जो काम CM को कराना था, जवाहर लाल शर्मा ने करा दिया, टाटा कंपनी से सभी का बीमा करवाया
सत्ययुग में राजा भगीरथ हुए, जिन्होंने अपने पूर्वजों को मुक्ति दिलाने के लिए गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाए, और भगीरथ की तरह जमशेदपुर के 75 वर्षीय जवाहर लाल शर्मा हैं, जिन्होंने जमशेदपुर में रहनेवाले सभी नागरिकों को, उनके भविष्य सुरक्षित करने के लिए, उनके परिवारों को बेहतर जिंदगी दिलाने के लिए टाटा स्टील से बीमा करवा दिया, जवाहर लाल शर्मा के इस कार्य को गति देने में मुख्य भूमिका निभाई, पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त अमित कुमार, तेज तर्रार पत्रकार अन्नी अमृता और देवाशीष सरकार ने। सचमुच अगर कोई ठान लें कि हमें ये करना हैं तो भला उसे ऐसा करने से कौन रोक सकता है, पर मन में दृढ़ संकल्प और कुछ करने का जज्बा होना चाहिए।
जवाहर लाल शर्मा मानवाधिकार कार्यकर्ता है। इन्होंने आज से तीन साल पहले सूचना के अधिकार के तहत जिला प्रशासन से सूचना मांगी कि क्या टाटा स्टील ने नए बीमा, पब्लिक लाइबिलिटी एक्ट 1991 का पालन करते हुए पूरे शहर का बीमा करवाया है? क्योंकि जब भोपाल में 2 दिसम्बर 1984 को गैस रिसाव दुर्घटना हुआ था, तब इसके बाद इस एक्ट की आवश्यकता महसूस की गई, क्योंकि उस वक्त भोपाल गैस त्रासदी में हजारों लोग मारे गये थे।
इस कानून के तहत उत्पादन में जोखिम वाले रसायन या गैस इस्तेमाल करनेवाली कंपनियों को अपने आसपास के लोगों का बीमा कराना अनिवार्य है, मगर पिछले कई सालों से टाटा स्टील जवाहर लाल शर्मा द्वारा उठाये गये सवालों का जवाब देने में आना-कानी कर रही थी, साथ ही इसका जवाब जिला प्रशासन देने में खुद को सक्षम महसूस नही कर रहा था, क्योंकि उस वक्त जिला प्रशासन की हिम्मत नहीं हो रही थी कि टाटा स्टील से इस संबंध में उक्त सवाल का जवाब पूछ ले।
सूत्र यह भी बताते है कि जमशेदपुर के ही एक और पत्रकार देवाशीष सरकार ने अपने अखबार में एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी कि एनडीआरएफ की टीम जब जमशेदपुर आई थी तब उस टीम के एक अधिकारी ने देवाशीष सरकार को बताया था कि जमशेदपुर में गैस रिसाव का बहुत खतरा है और भोपाल त्रासदी के बाद बने पब्लिक एक्ट 1991 के तहत यहां टाटा स्टील ने शहरवासियों का बीमा नहीं कराया है। देवाशीष सरकार के इस रिपोर्ट पर तत्कालीन हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने संज्ञान लिया तथा सभी पक्षों को नोटिस भी जारी किया था।
देवाशीष सरकार की रिपोर्ट पर हाई कोर्ट के संज्ञान लेने के बाद मानवाधिकार कार्यकर्ता जवाहर लाल शर्मा एमीकस क्यूरी वंदना सिंह से मिले और कहा कि वे इस मामले में कुछ कहना चाहते है, तब वंदना सिंह ने हाई कोर्ट की ओर से लिए गये इस संज्ञान में शर्मा जी को इंटरवेनर बनने की सलाह दी और जवाहर लाल शर्मा ने इस मामले में अधिवक्ता राजेश कुमार के माध्यम से इंटरवेनर पिटीशन दायर किया।
इसी बीच सीजे वीरेन्द्र सिंह रिटायर्ड हुए और सीजे मोहन्ती के पास ये मामला आया, सुनवाई प्रारंभ हुई, लेकिन एनडीआरएफ की टीम पलट गई और ये मानने से इनकार कर दिया कि उन्होंने देवाशीष सरकार से ऐसी कोई बात कही थी, तब जवाहर लाल शर्मा को सलाह मिली कि वे इंटरवीनर पीटिशन को पीआइएल बनाएं और शर्मा ने वहीं किया, लेकिन तब तक मोहंती रिटायर हो गये और मामला जस्टिस डीएन पटेल के पास आ गया, सुनवाई हुई, जिसमें शर्मा जी के पीटिशन को हाईकोर्ट ने पीआइएल मानने से इनकार कर दिया और पच्चीस हजार जुर्माना ठोका, फिर भी जवाहर लाल शर्मा रुके नहीं, सिस्टम से लड़ते रहे।
इसी बीच 2017 आ गया। जवाहर लाल शर्मा की ओर से सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी के जवाब में टाटा स्टील की ओर से जिला प्रशासन ने जानकारी उपलब्ध कराई कि टाटा स्टील ने सिर्फ अपनी कंपनी के परिसर और कर्मचारियों का ही बीमा कराया है, पूरे शहरवासियों का नहीं। जब इसकी जानकारी जवाहर लाल शर्मा के माध्यम से पत्रकार अन्नी अमृता को मिली। तब पत्रकार अन्नी अमृता ने इस मामले को अपने चैनल के माध्यम से उठाया कि कैसे टाटा स्टील नए बीमा एक्ट 1991 का उल्लंघन कर रही है?
जब न्यूज टेलीकास्ट हुई तब उपायुक्त अमित कुमार ने कड़ा रुख अपनाया और जवाहर लाल शर्मा के पत्र के आलोक में पूरी जांच कराई और टाटा स्टील पर दबाव बनाना प्रारंभ किया, जिसका परिणाम हुआ कि 2018-19 में टाटा स्टील ने पूरे शहरवासियों का बीमा करवा दिया। पूरे शहरवासियों का टाटा स्टील द्वारा बीमा करा दिये जाने से सर्वाधिक खुशी जवाहर लाल शर्मा को है।
सूत्र बताते है कि टाटा कंपनी के एससीएम एंड सोसाइटीज के हेड संजय मोहन के द्वारा जिला प्रशासन को गत 24 अप्रैल को सौंपे गये जवाब में इस बात का खुलासा हुआ है कि कंपनी की ओर से वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान कंपनी परिसर और कंपनी के बाहर के लोगों को जोखिम बीमा कराया गया है। बीमा आइसीआइसीआइ लोम्बार्ड जेनरल इंश्योरेंस कंपनी ने किया है। कंपनी इसके एवज में दो अलग-अलग प्रीमियम के माध्यम से 20 करोड़ रुपये चुकाए है। एक मद में एक साल के लिए 15 करोड़, जबकि एक मद में मात्र एक दुर्घटना के एवज में पांच करोड़ रुपये की प्रीमियम शामिल है। सचुमच बधाई जवाहर लाल शर्मा को, जिन्होंने जमशेदपुर के लाखों नागरिकों को अपने प्रयास से बीमा करवाया, जिनके बारे में जमशेदपुर के नागरिकों को भी पता नहीं था और न ही उन्होंने इसके लिए लड़ाइयां लड़ी।
जमशेदपुरवासियों की हक की लड़ाई तो जवाहर लाल शर्मा लड़ रहे थे, और इनके सहयोग के लिए खुलकर उतर गई पत्रकार अन्नी अमृता, इस लड़ाई में भूमिका निभाने को तैयार हुए देवाशीष सरकार और पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त अमित कुमार। सचमुच अगर पत्रकारिता में ईमानदारी आ जाये, अगर संघर्ष करनेवाला जवाहर लाल शर्मा जैसा ईमानदार संघर्षशील व्यक्ति हो जाये तथा सत्य को साथ देने के लिए अमित कुमार जैसा भारतीय प्रशासनिक सेवा का अधिकारी मिल जाये तो फिर दिक्कत कहां है? यानी जो काम करना था राज्य सरकार को, मुख्यमंत्री रघुवर दास को, वह काम कर दिया एक 75 वर्षीय मामूली इंसान ने।