पत्रकारों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से RPC के अध्यक्ष संजय मिश्र को वार्ता के लिए रांची SP ने अपने कार्यालय में बुलाया, अध्यक्ष ने जाने से किया इनकार
रांची के पुलिस अधीक्षक नगर कार्यालय से 18 मई 2023 को, जिसका ज्ञापांक संख्या 737/गो.(नगर) है, रांची प्रेस क्लब के अध्यक्ष संजय मिश्र को संबोधित करते हुए एक पत्र संप्रेषित किया गया। विषय था – गैर सूचीबद्ध न्यूज चैनल/यूट्यूब न्यूज चैनल/न्यूज पोर्टल का सत्यापन करने के संबंध में। पत्र के माध्यम से अध्यक्ष को सूचित किया गया था कि झारखण्ड में ऐसे कई यूट्यूब न्यूज चैनल/न्यूज पोर्टल/न्यूज एप/इंटरनेट वेबसाईट है जो सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग (आईपीआरडी) से सूचीबद्ध नहीं है।
इस तरह के चैनल में चार-पांच लोग काम करते हैं एवं उक्त चैनल का आईडी धारण कर क्षेत्र में भ्रमणशील रहते हैं। इनका कोई भी पंजीकृत कार्यालय नहीं होता है। ये लोग अपने आप को चैनल का पत्रकार एवं संपादक बताते हुए विधि व्यवस्था/शांति व्यवस्था संधारण हेतु ड्यूटी पर तैनात पदाधिकारियों पर दबाव भी डालने का प्रयास करते है। इनके द्वारा कई बार भ्रामक/गलत ढंग से खबरों को प्रकाशित करने की बात सामने आई है। अतएव उक्त परिप्रेक्ष्य में विषयांकित विषय पर विचार-विमर्श हेतु अधोहस्ताक्षरी के कार्यालय कक्ष में दिनांक 19 मई 2023 को 11 बजे पूर्वाह्न में उपस्थित होने का कष्ट किया जाय।
बताया जा रहा है कि 19 मई बीत भी गया, पर रांची प्रेस क्लब के अध्यक्ष संजय मिश्र ने सिटी एसपी रांची के कार्यालय में उपस्थित होने में रुचि नहीं दिखाई। जब विद्रोही24 ने संजय मिश्र से इस संबंध में बातचीत की, तब उनका कहना था कि इस संवेदनशील मुद्दे पर वे सिटी एसपी कार्यालय क्यों जाये? अच्छा रहेगा कि उक्त पुलिस पदाधिकारी ही रांची प्रेस क्लब में अपनी सुविधानुसार उपस्थित हो जाये, रांची प्रेस क्लब में ही खुलकर वार्ता हो।
संजय मिश्र ने यह भी कहा कि अच्छा रहेगा कि उक्त वार्ता के समय झारखण्ड के वयोवृद्ध व प्रतिष्ठित पत्रकार भी उपस्थित रहे, उनका भी मार्गदर्शन हो। जैसे रांची के वरिष्ठ पत्रकार बैजनाथ मिश्र व प्रभात खबर के प्रधान संपादक रह चुके व वर्तमान में राज्यसभा के सभापति पद को सुशोभित कर रहे हरिवंश भी हो। हम इसके लिए हरिवंश जी से भी समय लेंगे। आखिर इस मुद्दे पर व्यापक विचार-विमर्श हो तो क्या गलत है?
संजय मिश्र ने विद्रोही24 से बातचीत में यह भी कहा कि झारखण्ड का पुलिस मुख्यालय ने जो इस संबंध में अधिसूचना जारी किया हैं, वो अधिसूचना ही गलत है, क्योंकि आईपीआरडी की सूचीबद्धता ये नहीं कहती कि फलां अखबार, चैनल या पोर्टल, जो सूचीबद्ध नहीं हैं, उनको समाचार प्रसारित या प्रकाशित करने का अधिकार नहीं है।
सूचीबद्धता और समाचार प्रसारित या प्रकाशित करना दोनों अलग-अलग चीज है। पुलिस मुख्यालय को शायद मालूम ही नहीं कि जब तक समाचार प्रकाशित या प्रसारित नहीं होगा, तब तक सूचीबद्धता भी नहीं मिलेगी। सूचीबद्धता की पहली शर्त यही है कि बाजार में फलां अखबार, चैनल या पोर्टल अस्तित्व में है या नहीं। ऐसे में आप कैसे इसे आधार बना सकते हैं?
इधर पूरे राज्य में इस मुद्दे पर पत्रकारों का समूह आक्रोशित हैं और पुलिस मुख्यालय के इस अधिसूचना पर अंगूलिया उठा रहा है। रांची में कई पत्रकारों के समूह ने रांची प्रेस क्लब से इस मुद्दे को गंभीरता से लेने और राज्य सरकार के समक्ष अपना आक्रोश प्रकट करने पर दबाव डालना शुरु कर दिया है। कई पत्रकारों का कहना है कि राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को इस पर स्वयं संज्ञान लेना चाहिए।