सरयू राय का बयान, स्वास्थ्य विभाग ने जानबूझकर स्वास्थ्य निदेशक के जांच प्रतिवेदन को छुपाने, आयुष्मान घोटाला के दोषियों को बचाने एवं दोषी चिकित्सकों और दोषी अस्पतालों को संरक्षण देने का काम किया
जमशेदपुर पश्चिम के विधायक सरयू राय ने आयुष्मान घोटाले में झारखंड सरकार के स्वास्थ्य विभाग की संलिप्तता का एक नया पहलू उजागर किया है। श्री राय के अनुसार, स्वास्थ्य विभाग ने जानबूझकर वैसे सरकारी चिकित्सकों पर कोई कार्रवाई नहीं की, जो नियम के विरुद्ध आयुष्मान के साथ सूचीबद्ध निजी अस्पतालों के साथ कार्य कर रहे थे, वहां इलाज किया या सूचीबद्ध निजी अस्पतालों ने उनके नाम पर इलाज किया हुआ दिखाया और इन्शोयेरेंस कंपनी से नाजायज पैसे का दावा किया।
झारखंड स्टेट आरोग्य सोसाइटी के तत्कालीन कार्यकारी निदेशक डॉ. भुवनेश प्रताप सिंह ने झारखंड सरकार के स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक (प्रमुख) से 3-8-2022 को पत्र संख्या 474 के माध्यम से अनुरोध किया कि वे सरकारी नेत्र चिकित्सकों एवं गैर नेत्र चिकित्सकों द्वारा पदस्थापित अस्पताल के अतिरिक्त निजी सूचीबद्ध अस्पतालों में किये जा रहे कार्य की तथ्यात्मक जांच करा कर जांच प्रतिवेदन यथाशीघ्र उन्हें उपलब्ध कराए। इस पत्र में उन्होंने कहा कि सरकार के निर्देश पत्रांक 866(3) दिनांक 15-07-2016 की अवहेलना की जा रही है।
सरयू राय ने कहा कि इस संबंध में कार्यकारी निदेशक ने झारखंड स्टेट आरोग्य सोसाइटी के कार्यालय द्वारा पत्रांक 459 दिनांक 25-07-2022 के माध्यम से स्वास्थ्य निदेशक को पूर्व में भेजे गये दिशा-निर्देश की प्रति पुनः प्रेषित की। दिशा-निर्देश में सरकारी चिकित्सकों द्वारा निजी प्रैक्टिस करने के संबंध में विस्तार से उल्लेख है। इसके अनुसार, निजी चिकित्सक की डॉक्टर के रुप में एक ही अस्पताल में कार्य कर सकते हैं तथा विशेषज्ञ के रुप में अधिकतम चार अस्पतालों में इलाज कर सकते हैं। चिकित्सक यदि चाहें तो प्रतिदिन अपने कार्यावधि तथा अस्पताल के ओपीडी के बाद ही निजी प्रैक्टिस कर सकते हैं। चिकित्सक किसी निजी अस्पताल/नर्सिंग होम/डायग्नोस्टिक सेंटर में अपनी सेवाएं नहीं देंगे।
श्री राय के अनुसार, झारखंड राज्य आरोग्य सोसाइटी के निदेशक के उपर्युक्त पत्र के उपरांत स्वास्थ्य विभाग में इस संबंध में जांच हुई और पाया गया कि बड़ी संख्या में ऐसे चिकित्सक हैं, जो दिशा-निर्देश की अवहेलना कर उन सूचीबद्ध अस्पतालों में निजी प्रैक्टिस कर रहे हैं, जो निजी अस्पताल आयुष्मान योजना के तहत सरकारी लाभ बीमा कंपनियों के माध्यम से प्राप्त कर रहे हैं।
विधायक सरयू राय ने बताया कि कई डॉक्टर तो जिस जिले में पदस्थापित हैं, उस जिले से काफी दूर के जिलों के सूचीबद्ध अस्पतालों में निजी प्रैक्टिस कर रहे हैं। एक डॉक्टर की सरकारी पोस्टिंग शिकारीपाड़ा में है पर ये गोड्डा के तीन अस्पतालों में निजी प्रैक्टिस कर रहे हैं। कोई डॉक्टर बोकारो जिला में पदस्थापित है तो वह रामगढ़ और हजारीबाग के निजी सूचीबद्ध अस्पतालों में प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहा है।
बोकारो में पदस्थापित एक डॉक्टर तो एक साथ बोकारो के 12 निजी सूचीबद्ध अस्पतालों में निजी प्रैक्टिस करते हुए दिखाए गये हैं जबकि दिशा-निर्देश के अनुसार उन्हें चार से अधिक अस्पतालों में निजी प्रैक्टिस नहीं करनी है और वह निजी प्रैक्टिस भी सरकारी अस्पतालों में अपनी ड्यूटी आवर्स के बाद ही करनी है। बोकारो के अन्य तीन डॉक्टर ऐसे भी हैं, जो जांच के दौरान छह सूचीबद्ध निजी अस्पतालों में निजी प्रैक्टिस करते हुए दिखाए गये हैं।
इसी तरह हजारीबाग में पदस्थापित चिकित्सक रांची में, कोडरमा में पदस्थापित डॉक्टर लातेहार में, रांची के रिम्स में पदस्थापित डॉक्टर खूंटी में, सदर अस्पताल गोड्डा में पदस्थापित डॉक्टर दुमका, पाकुड़, साहेबगंज और देवघर के निजी सूचीबद्ध अस्पतालों में निजी प्रैक्टिस करते हुए पाय़े गए। सदर अस्पताल पलामू में पदस्थापित एक डॉक्टर गढ़वा में, लोहरदगा सरकारी अस्पताल का सरकारी डॉक्टर जामताड़ा, पूर्वी सिंहभूम जिला तथा पश्चिमी सिंहभूम जिले के निजी अस्पताल में कार्यरत पाये गए। ऐसे अनेक उदाहरण जांच के दौरान मिले, जिसमें रांची के डॉक्टर धनबाद में, हजारीबाग के डॉक्टर गिरीडीह में निजी प्रैक्टिस करते हुए पाये गए।
जमशेदपुर पश्चिम के विधायक ने कहा कि आश्चर्य तो यह है कि अपने पदस्थापन के अतिरिक्त दूर-दराज के जिलों के निजी अस्पतालों में तथा अपने ही जिले के आधा दर्जन से अधिक निजी अस्पतालों में इनमें से कई सरकारी चिकित्सकों के नाम पर चार हजार तक ऑपरेशन किये हुए दिखाये गए हैं। उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार के स्तर पर की गई जांच में आये तथ्यों पर स्वास्थ्य विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं किया। आयुष्मान भारत कार्यालय ने ऐसे डॉक्टरों की सूची अलग से राज्य सरकार को भेजी थी परंतु यह सूची और स्वास्थ्य निदेश के जांच प्रतिवेदन को दबा दिया गया।
इस तरह से झारखंड सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने जानबूझकर आयुष्मान घोटाला के दोषियों को बचाने का काम किया। स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे चिकित्सकों से पूछताछ नहीं की कि उन्होंने अपने जिला में चार से अधिक आयुष्मान के साथ सूचीबद्ध निजी अस्पतालों में काम किया है या नहीं।
स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे निजी अस्पतालों से भी नहीं पूछा कि किस आधार पर सरकारी सेवा में कार्यरत चिकित्सकों को उन्होंने अपने यहां निजी प्रैक्टिस करने के लिए छूट दिया जबकि झारखंड स्टेट आरोग्य सोसाइटी की वरिष्ठ परामर्शी पब्लिक हॉस्पिटल नेटवर्क मैनेजमेंट ने सभी सूचीबद्ध निजी अस्पतालों को राज्य सूचीबद्धता समिति की दिनांक 29-06-2022 में हुई बैठक में लिये गए निर्णयों तथा सरकारी चिकित्सकों के निजी प्रैक्टिस से संबंधित दिशा-निर्देशों के बारे में पत्रांक 459, दिनांक-25-07-2022 द्वारा सूचित कर दिया था।
सरयू राय ने आरोप लगाया कि झारखंड में बड़े पैमाने पर मृत मरीजों का ऑपरेशन किया गया है जिसे महालेखाकार के प्रतिवेदन में उजागर भी किया गया है। हो सकता है कि ऐसे मृत मरीजों का आपरेशन इन सरकारी चिकित्सकों में से किसी न किसी का किया हुआ दिखाया गया हो। इसके साथ ही आय़ुष्मान के साथ सूचीबद्ध निजी अस्पतालों ने अपने यहां हुई चिकित्सा एवं ऑपरेशन के संबंध में जो फर्जी बिल भुगतान के लिए बीमा कंपनियों को भेजा है, इसके साथ भी ऐसे सरकारी चिकित्सकों की मिलीभगत हो सकती है।
झारखंड सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने जानबूझकर स्वास्थ्य निदेशक द्वारा दिये गए जांच प्रतिवेदन को छुपाया है तथा दोषी चिकित्सकों और दोषी अस्पतालों को संरक्षण देने का काम किया है। प्रवर्तन निदेशालय द्वारा की जा रही जांच में आयुष्मान घोटाले के इस पहलू को भी शामिल किया जाना चाहिए और स्वास्थ्य विभाग के शीर्ष स्तर की इसमें संलिप्तता को भी जांच का आधार बनाना चाहिए। कारण कि अभी तक स्वास्थ्य विभाग द्वारा ऐसे दोषी सरकारी चिकित्सकों और आयुष्मान के साथ सूचीबद्ध ऐसे दोषी निजी अस्पतालों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं किया।