त को दिन 3.56 से प्रारंभ – वार्युवृष्टि।

ड. मघा – 17 अगस्त को दिन 2.45 से प्रारंभ – सामान्य वृष्टि।
च. पूर्वा फाल्गुन – 31 अगस्त को दिन 11.25 से प्रारंभ – वार्युवृष्टि।

छ. उत्तरा फाल्गुन – 13 सितम्बर को रा. 5.34 से प्रारंभ – वार्युवृष्टि।
ज. हस्त – 27 सितम्बर को रा. 8.58 से प्रारंभ – वार्युवृष्टि।
झ. चित्रा – 11 अक्टूबर को दि. 9.27 से प्रांरभ – अल्पवृष्टि।

बसरेंगे नक्षत्र और लहलायेंगी फसलें

यानी साफ संकेत हैं कि एक नक्षत्र को छोड़, सभी नक्षत्रों में सामान्य से अधिक बारिश होने के संकेत हैं, अंतिम के एक नक्षत्र चित्रा को छोड़कर पूर्वा फाल्गुन, उत्तरा फाल्गुन, और हस्त तो आँधी-पानी के साथ बरसने के संकेत दे रहे हैं यानी झमाझम बरसेंगे नक्षत्र और लहलायेंगी फसलें…