RSS में प्रेस क्लब या प्रेस क्लब में RSS, RSS को प्रेस क्लब में कब से दिलचस्पी होने लगी?
आम तौर पर माना जाता है कि आरएसएस या आरएसएस के लोग प्रचार-प्रसार से दूरी बनाए रखते हैं, वे बहुत कम अवसर पर ही स्वयं को जरुरत के अनुसार प्रकट करते हैं, पर अब चूंकि प्रचार-प्रसार का युग हैं, इसलिए अब शायद RSS व RSS के लोगों ने भी हर छोटी से छोटी बातों में भी खुद को हाइलाइट करने का वो सारा नुस्खा आजमाने में लगे हैं, जो विभिन्न राजनीतिक दलों के क्षुद्र राजनीतिक नेताओं का समूह किया करता हैं।
जरा उपर में दिये गये फोटो को ध्यान से देखिये, प्रेस क्लब के पदाधिकारियों व सदस्यों से घिरा एक व्यक्ति बीच में खड़ा मुस्कुरा रहा हैं, क्या आप बता सकते हैं कि ये सज्जन कौन है? ये हैं जनाब आरएसएस झारखण्ड के क्षेत्रीय संघचालक सिद्धनाथ सिंह। जनाब संघ के फिलहाल झारखण्ड में धाकड़ व्यक्ति माने जाते हैं, चूंकि वर्तमान में आरएसएस की राजनीतिक इकाई भाजपा की सरकार केन्द्र और राज्य दोनों में हैं, इसलिए ये भी अब इसका राजनीतिक व सामाजिक फायदा उठाने से नहीं चूकना चाहते।
कल की ही बात है, जब प्रेस क्लब के पदाधिकारियों व सदस्यों ने सीएम रघुवर दास से मिलकर राज्य के सभी पत्रकारों के लिए पेंशन, आवास तथा आयुष्मान योजना का लाभ दिलाने के लिए एक ज्ञापन देने की सोची, तब जनाब ज्ञापन देने के समय वहां मौजूद भी थे, साथ ही फोटो भी खिंचवाई, जिसको प्रेस क्लब के लोगों ने वायरल भी करवाया। अब सवाल उठता है कि एक संघ के उच्च पदाधिकारी को प्रेस क्लब के कार्यक्रमों में इतनी दिलचस्पी क्यों? क्या ये संघ का कार्यक्रम था या अपना चेहरा चमकाना था।
यहीं सवाल प्रेस क्लब के पदाधिकारियों व सदस्यों से कि वे बताएं कि उन्हें आरएसएस के क्षेत्रीय संघचालक सिद्धनाथ सिंह पर इतना प्रेम क्यों उमड़ आया? क्या उन्हें अपनी ताकत पर भरोसा नहीं, क्या उन्हें लगता है कि बिना किसी संघ के उच्च पदाधिकारी के इस राज्य में किसी भी कार्यक्रम या योजना की सफलता संभव नहीं, अगर ये सोच प्रेस क्लब के पदाधिकारियों व सदस्यों के अंदर प्रकट हो रहा है, तो निःसंदेह यह झारखण्ड की पत्रकारिता ही नहीं, बल्कि प्रेस क्लब के लिए भी घातक हैं।