सड़ा अंडा, लालू प्रसाद और भ्रष्टाचार का अब खुलकर नेताओं पर अपनी कृपादृष्टि फैलाना
दो दिन पहले पता चला कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राजद सुप्रीमो तथा चारा घोटाले में सजा काट रहे लालू प्रसाद को रिम्स में इलाज के दौरान उन्हें खाने में सड़ा अंडा परोस दिया गया। यह समाचार सुन कर हमें कोई आश्चर्य नहीं हुआ, बल्कि यह जानकर प्रसन्नता हुई कि भ्रष्टाचार ने सही में अपना कमाल दिखाना शुरु कर दिया और उसने न तो छोटे में और न बड़े में ही भेदभाव किया है।
ऐसे भी भेदभाव किसी का भी किसी से अपने समाज में सही नहीं माना जाता, ऐसे में लालू प्रसाद को सड़ा अंडा मिलना इस बात का परिचायक है कि भ्रष्टाचार में लिप्त इस कार्य में लोगों ने लालू प्रसाद पर भी उतना ही प्यार लूटाया है, जितना वे सब पर लूटाते हैं।
आम तौर पर रिम्स या अन्य जगहों पर जहां खाने-पीने की व्यवस्था है, यहीं होता है, जो संचालक होता है, वह अपने लिए बेहतर खाने-पीने की व्यवस्था करता है, और आम लोगों के लिए वह वहीं व्यवस्था करता है, जो सभी जगह चलता है, हाल ही में रेलवे शौचालय के पानी से चाय बनाने के धंधे का उजागर होना भी इसी की कड़ी है।
आम तौर पर जो नेता होता है, जो संसद या विधानसभा में बैठकर कानून बनाता है या योजनाओं को मूर्त्त रुप दे रहा होता है, उसके द्वारा बनाया गया कानून और योजनाओं का क्या हाल है? वह कौन नहीं जानता, जो नेता कानून या योजना बना रहा होता है, उसे भी उन योजनाओं में से कुछ चाहिए की आकांक्षा रहती है, कभी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा था कि वे जो भी योजनाएं बनाते है, वह गांव तक आते-आते एक रुपया पन्द्रह पैसे में कन्वर्ट हो जाता है, ये बताता है कि भ्रष्टाचार किस प्रकार हमारे रोम-रोम में बसा है, पर ये भ्रष्टाचार भ्रष्टाचारियों को कैसे निगलेगा? इसका उदाहरण अब शीर्ष पर देखने को मिलने लगा है, आज भ्रष्टाचारी भी इस भ्रष्टाचार के शिकार होकर, बर्बादी के कगार पर पहुंच रहे हैं, ये जानकर अतिप्रसन्नता हुई, ये प्रसन्नता इसलिए हुई कि शायद हमारे नेताओं को थोड़ा ज्ञान हो, और वे ऐसी व्यवस्था कम से कम कर सके, कि कोई अब योजनाओं को भ्रष्टाचार की भेंट न चढ़ा दें।
श्रीमद्भगवद्गीता तो साफ कहता है कि आप जो भी करते हैं, वह आपके पास दूसरे तरीके से रुपांतरित होकर पहुंचता है, पर पहुंचता है, जरुर, इसे गांठ बाधकर रख लेना चाहिए। लालू जी यादव समुदाय से हैं, भगवान कृष्ण के भक्त है, उनके बेटे भी, जिनकी शादी हो रही है, वे भी कृष्ण का स्वांग खुब रचते हैं, उन्हें जरुर पता होगा कि किस कर्म का फल उन्हें अभी प्राप्त हो रहा हैं, और अब खाने में बात सड़े अंडे तक पहुंच गई। मैं तो कहता हूं कि कोई व्यक्ति चाहे वह प्रधानमंत्री हो या सामान्य व्यक्ति या संतरी, उसे अपने द्वारा किये गये कर्म का फल भुगतना ही हैं।
जरा अब देखिये, भ्रष्टाचार की एक और कड़ी। बात उस वक्त की है, जब मैं ईटीवी धनबाद में कार्यरत था। पता चला कि रेलवे आफिसर विश्राम गृह का निर्माणाधीन प्रथम तल का छज्जा धड़ाम से गिर गया। जब प्रथम तल का छज्जा गिरा तब उस वक्त उसी तल पर पांच मिनट पहले, जादूगर का कार्यक्रम चल रहा था, जिसमें रेलवे अधिकारियों के परिवार अपने बच्चों के साथ मनोरंजन कर रहे थे, जैसे ही पता हमें चला, मैं घटनास्थल पर पहुंच गया, और उसी वक्त पहुंचे डीआरएम से सवाल पूछ डाला कि यहीं छज्जा पांच मिनट पहले गिरता तो क्या होता? डीआरएम के पास जवाब नही था, वे अवाक् थे। सचमुच सभी यहीं सोच रहे थे?
अभी भी वक्त हैं समझिये, सतर्क होइये, अब तो भ्रष्टाचार के शिकार वे भी होने लगे हैं, जो भ्रष्टाचार के जन्मदाता है, ऐसे में जब खुद शिकार होने लगे तो और सोचने की जरुरत हैं, अब तो आपके परिवार और आप स्वयं इसके शिकार होने लगे है, क्यों भ्रष्टाचार कर रहे है? जो इससे सीख नहीं ले रहे हैं, उन्हें सीख लेने की जरुरत हैं, नहीं तो ये भ्रष्टाचार आज इन्हें निगलने को बेताब हैं, कल आपको निगलेगा, और लोग देखेंगे, इससे ज्यादा हम और क्या कहें?