अपनी बात

सेवानिवृत्त न्यायाधीश नरेन्द्र नाथ तिवारी अगले आदेश तक बने रहेंगे विवेकानंद विद्या मंदिर के प्रशासक

झारखण्ड उच्च न्यायालय में कल अभय कुमार मिश्र के द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई हुई। पूर्व में झारखण्ड उच्च न्यायालय ने 03.03.2022 को याचिकाकर्ता के द्वारा हस्तक्षेप याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड उच्च न्यायालय में विवेकानंद विद्या मंदिर व श्रीरामकृष्ण सेवा संघ के लिए प्रशासक नियुक्त किया था तथा यह भी निर्देश दिया था कि दिनांक 07.07.2022 पूर्वाह्न में सचिव अभय मिश्र के द्वारा प्रभार न्यायाधीश नरेंद्र नाथ तिवारी को सौंप देना है।

इस आलोक में बहस के दौरान याचिकाकर्ता द्वारा पूरक शपथ पत्र दायर कर न्यायालय को बताया गया कि पूर्व के आदेश का अनुपालन किया जा चुका है तथा न्यायालय के निर्देशानुसार प्रभार न्यायाधीश को सौंप दिया गया है व सेवानिवृत्त न्यायाधीश ने दिनांक 14.03 2022 को पदभार ग्रहण कर लिया है‌। प्रशासक का मानदेय तय कर दिया जाए, याचिकाकर्ता के तरफ से कोई आपत्ति नहीं है।

जिस पर प्रतिवादी के अधिवक्ता महेश तिवारी ने आपत्ति दर्ज कराई। बहस के उपरांत दोनों पक्षों की सहमति से प्रशासक का उच्च न्यायालय के द्वारा मानदेय 1.5 लाख प्रति माह निर्धारित किया गया। प्रतिवादी के अधिवक्ता के द्वारा हस्तक्षेप याचिका दायर कर अनेक प्रकार के आरोप लगाए गए थे तथा अवमानना चलाने का निवेदन किया गया था।

उच्च न्यायालय ने उस याचिका को खारिज करते हुए याचिका की सुनवाई जून माह में निर्धारित की। हस्तक्षेप याचिका में बहस के दौरान प्रतिवादी के अधिवक्ता महेश तिवारी के द्वारा यह बिंदु भी उठाया गया कि अभय मिश्र विद्यालय जाते हैं‌। उन्हें विद्यालय जाने से रोका जाए, न्यायालय ने इस प्रकार का कोई भी आदेश पारित करने से इंकार कर दिया और कहा कि इस प्रकार का कोई भी आदेश किसी भी व्यक्ति को रोकने का न्याय संगत नहीं है, ऐसा कोई भी आदेश पारित नहीं किया जा सकता।

प्रतिवादी के द्वारा दायर हस्तक्षेप याचिका को निष्पादित कर अभय कुमार मिश्र के द्वारा दायर याचिका को सुनवाई के लिए जून माह निर्धारित किया। ‌याचिकाकर्ता के द्वारा याचिका में यह बिंदु उठाए गए हैं कि निबंधन महानिरीक्षक को किसी भी निबंधित संस्था के सदस्यों का आपसी विवाद का निपटारा करने का क्षेत्राधिकार नहीं है और निबंधन महानिरीक्षक ने अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर प्रतिवादी के हित में गैर कानूनी रूप से निबंधन किया है‌।

संस्था निवेदन अधिनियम 1860 महानिरीक्षक व निबंधन विभाग को किसी भी प्रकार का संशोधन करने का प्रावधान ही नहीं है। यह भी कहा गया है निबंधन महानिरीक्षक ने अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर यह कार्य किया है, निबंधन महानिरीक्षक के द्वारा संशोधन को‌ खारिज किया जाए।