संघ और उसके आनुषांगिक संगठन पहुंचे रघुवर की शरण में, CM ने संघ पर प्यार लूटाया
आज रांची से प्रकाशित सारे अखबारों पर नजर दौड़ाइये। सभी अखबारों में झारखण्ड सरकार की ओर से एक विज्ञापन छपा है। उस विज्ञापन को ध्यान से देखिये। आपको सब पता लग जायेगा कि संघ के लोग, कैसे सीएम रघुवर दास की शरण में जाकर, स्वयं को कृतार्थ कर रहे हैं। यह विज्ञापन स्पष्ट करता है कि अब संघ या संघ के किसी भी आनुषांगिक संगठन का कार्य होगा, तो वह कार्य बिना सीएम रघुवर की कृपा के संभव नहीं हैं।
पूर्व में संघ या संघ के आनुषांगिक संगठन के कोई भी कार्य होते थे, तो वह कार्य हिन्दू जनमानस को ध्यान में रखकर, तथा सामान्य जनों के सहयोग से प्रारम्भ होकर, सामान्य के सहयोग से ही समाप्त होते थे, पर अब जैसे-जैसे विभिन्न राज्यों में संघ की राजनीतिक इकाई भाजपा सत्ता में आई, संघ और संघ से जुड़े आनुषांगिक संगठनों के हाव-भाव और उनके क्रियाकलापों में आमूल-चूल परिवर्तन हो गये, व्यापारियों और पूंजीपतियों के समूह ने अपने निजी हितों के लिए, इसे अपना निशाना बनाना प्रारम्भ किया।
अब संघ या संघ के आनुषांगिक संगठनों के कोई भी कार्य, बिना सत्ता और बिना सत्ताधीशों के संपन्न ही नहीं होते, जरा ताजा मामला देखिये। संघ का ही एक आनुषांगिक संगठन है – प्रज्ञा प्रवाह। कहने को यह प्रज्ञा प्रवाह संघ का आनुषांगिक संगठन हैं, पर सच्चाई यह है कि यह संगठन, वर्तमान में सीएम रघुवर दास और उनके समर्थकों का एक अड्डा बन चुका है, जिसका एकमात्र काम सीएम रघुवर दास की जय-जय करना, सीएम रघुवर दास की छवि को संघ के अंदर बहुत ही सुंदर ढंग से प्रतिष्ठापित करना, ताकि संघ का कोई स्वयंसेवक या आनुषांगिक संगठन का कोई सदस्य सीएम की छवि को संघ के अंदर या नागपुर तक बिगाड़ने की हिमाकत नहीं कर सके।
चूंकि मुख्यमंत्री रघुवर दास भी संघ की भूमिका को जानते है, इसलिए प्रज्ञा प्रवाह में उनके लोग या संघ के विभिन्न आनुषांगिक संगठनों में उनके लोग जमे रहे, इसकी वे विशेष ध्यान रखते हैं, और इन सभी के माध्यम से वे अपने चेहरे चमकाने में कामयाब भी है, भले ही उनका चेहरा सामान्य स्वयंसेवकों या आम जनता के बीच में धूमिल या बदरंग ही क्यों न हो?
इसी बीच, सीएम रघुवर दास ने भी संघ से जुड़े उच्चाधिकारियों पर कृपा लूटानी शुरु कर दी है, वे ऐसे लोगों को विभिन्न सरकारी माध्यमों में चल रही, विभिन्न योजनाओं को खुलकर लाभ दे रहे हैं, पर किसी की हिम्मत नहीं कि कोई चूं बोल दें। मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र उसका सबसे सुंदर उदाहरण है।
और अब बात रांची में 27 से 30 सितम्बर तक चलनेवाले कार्यक्रम लोकमंथन 2018 की, अगर लोक मंथन कार्यक्रम से जूड़े लोगों की बातों को देखे तो पता चलता है कि लोकमंथन राष्ट्र को सर्वोपरि माननेवाले प्रबुद्धों तथा कर्मशीलों को समान महत्वपूर्ण मानते हुए एक मंच पर लानेवाला अभियान है, जिसका एकमेव उद्देश्य है भारत में भारतीय विचार तथा विचार पद्धति को पुनर्स्थापित करना।
रांची में यह कार्यक्रम संघ की आनुषांगिक संगठन प्रज्ञा प्रवाह द्वारा आयोजित किया जा रहा है, जिसमें सहयोगी राज्य सरकार भी है, अब राज्य सरकार क्यों सहयोगी बनी है? हमें नहीं लगता कि इस पर ज्यादा कुछ कहने की जरुरत हैं, जब आप सरकार की शरण में जायेंगे तो बेचारी सरकार, संघ की उपयोगिता को जानते हुए, उसे दोनों हाथों से अपने हृदय से साटने का प्रयास जरुर करेगी, वह भी तब, जबकि उसमें रहनेवाले सारे लोगों की जमात अपनी हो और जो सरकार तथा मुख्यमंत्री की छवि को चमकाने के लिए ही, उसमें शामिल हुए हो या रखे गये हो।
अब देखिये, कैसे हमारे मुख्यमंत्री रघुवर दास की कृपा से राज्य के पर्यटन, कला संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग ने आज संघ के आनुषांगिक संगठन प्रज्ञा प्रवाह के कार्यक्रम को अपना कार्यक्रम बताते हुए, सरकारी विज्ञापन निकाल दिये, जिसमें मुख्यमंत्री रघुवर दास की बहुत ही सुंदर तस्वीर लगी है, और प्रज्ञा प्रवाह जैसी संस्था को एक कोने में इस प्रकार ठेल दिया गया, जैसे लगता हो कि प्रज्ञा प्रवाह कोई सह-प्रायोजक हो, जबकि मुख्य आयोजनकर्ता प्रज्ञा प्रवाह ही है।
कमाल है, दुनिया में पहला संगठन, संघ होगा या उसकी आनुषांगिक संगठन प्रज्ञा प्रवाह होगी, जो अपनी अस्तित्व को मिटाकर, मुख्यमंत्री रघुवर दास को ही सर्वोपरि मान लिया और विज्ञापन में सीएम रघुवर दास के आगे नतमस्तक होकर खड़ा हो गया।
जिस संगठन में ऐसे लोग हो, जो अपने कार्यक्रमों के लिए सीएम रघुवर दास के आगे घूटने टेक दें, वह कार्यक्रम क्या देश व समाज को दिशा देगा? या इस कार्यक्रम से लोगों को यह समझते देर नहीं लगेगी कि, इस कार्यक्रम से किसका चेहरा चमकाने की कोशिश, कौन कर रहा हैं और किसलिये कर रहा है? हाल ही में, एक बार प्रज्ञा प्रवाह की बैठक हुई थी, जिसमें संघ के एक उच्चाधिकारी ने यह कहकर सीएम रघुवर दास की प्रशंसा कर दी कि इन्होंने झारखण्ड की बहुत सुंदर ढंग से सेवा की हैं, संघ के उच्चाधिकारी के मुख से इस बयान को सुनकर, एक निष्ठावान स्वयंसेवक ने तो यहां तक कह दिया, कि जब एक उच्चाधिकारी के मुख से ऐसे बयान, सीएम के लिए निकल रहे हैं, तो समझ लीजिये, कि प्रज्ञा प्रवाह, झारखण्ड में कैसे और किसके लिए काम कर रहा है?
फिलहाल, ये सब छोड़िये, प्रज्ञा प्रवाह में शामिल महत्वपूर्ण लोगों की लीला देखिये, उनकी तेल देखिये और तेल की धार देखिये, अगर आप सोच रहे है कि इस लोक मंथन से देश बनेगा तो निहायत आप महामूर्ख है, क्योंकि इसमें सभी अपने-अपने ढंग से सीएम की जी-हुजूरी में लगे हैं, उनकी छवि को बेहतर बनाने में लगे है, पर सच्चाई यह है कि जब कभी इलेक्शन होंगे, जनता बता देगी कि इनकी छवि कितनी धारदार है।