सड़क जाम – सीएम के इमेज को नष्ट करने की कहीं कोई सुनियोजित साजिश तो नहीं
रांची का अरगोरा चौक, दिन के 10 बजे, जहां जाम होने का सवाल ही नहीं उठता और वहां सड़क जाम हो जाय, ये बात कुछ पचती नहीं, जहां जाम होना चाहिए जैसे कर्बला चौक और वहां से गाड़ियां बिना किसी दिक्कत के आराम से निकलती चली जाये, ये भी बात कुछ पचती नहीं। सीएम का काफिला, एक नहीं, कई बार सड़क जाम में फंस जाये, ये बात कुछ पचती नहीं। आज हम जान-बूझकर दो से तीन बार रांची की सड़कों पर निकले, हमें अनुभव हुआ कि कहीं कोई जाम नहीं, हां कुछ जाम करनेवाले लोग सक्रिय जरुर दीखे, ताकि बेवजह जाम की स्थिति बहाल कर दी जाये। इसमें कुछ जगहों पर पुलिस की निष्क्रियता तथा कुछ जगहों पर असामाजिक तत्वों का वर्चस्व भी नजर आया।
जब जाम होना चाहिए था, उस वक्त सड़क जाम क्यों नहीं हुआ
आश्चर्य होता है कि दुर्गापूजा, दीपावली, छठ, ईद, बकरीद जैसे पर्व आराम से बीत गये, कहीं कोई जाम नहीं दिखा, कल की ही बात ले लीजिये, ईसाई समुदाय के लोगों ने ख्रीस्तीय राजा की भव्य शोभा यात्रा निकाली, ऐसे समय में सड़क जाम आम बात होती है, पर कहीं से भी सड़क जाम की स्थिति दिखाई नहीं पड़ी, वैशाख जेठ की तरह अगहन-पुस में ऐसा लगन भी नहीं होता, जिससे सड़क जाम की स्थिति हो जाये, ऐसे में इन दिनों क्या बात हो गई कि रांची में सड़क जाम एक समस्या बनकर उभर गई।
सड़क जाम को लेकर मुख्यमंत्री रघुवर दास को हस्तक्षेप करना पड़ गया, वे नगर-निगम तक पहुंच गये। प्रोजेक्ट बिल्डिंग में अधिकारियों की इस पर विशेष बैठक बुला ली। पूरा हरमू रोड, किशोरगंज चौक, मुक्तिधाम के इलाके में बने डिवाइडर्स के कट्स रातों रात चोरों की तरह बंद किये जाने लगे। इन डिवाइडर्स के कट्स को बंद कर दिये जाने से ऐसा नहीं कि समस्या का समाधान हो गया, बल्कि समस्याएं और बढ़ गई, क्योंकि पता नहीं किस बेवकूफ ने सीएम को बता दिया कि कट्स बंद कर दिये जाने से समस्या का समाधान हो जायेगा, शायद उन्हें ये नहीं पता कि इन कट्स के बंद कर दिये जाने से समस्याएं और बढ़ेंगी, जैसा देखने को मिला, कुछ जगहों पर जहां दबाव कम था, अब उस पर लोड ज्यादा पड़ने लगा, और जहां कभी सड़क जाम नही होता था, वहां सड़क जाम होने लगा।
परेशान हो गई किशोरगंज-रातू रोड की जनता, सीएम से दूरी बनाई
आम तौर पर ज्यादातर सड़क जाम की समस्या मेन रोड और रातू रोड में होती थी, पर हरमू और किशोरगंज के इलाके में सड़क जाम ने सभी को अंदर से हिला दिया और यहां रहनेवाले लोग पहली बार संकट को झेलने के लिए सदा के लिए मजबूर हो गये, स्थिति ऐसी है कि यहां के वाशिंदों से पूछिये कि अगली बार जब कभी वोट पडेंगे तो आप किसे वोट देंगे, वे भाजपा के लिए तो ना ही शब्द का प्रयोग करेंगे, क्योंकि इनका मानना है कि भाजपा ने इनकी जिंदगी को ही तबाह कर दिया।
स्थिति ऐसी है कि लोगों को लगा है बुखार और सरकार घाव सुखाने की दवा दे रही हैं। जिस प्रकार की सड़क जाम का हौवा रांची में क्रियेट किया जा रहा है, दरअसल वह एक सुनियोजित साजिश है, जो सरकार में ही शामिल उच्चाधिकारियों की मंशा की एक उपज हैं, जिसे न तो सीएम समझ रहे हैं, और न ही यहां की जनता। उस उच्चाधिकारी का एक ही मकसद है, राज्य में ऐसी स्थिति बहाल कर दी जाय कि मुख्यमंत्री का इमेज सदा के लिए समाप्त करने के साथ-साथ भाजपा को भी सदा के लिए सत्ता से दूर करा दें, अगर यहीं हाल रहा तो भाजपा कार्यकर्ता तो पहले से नाराज है, अगर जनता नाराज हो गई तो फिर भाजपा भूल जाये, 2019 में सत्ता में आने का।
सड़क जाम को बेहतर कानून व्यवस्था से ही ठीक किया जा सकता है
अब जरा आज ही देखिये, सीएम का ये कहना कि रात्रि बाजार लगे, क्यों रात्रि में बाजार लगे, हमें सब्जी लानी है तो क्यों रात में जाये, हमें कुछ भी सामान खरीदना हो तो रात का क्यों वेट करें, ये पागलपन नहीं तो क्या हैं? आप कानून-व्यवस्था संभालिये न। जहां गड़बड़ी देखिये, चालान काटिये। जो ज्यादा दिमाग लगाये, उसे कानून का पाठ पढ़ाइये, फिर देखिये कहां सड़क जाम होता है। अगर किसी दुकान के सामने कोई गाड़ी लगा दें और आप दुकानदार को उसके लिए सजा सुना दें तो ये पागलपन नहीं तो और क्या है?
अरे जिसकी गाडी है, उस पर जुर्माना ठोकिये, फिर देखिये कैसे सुधार होता है? पर आप ये सब नहीं करके, बेकार की बातों और कामों में उलझेंगे तो आपकी इमेज को बिगाड़ने के लिए, जिन लोगों ने ठेका ले रखा है, वह भी आपके ही अनुमति से, तो ये जान लीजिये, वे 70 प्रतिशत कामयाब हो गये, अब 30 प्रतिशत ही तो बचा है, आपको जनता की नजरों में गिराने के लिए, इसलिए अभी भी वक्त हैं, चेत जाइये, अपने आस-पास के कनफूंकवों से सावधान रहिये, और कानून का शासन स्थापित करिये।
सही लिखा है..बस
30 प्रतिशत बचा है,,
बचने के लिए …लेकिन कनफुंकवे से बचे तब न।।