रामगढ़ चुनाव परिणामः न तो ये कांग्रेस (महागठबंधन) की हार है और न आजसू (एनडीए) की जीत, दरअसल यह विशुद्ध धनबल की जीत
रामगढ़ चुनाव परिणामः न तो ये कांग्रेस (महागठबंधन) की हार है और न आजसू (एनडीए) की जीत, दरअसल यह विशुद्ध धनबल की जीत है। जिस प्रकार से यहां धन का पानी की तरह इस्तेमाल किया गया, वो पहले से ही बता रहा था कि यहां चुनाव परिणाम क्या आनेवाला है? लेकिन चुनाव तो चुनाव है, उसे कोई भी दल अपनी हार को स्वीकार करते हुए थाली में उसे सजा कर किसी अन्य दल को देगा नहीं, ये सभी को स्वीकारना होगा।
कांग्रेस ने ममता देवी के पति बजरंग महतो को चुनाव लड़ाया था, क्योंकि एक मामले में न्यायालय ने दोषी ठहरा दिया था। जिसके कारण उनकी विधायिकी चली गई थी। जिसके कारण यहां चुनाव हुआ था और फिर इस खाली सीट पर गिरिडीह के आजसू (एनडीए का एक घटक) सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी ने अपनी पत्नी को लड़वा दिया, क्योंकि आजसू को हर हाल में ये सीट जीतकर अपनी ताकत बढ़ानी थी। उसे ऐसा कैंडिंडेट चाहिए था। जो धनबल से मजबूत हो। उसने बिना किसी लाग-लपेट के चंद्रप्रकाश चौधरी की पत्नी सुनीता चौधरी को टिकट दे दी।
अब चूंकि चुनाव परिणाम एनडीए के पक्ष में आ गया तो भाजपा वाले यहां ऐसा अपने आप को दिखा रहे है। जैसे लगता हो कि उनके बिना आजसू जीतता ही नहीं। आजसू के नेता सुदेश महतो तो पहले से ही कन्फर्म थे कि ये सीट उनके हाथ लगेगी, क्योंकि वहां का माहौल उनके अनुकूल पहले से था। बस थोड़ा जोर लगाना था, ऐसे भी अपने देश में जनता हो या नेता उसे देश व समाज के लिए थोड़े ही सोचना हैं।
वो तो सांसदी-विधायकी को भी एक कमानेवाले पद की नजर से देखता हैं। तभी तो वो अपनी पत्नी, अपने बेटे, अपनी बेटी, अपना दामाद, अपने बहू, अपने पिता, अपनी माता से दूर ज्यादा सोचता भी नहीं और जब जीत जाता है, तो देखिये कैसे शेखी बघारता है, कैसा बयान देता है, जैसे लगता है कि बेचारे ने कितनी मेहनत करके चुनाव जीती है। तो सबसे पहले आजसू का बयान देख लीजिये…
आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो ने रामगढ़ उपचुनाव में पार्टी उम्मीदवार सुनीता चौधरी की शानदार जीत पर विधानसभा क्षेत्र की जनता के प्रति आभार व्यक्त किया है। साथ ही इस फैसले को राज्य में कुशासन और छल प्रपंच से चल रही सरकार के खिलाफ बताया है। रामगढ़ उपचुनाव की कमान संभाल रहे पार्टी प्रमुख ने जीत पर पहली प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा, “ये जनादेश प्रत्यक्ष तौर पर झूठ की बुनियाद पर चल रही सरकार की नीति, निर्णय और मंशा के खिलाफ है। उपचुनाव का नतीजा 2024 में होने वाले आम चुनाव और विधानसभा चुनाव को भी प्रभावित करेगा।”
उन्होंने कहा कि उपचुनाव में भले ही कांग्रेस का उम्मीदवार था, पर लड़ रहे थे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन। जाहिर है सत्ता को चुनौती देना आसान नहीं था। चुनाव में सत्तारूढ़ दलों ने भावनात्मक लहर पैदा करने की कोशिशें की और झूठ परोसते रहे। जबकि आजसू रामगढ़ और राज्य के हितों की बात करती रही। श्री महतो ने पूरे उपचुनाव में प्रचार से लेकर रणनीति पर खुले दिल से भाजपा का साथ मिलने पर भी आभार प्रकट किया है।
उन्होंने यह भी कहा कि आजसू के कार्यकर्ताओं और खासकर चूल्हा प्रमुखों ने जवाबदेह राजनीति और निचले स्तर पर घर-घर जनता से सीधे जुड़ाव के डिजाइन/फार्मूले पर काम कर इस उपचुनाव के जरिए हेमंत सोरेन सरकार को करारा जवाब दिया है। अब जरा लगे हाथों यह भी सोच लीजिये कि इनकी हार होती तो इनका क्या जवाब होता?
दुसरी ओर इनको सहयोग करनेवाली भाजपा तो आज फूले नहीं समा रही, उन्हें लगता है कि बस अब तो महागठबंधन की सरकार, ‘अब गई और तब गई’ में जानेवाली है। लेकिन उन्हें नहीं पता कि हेमन्त सोरेन के पांव झारखण्ड की सत्ता में अंगद की तरह एनडीए के दरबार में पड़े हुए हैं। जिसे हटाना फिलहाल न तो भाजपा और न ही आजसू के वश में हैं। फिर भी अगर कोई ‘मुंगेरी लाल के हंसी सपने’ की तरह सपने देखें तो किसी को क्या फर्क पड़ता है।