राजनीति

सरयू राय ने राज्य के मुख्य सचिव को लिखा पत्र, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता व स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग, झारखण्ड सरकार में हुए भ्रष्टाचार का किया विस्तार से जिक्र

जमशेदपुर पूर्व के विधायक सरयू राय ने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। उक्त पत्र स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग, झारखणड सरकार में हुए भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्रवाई के संबंध में हैं। सरयू राय ने उक्त पत्र में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के विरुद्ध लिखते हुए इस बात का जिक्र किया है कि उन्होंने कोविड प्रोत्साहन राशि घोटाले में खुद ही अनुचित तरीके से प्रोत्साहन राशि स्वयं के बैंक खाते में डालने के लिए विपत्र प्रोजेक्ट भवन कोषागार में समर्पित किया है। पूरा पत्र इस प्रकार है …

सेवा में,

मुख्य सचिव, झारखण्ड सरकार, राँची।

विषय: स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग, झारखण्ड सरकार में हुए भ्रष्टाचार के विरूद्ध कार्रवाई के संबंध में।

महोदय,

उपर्युक्त विषय में मैंने ठोस सबूतों के साथ माननीय मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव आदि का ध्यान आकृष्ट कर चुका हूँ। झारखण्ड विधानसभा में भी स्वास्थ्य विभाग, झारखंड सरकार के कतिपय गंभीर मामलों को मैं उठा चुका हूँ, जिनमें सरकार की ओर से भ्रामक उत्तर दिया गया है। वाद-विवाद के दरम्यान सरकार द्वारा दिये गये आश्वासन का भी अनुपालन नहीं हुआ है।

कोविड प्रोत्साहन राशि घोटाला में तो माननीय स्वास्थ्य मंत्री ने अनुचित तरीक़ा से प्रोत्साहन राशि स्वयं के बैंक खाता में डालने के लिए विपत्र प्रोजेक्ट भवन कोषागार में समर्पित किया है। अपने मंत्री कोषांग के नाम पर 59 कर्मियों को कोविड प्रोत्साहन राशि देने का निर्देश दिया है, जबकि मंत्री कोषांग में अधिकारियों एवं कर्मियों की संख्या मात्र 6 होती है। मैंने माननीय मुख्यमंत्री को स्वास्थ्य मंत्री के ऐसे भ्रष्ट आचरण से सप्रमाण अवगत कराया। परंतु कोई कार्रवाई नहीं हुई। उल्टे स्वास्थ्य विभाग ने मुझ पर ही ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट के अधीन मुक़दमा दर्ज कर दिया।

ऊँची दर पर दवाओं का खरीद करने और निविदा के आधार पर दवाओं की ख़रीद का न्यूनतम मूल्य निर्धारित हो जाने के बाद मनोनयन के आधार पर ऊँची दर पर दवाओं की ख़रीद करने की साज़िश स्वास्थ्य विभाग में हुई, जिसके लिए तथ्य छुपाकर स्वास्थ्य मंत्री द्वारा मंत्रिपरिषद में संलेख प्रस्तुत किया गया। मंत्रिपरिषद की आँख में धूल झोंककर सरकारी ख़ज़ाना पर करोड़ों रूपयों की चपत जान-बूझकर लगाई गई। भ्रष्टाचार के इस गंभीर मामले में भी आजतक कोई कारवाई नहीं हुई।

इसी तरह वरीय चिकित्सकों के अनियमित स्थानांतरण-पदस्थापन के मामलों की सूची मैंने सरकार को दिया। जिस वेतनमान के चिकित्सकों का स्थानांतरण-पदस्थापन का अधिकार मुख्यमंत्री और उनकी अध्यक्षता में गठित उच्चस्तरीय समिति को है, उनका स्थानांतरण-पदस्थापन भी स्वास्थ्य मंत्री ने दर्जनों बार अपने स्तर से ही कर दिया। माननीय विधानसभा अध्यक्ष ने इस बारे में सदन में नियमन दिया, परंतु इसका क्रियान्वयन भी सरकार ने नहीं किया। विधानसभा अध्यक्ष के नियमन का कार्यान्वयन सरकार ने किया होता तो स्वास्थ्य विभाग मे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा होता और दोषियों कार्रवाई हुई होती। स्थानांतरण-पदस्थापन के इस खेल का सीधा संबंध दवाओं एवं मेडिकल उपकरणों की खरीद में भारी भ्रष्टाचार से है।

स्वास्थ्य विभाग के भ्रष्टाचार का जन-स्वास्थ्य, जनहित और राज्यहित पर सीधा प्रतिकुल प्रभाव होता है, राजकोष को क्षति पहुंचती है। इसे रोकने में विफलता और इसके दोषियों पर कार्रवाई नहीं होने से भ्रष्ट आचरण करने वालों का मनोबल बढ़ता है। अफ़सोस है कि विगत वर्षों में मेरे द्वारा ठोस सबूतों के आधार पर उठाये गये और कई बार सीमांकित किये गये स्वास्थ्य विभाग के भ्रष्टाचार और स्वास्थ्य मंत्री के भ्रष्ट आचरण पर राज्य सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं किया। यदि माह जुलाई, 2024 के भीतर सरकार इस बारे में कोई ठोस कदम नहीं उठाती है, तो मुझे इस संबंध में न्यायालय की शरण लेने पर विवश होना पड़ेगा। अनुरोध है कि उपर्युक्त विवरण के आलोक में आप ठोस कदम उठाने की पहल करना चाहेंगे। सधन्यवाद,

भवदीय

सरयू राय