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पर्यावरण संरक्षण में पारम्परिक ज्ञान, वैज्ञानिक अध्ययन एवं सामुदायिकता की भूमिका महत्वपूर्ण, ‘हमारी भूमि, हमारा भविष्य, हम हैं जेनरेशन रिस्टोरेशन’ के थीम पर मना जागरूकता अभियान

वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग (झारखंड सरकार), झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद एवं सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) के संयुक्त तत्वावधान में आज विश्व पर्यावरण दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। पर्यावरण दिवस की थीम के अनुरूप गत 26 मई को शुरू हुए इस अभियान का मुख्य उद्देश्य भूमि संरक्षण को बढ़ावा देना, सुखाड़ की स्थिति से निबटने और भू-क्षरण को रोकने के मुद्दे पर जन जागरूकता फैलाना एवं सामुदायिक पहल को प्रोत्साहित करना है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वन विभाग की प्रधान सचिव सह मुख्य अतिथि वंदना दादेल ने कहा कि राज्य सरकार समावेशी विकास प्राप्त करने, पर्यावरण संरक्षण एवं सततशील प्रयासों को बढ़ावा देने हेतु प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि झारखंड पारम्परिक रूप से हरित एवं सुरम्य प्रदेश है, इसलिए हमारे सम्मलित प्रयासों से राज्य को पर्यावरण संरक्षण एवं सततशील विकास का एक उच्च मानदंड कायम रखना चाहिए। पर्यावरण एवं समाज की उन्नति के लिए हमें सततशील जीवनशैली पर आधारित पारंपरिक ज्ञान और आदिवासी समुदायों की विरासत का अनुकरण करना चाहिए।

श्रीमती दादेल ने कहा कि झारखंड देश में जलवायु परिवर्तन के लिहाज से सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में से एक है, जो लगातार सुखाड़ और भू-क्षरण की तीव्र दर की समस्या का सामना कर रहा है। इस लिहाज से इस वर्ष के विश्व पर्यावरण दिवस की थीम झारखंड के लिए विशेष महत्व रखती है। अभियान के व्यापक संदर्भ एवं उद्देश्य के बारे में प्रधान मुख्य वन संरक्षक और वन बल प्रमुख डॉ. संजय ने कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस एक प्रेरणादायी दिन है, जो हरेक व्यक्ति के योगदान के महत्व को रेखांकित करता है।

वैज्ञानिक अध्ययनों एवं देशी ज्ञान के अनुरूप स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी से हम सार्थक बदलाव ला सकते हैं। जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करने, भूमि, जल एवं वन सम्पदा के नुकसान को रोकने, लोगों की आजीविका सुरक्षित करने के लिए एक स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र का होना नितांत आवश्यक है।

झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के अध्यक्ष शशिकर सामंत ने कहा कि वैज्ञानिक समाधानों और स्थानीय स्तर पर सततशील कदम उठा कर हम जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम कर सकते हैं, वातावरण में कार्बन फुटप्रिंट को कम कर सकते हैं और सभी के लिए खुशहाल भविष्य तैयार कर सकते हैं। कार्यक्रम के दौरान मुख्य वन संरक्षक-अनुसंधान सिद्धार्थ त्रिपाठी, राजस्थान के प्रसिद्ध पर्यावरणविद् पद्मश्री श्याम सुंदर पालीवाल एवं सीड के सीईओ रमापति कुमार ने भी जलवायु परिवर्तन  एवं पर्यावरण सरंक्षण पर अपने विचार रखें।

ज्ञातव्य हो कि राज्य के सभी 24 जिलों में गत 26 मई को शुरू हुए इस अभियान ने एक हजार से अधिक गतिविधि के जरिये दस लाख से अधिक लोगों से प्रत्यक्ष संवाद स्थापित किया गया। अभियान के तहत वन विभाग, अन्य विभागों तथा शहरी स्थानीय निकायों के तत्वावधान में सार्वजनिक गतिविधि आयोजित की गईं, जिन्हें राज्य भर के सिविल सोसाइटी संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों, महिलाओं और युवा समूहों और नागरिकों द्वारा व्यापक रूप से समर्थन मिला।

कार्यक्रम में राज्य के विविध ग्रामीण इलाकों में कार्यरत संयुक्त वन प्रबंधन समितियों एवं वन सुरक्षा समितियों के प्रतिनिधियों गंगाधर महतो, चिंता देवी, अम्बिका महतो, अभिषेक आनंद, बद्री महतो एवं  शम्भू बड़ाईक को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित किया गया। साथ ही स्कूलों, कॉलेजों और सार्वजनिक स्थानों पर विभिन्न रचनात्मक गतिविधियों के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया।