अपराध

रांची के सामाजिक कार्यकर्ता समीर कुमार सिन्हा ने झारखण्ड स्थित प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों पर लगाया भ्रष्टाचार में संलिप्त होने का आरोप, केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त से की शिकायत

रांची के एक सामाजिक कार्यकर्ता समीर कुमार सिन्हा की शिकायत पर केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त, भारत सरकार नई दिल्ली ने झारखण्ड प्रवर्तन निदेशालय के कुछ अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कर ली है। समीर कुमार सिन्हा ने अपनी शिकायत में इस बात का जिक्र किया है कि कुछ अधिकारियों ने भ्रष्टाचार कर आरोपियों को लाभ पहुंचाया है। शिकायत सीवीसी के पोर्टल के माध्यम से दर्ज कराई गई है, जिसका कम्पलेन नं. 52939/2024 है। यह शिकायत 27 मार्च 2024 को दर्ज कराई गई है।

केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त को संप्रेषित पत्र में शिकायतकर्ता ने कहा है कि रांची स्थित सिरमटोली में 5.88 एकड़ सेना द्वारा अधिग्रहित जमीन में झारखण्ड प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों द्वारा अभियोजन शिकायत दर्ज की गई है, दर्ज शिकायत में जमीन मालिक संजय घोष, महुआ मित्रा (बिक्री करनेवाले) कोलकता निवासी को आरोपित नहीं बनाया गया है।

समीर कुमार सिन्हा का कहना है कि विष्णु अग्रवाल जिसने सेना की जमीन 07.02.2018 को रांची रजिस्ट्री ऑफिस से खरीद की है, अन्य मामले में विष्णु अग्रवाल द्वारा दायर जमानत याचिका उच्च न्यायालय झारखण्ड बीए-10166/2023 दिनांक 12.01.2024 में पारित आदेश में न्यायालय ने स्पष्ट लिखा है कि जमीन मालिक को आरोपी नहीं बनाया गया। पृष्ठ संख्या 20 के पारा पांच साथ ही इन अधिकारियों ने आरोपियों को लाभ पहुंचाने के लिए उच्च न्यायालय झारखण्ड को भी गुमराह किया है। जिसमें प्रवर्तन निदेशालय द्वारा बताया गया है कि जमीन में मनी लॉन्ड्रिंग नहीं है।

जबकि इस जमीन में 15 करोड़ के सेल डीड में तीन करोड़ का ही भुगतान किया गया है। 12 करोड़ का फर्जी भुगतान दिखाया गया है। स्पष्ट है कि मनी लॉन्ड्रिंग का मामला है। मगर आरोप विष्णु अग्रवाल को जमानत में लाभ पहुंचाने के लिए ऐसा किया गया ताकि पीएमएलए एक्ट में कार्रवाई न हो। साथ ही इस मामले में कोई भी प्राथमिकी या शिकायतवाद पंजीकृत नहीं की गई है। समीर कुमार सिन्हा का कहना है कि उनके द्वारा प्रेषित आवेदन में वर्णित शिकायत उच्च न्यायालय के आदेश से स्पष्ट रुप से इन अधिकारियों का भ्रष्टाचार में संलिप्त होने का दोष सिद्ध करता है।

समीर कुमार सिन्हा का कहना है कि विष्णु अग्रवाल रांची के चर्चित न्यूक्लियस मॉल के मालिक है। आज से 15 वर्ष पूर्व यह एक पीडीएस डीलर थे। राजनेताओं के संपर्क में आने से और उनके काले धन के उपयोग कर रांची में बड़ी-बड़ी व्यवसायिक वाणिज्यिक मॉल, भवन एवं कई विवादित जमीन का खरीद किया है। जो जांच का विषय था।

न्यूक्लियस मॉल के संदर्भ में कहना है कि इस मामले में एक जनहित याचिका दायर की गई थी कि यह मॉल का निर्माण अवैध है, जिसमें सरकारी भूमि का उपयोग किया गया है। उच्च न्यायालय ने इस संदर्भ में प्रवर्तन निदेशालय को स्थिति स्पष्ट करने को भी कहा था। इस मामले को भी प्रवर्तन निदेशालय को अभियोजन शिकायत दर्ज करना था मगर आरोपी विष्णु अग्रवाल को लाभ पहुंचाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी यहां भी उच्च न्यायालय को गुमराह किया है।

समीर कुमार सिन्हा का कहना है कि वे निष्पक्ष जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय के आह्वान पर प्रवर्तन निदेशालय के समक्ष अपना खुद का नुकसान कर घोटाले को उजागर करना चाहते थे, मगर इस तरह जांच होगी। इसकी आशा नहीं थी। इसके बावजूद यदि उनके द्वारा लगाये गये आरोप यदि गलत पाये गये तो देश के कानून के तहत सजा जो भी मिले, वे भुगतने को तैयार हैं। अतः झारखण्ड प्रवर्तन निदेशालय के ऐसे अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज कर अविलम्ब कार्रवाई की जाये।