रांची प्रेस क्लब के सचिव द्वारा अध्यक्ष को निष्कासित करने को लेकर हास्यास्पद लेटर जारी, लोग चटखारे लेकर पढ़ रहे और मजे ले रहे
रांची प्रेस क्लब के सचिव ने अपनी ओर से एक लेटर जारी किया है। जिसका पत्रांक संख्या आरपीसी/आरएनसी/2023/212 है। यह पत्र आज ही यानी 22 अगस्त को जारी किया गया है। आश्चर्य इस बात की है कि इस पत्र में प्रेषक का नाम व पता दिया गया है, पर इस पत्र को किसे संबोधित किया गया है या किसको जारी किया गया है, वह उल्लेखित ही नहीं है।
अब ऐसे में यह पत्र किसको लिखा गया है, यह जानने के लिए रांची प्रेस क्लब के अधिकारी से लेकर सामान्य सदस्य तक मगजमारी कर रहे हैं, पर उन्हें पता ही नहीं चल रहा कि आखिर सचिव ने यह पत्र लिखा तो किसको लिखा? जब विद्रोही 24 ने इस संबंध में रांची प्रेस क्लब के वर्तमान पदाधिकारियों व पूर्व के पदाधिकारियों से बातचीत की, तो वे भी हैरान हैं तथा बताने में असमर्थ हैं कि यह पत्र किसको लिखा गया है?
पत्र के विषय में दिया गया है कि – अध्यक्ष को निष्कासित करने के संदर्भ में। आगे लिखा गया है कि संविधान के आधार पर जो पत्रकार रांची के बाहर के हैं या रांची जिला के बहार के हैं। बाहर तो समझ में आ रहा है, लेकिन ये बहार क्या होता है? बहार का संदर्भ किस स्थिति में किया गया है, वो भी किसी को समझ नहीं आ रहा।
आगे लिखा गया है कि रांची प्रेस क्लब के पदभार संभालना या स्वं छोड़ना होगा। अब सवाल उठता है कि आप स्वयं लिख रहे हैं कि पदभार संभालना या स्वं छोड़ना होगा तो फिर कोई जो पहले से ही पद पर बना हुआ है वो पदभार छोड़े क्यों, जबकि वो पदभार संभाले हुए हैं ही। मतलब इस पत्र को आप पढ़ेंगे तो आपके दिमाग का दही हो जाना तय है।
आगे पत्र में सात दिनों के अंदर स्पष्टीकरण भी मांगा गया है तथा क्लब के गतिविधियों से दूर रहने को भी कहा गया है तो फिर यहां सवाल उठता है कि यह स्पष्टीकरण किससे और किसको गतिविधियों से दूर रहने को कहा गया है। यह समझ नहीं आ रहा। विद्रोही24 ने जब इस संबंध में क्लब के अध्यक्ष से बात की तब उनका कहना था कि उक्त पत्र को पढ़िये और आनन्द लीजिये, इससे ज्यादा वे क्या कह सकते हैं।
इधर राजनीतिक पंडितों का कहना है कि पत्रकारों को बुद्धिजीवी माना जाता है, अगर पत्रकारों के क्लब से जुड़े किसी अधिकारी की यह भाषा है तो फिर ऐसे लोगों पर तरस भी आती हैं तथा उन पर भी तरस आती है कि ऐसे लोग इतने बड़े पद पर चुन कर कैसे आ जाते हैं या कौन लोग ऐसे लोगों को वोट देते हैं। ऐसे लोगों को भी अपने हृदय में झांकना चाहिए, क्योंकि इस दुर्दशा के जिम्मेवार तो वे खुद भी हैं।
कुछ पत्रकारों का कहना है कि अगर देश के अन्य भागों के प्रेस क्लबों या राजनीतिक दलों के कार्यालयों तक ये पत्र पहुंचेगी, जिसका पहुंचना अब तय भी हैं तो रांची प्रेस क्लब की कितनी बड़ी इज्जत जायेगी, इसकी परिकल्पना लगता है किसी ने अभी तक नहीं की हैं, जरुरत हैं, इस प्रकार की घटना पर अविलम्ब रोक लगाने की तथा कड़ा एक्शन लेने की, पर ये एक्शन लेगा कौन?