राजबाला वर्मा, जिसके आगे झारखण्ड के सीएम रघुवर की एक न चली
राजबाला वर्मा एक ऐसी मुख्य सचिव, जिसने झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास के होश ठिकाने लगा दिये। राजबाला वर्मा, जब तक मुख्य सचिव पद पर रही, उन्होंने कभी भी मुख्यमंत्री रघुवर दास की बात नहीं मानी और किया वहीं, जो राजबाला वर्मा को अच्छा लगा। चाहे संजय कुमार, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव को एक्सटेंशन न देने का मामला हो या दागी भारतीय प्रशासनिक अधिकारियों को क्लीन चीट दिलवाने का मामला, कहीं भी रघुवर दास की नहीं चली, चली तो सिर्फ राजबाला वर्मा की, शायद यहीं कारण रहा कि जो राजनीतिक पंडित हैं, वे यहीं कहा करते थे कि राज्य में अगर देखा जाये तो यहां असली मुख्यमंत्री राजबाला वर्मा ही है।
राजबाला वर्मा ने जाते-जाते मुख्य सचिव पद पर अमित खरे को आने नहीं ही दिया और अमित खरे को दिल्ली जाने पर मजबूर कर दिया, यहीं नहीं अमित खरे की पत्नी निधि खरे को कार्मिक विभाग से उठाकर स्वास्थ्य विभाग में लाकर पटकवा दिया। खुद मुख्य सचिव रही और अपने पति जे बी तुबिद को भाजपा का प्रवक्ता बनवा दिया। यहीं नहीं वो जिन- जिन अधिकारियों पर कृपा लूटाती रही, उन अधिकारियों की या उन अभियंताओं की या उन नेताओं की या उन ठेकेदारों की हिम्मत नहीं कि अवकाश प्राप्त कर चुकी राजबाला वर्मा के आगे उंची सर खड़ाकर खड़ा हो सके और मुख्यमंत्री रघुवर दास की हिम्मत नहीं कि राजबाला वर्मा पर कोई कार्रवाई कर सकें।
ये वहीं राजबाला वर्मा थी जो कभी बिहार में चारा घोटाले में फंसे लालू प्रसाद यादव को गिरफ्तार करने से मना कर दिया था और ये वही राजबाला वर्मा है, जिसके आगे झारखण्ड के मुख्यमंत्री नतमस्तक होते है, यहीं नहीं जब सदन में विपक्ष राजबाला वर्मा के खिलाफ एकस्वर से आवाज बुलंद कर रहा होता है, साथ ही जब उन्हीं के एक मंत्री सरयू राय राजबाला वर्मा के खिलाफ स्वर बुलंद कर रहे होते हैं, तो वे एक कान से सुनकर दूसरे कान से इन आवाजों को शोर समझकर निकाल देते हैं। आखिर क्या कारण है? कि जिसे लेकर सारा विपक्ष यहां तक की सत्ता पक्ष का एक जिम्मेवार संसदीय कार्य मंत्री आवाज बुलंद करता है, और उसकी बात अनसूनी कर दी जाती है, यहीं नहीं सदन को ताक पर रख दिया जाता है, मंत्री को विभाग बदलना पड़ जाता हैं, पर सीएम रघुवर दास राजबाला वर्मा के खिलाफ कार्रवाई करने से डरते है, आखिर ऐसा क्यों? ये सीएम बेहतर ढंग से बता सकते हैं, पर वे बतायेंगे नहीं, क्योंकि उन्हें फंसने का डर है?
राजनीतिक पंडितों के अनुसार, राजबाला वर्मा का भाजपा के केन्द्रीय नेताओं से भी अच्छे संबंध रहे हैं, वो कल मुख्यमंत्री की सलाहकार भी बन जाये तो इसमें किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए क्योंकि मुख्यमंत्री रघुवर दास की मजबूरी है, वे रोक भी नहीं सकते, कल राजबाला वर्मा भाजपा के ही टिकट पर किसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ती नजर आये तो भी आश्चर्य मत करियेगा, क्योंकि भाजपा में कुछ लोग ऐसे हैं जो इन्हें थाली में सजाकर टिकट देंगे और उन्हें जीतवाने के लिए एड़ी-चोटी लगा देंगे, क्योंकि अब भाजपा पं. दीन दयाल उपाध्याय या डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पार्टी नहीं रही, ये विशुद्ध अमित शाह और नरेन्द्र मोदी की पार्टी हैं, जिन्हें हर हाल में 2019 में अधिकाधिक सीट लेना हैं, और जब तक जीवित रहेंगे, सत्ता सुख भोगना है।