अपनी बात

पहचानिये रांची के तथाकथित महान क्रांतिकारी लोगों को जो तख्तियां पकड़ने में भी भेदभाव करते हैं

पहचानिये इन्हें, ये हैं तथाकथित महान क्रांतिकारी लोग, मानवीय मूल्यों को लेकर जीनेवाले लोग, ये देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी जहां-जहां मानवता के साथ खिलवाड़ होता हैं या दमन होता हैं, ये उसके खिलाफ तख्तियां लेकर रांची के विभिन्न चौक-चौराहों पर पहुंच जाते हैं, प्रदर्शन करते हैं, पर जरा इनसे पूछिये कि भारत या विश्व के दूसरे देशों जैसे कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान या भारत के कश्मीर में ही हिन्दूओं व सिक्खों पर जूल्म होते हैं तो आखिर ये उनके लिए तख्तियां लेकर क्यों नहीं पहुंचते? उत्तर आपको मिल जायेगा।

ये हमेशा एक खास वर्ग-समुदाय के लिए रोना रोते हैं, पर कभी समग्रता में विश्वास इन्होंने किया ही नहीं, जरा देखिये कश्मीर में इस्लामिक आतंकियों ने कैसे खुन की होली खेली है, कैसे वहां हिन्दू-सिक्खों को गोली से मारना शुरु किया है। देश में तो चर्चा हो रही है कि कही कश्मीर में 1990 के हालात फिर से न आ गये हो। चूंकि देश की सरकार ने धारा 370 और 35ए को समाप्त कर वहां के अलगाववादियों और आतंकियों को बेहतर जवाब दिया है, जिससे वहां के अलगाववादी समूहों में बेचैनी है, उसी का परिणाम है कश्मीर में हिन्दूओं और सिक्खों पर हुआ हमला और उनकी हो रही मौतें।

आज पूरा देश कश्मीर में हुए इस नृशंस हत्या को लेकर आक्रोशित हैं, पर इनका आक्रोश लखीमपुर खीरी में ज्यादा दिख रहा है, क्योंकि इससे राजनीतिक रोटियां सेकने में मजा आता है, तथा भाजपा को नीचा दिखाकर कांग्रेस को मजबूत करने में आनन्द आता है, जबकि सच्चाई इन्हें भी पता है कि यूपी, उत्तराखण्ड में जब भी चुनाव होंगे, वहां भाजपा ही आयेगी, जबकि पंजाब में कांग्रेस की बत्ती गुल होनी तय है।

कमाल है, आंदोलन में भी लाश की राजनीति कहां से आ गई, अगर आप जनसंगठन में हैं, तो आप समग्रता में सोचिये, आपके लिए हिन्दू,मुस्लिम, सिक्ख, इसाई, बौद्ध, जैनी आदि सभी एक हैं, पर लखीमपुर पर केन्द्र सरकार को घेरोगे और कश्मीर कांड पर चुप्पी साधोगे तो अंगूलियां आप पर भी उठेगी, याद रखिये। ऐसे भी आपलोगों की इन हरकतों के बारे में सभी जानते हैं। आज तक मैंने कभी इनलोगों को कश्मीर में हिन्दूओं-सिक्खों पर होते अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाते नहीं देखा और न ही वहां आतंक का राज चला रहे किसी आतंकी के खिलाफ आवाज बुलंद करते देखा, यही इनकी असलियत है, यही सच्चाई है।