ये देखिये झारखण्ड पुलिस की करतूत, बोकारो आइजी ने परिवहन विभाग भी खुद ही संभाल लिया, लाखों की वसूली के काम एक बिहारी को थमा दिया
देखिये इस पत्र को कितना शर्मनाक है और सोचिये झारखण्ड पुलिस उर्फ राजदुलारी के बारे में कि वो कितना गिर चुकी है, और उसके पतन का क्या पैमाना है? पुलिस महानिरीक्षक का कार्यालय, उत्तरी छोटानागपुर प्रक्षेत्र, बोकारो की ओर से दिनांक 17 जुलाई 2021 को वरीय पुलिस अधीक्षक धनबाद, सभी पुलिस अधीक्षक, उत्तरी छोटानागपुर प्रक्षेत्र, बोकारो को एक आदेश पारित होता है।
आदेश में लिखा है – “सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के परिपत्र संख्या आरटी 11036/60/2009 एमबीएल दिनांक 20.10.2009 तदनुसार झारखण्ड सरकार सड़क परिवहन एवं राजमार्ग विभाग का ज्ञापांक परि. वि. (स.सु.)03/2016/205 दिनांक 08.06.2018, जो केन्द्रीय मोटर वाहन अधिनियम 1869 के नियम 104/138 4 (घ) के अंतर्गत है, जिसे रोड दुर्घटना के अनुपात को देखते हुए जारी किया गया है।
उक्त नियमानुसार वाहनों पर रेड टेप लगाने से तथा वाहनों के हेड लाइट का उपरी भाग (1/3) काला करने से रात्रि में तेज प्रकाश के कारण होनेवाली दुर्घटना को रोका जा सकता है। साथ ही इलेक्ट्रानिक मशीन के द्वारा छोटे एवं बड़े वाहन के गुप्त स्थान पर उसका रजिस्ट्रेशन नंबर खुर्दरेदार अक्षरों में लिखने से चोरी की गई वाहनों का नम्बर प्लेट बदल दिये जाने के बावजूद उसकी पहचान आसानी से की जा सकती है।
आवेदक मो. हुसैन, सा. –राजापुर, थाना – मीरंगज, जिला – गोपालगंज (बिहार) मो. न. 9546942434, 6203366700 के अधोहस्ताक्षरी के कार्यालय में आवेदन समर्पित कर सूचित किया गया है कि उक्त कार्य को करने के अतिरिक्त सभी ट्रकों एवं बसों पर प्राथमिक उपचार किट तथा कोविड 19 को देखते हुए सेनिटाइजर एवं मास्क के साथ-साथ अग्निशमन यंत्र निम्नलिखित शुल्क लेकर आवेदक द्वारा उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया है।
- दो पहिया एवं तीन पहियावाहनों के लिए – 50 रुपये।
- चार चक्का एवं ट्रक के लिए – 100 रुपये।
- रिफ्लेक्टर एवं अग्निशामक यंत्र – 200 रुपये।
- प्राथमिक उपचार कीट एवं सेनेटाइजर तथा मास्क – 300 रुपये।
उल्लेखनीय है कि आवेदक भारत सरकार की रजिस्टर्ड संस्था मानव जीवन फाउंडेशन (एनसीटी रजिस्ट्रेशन नं. 575) के नियुक्त सदस्य है, जो भारतीय मोटर वाहन के सुरक्षा संबंधित जानकारी एवं प्रचार-प्रसार के लिए नामित है। इनके द्वारा झारखण्ड राज्य के अन्य जिलों में भी उक्त कार्य किया जा चुका है। अतः आप सभी को निर्देश दिया जाता है कि आवेदक मो. हुसैन जब भी उक्त कार्य करने के लिए संपर्क करें, तो अपने-अपने जिला में आवश्यक सहयोग प्रदान करना सुनिश्चित करेंगे।”
अब सवाल उठता है कि जिस राज्य में हर बात में 1932 का डोमिसाइल देखा जाता है, स्थानीयता को लेकर तलवारें तक खींच जाती हैं, वहां बिहार के व्यक्ति को सैनिटाइजर व मास्क बेचने का यहां आदेश कैसे मिल गया?
दूसरा सवाल – चूंकि ये मामला सीधे परिवहन विभाग से जुड़ा हुआ हैं तो ये सब काम परिवहन विभाग के लोग देखेंगे या स्थानीय पुलिस देखेंगी, राज्य की पुलिस देखेंगी?
तीसरा सवाल – आईजी का पत्र साफ बताता है कि ये बिहार का व्यक्ति मो. हुसैन झारखण्ड के अन्य जिलों में भी इस प्रकार का काम कर चुका है, तो झारखण्ड पुलिस उर्फ राजदुलारी खुद बताएं कि वो काम जो इस व्यक्ति के द्वारा झारखण्ड के अन्य जिलों में करवाया गया, वो गैर-कानूनी था या नहीं, और अगर गैर-कानूनी हैं तो इस गैर-कानूनी काम को किसने करवाया?
चौथा सवाल – इस व्यक्ति ने जिन-जिन पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर अवैध काम किये और लाखों कमाएं, इससे ये वसूली कौन करेगा और इस व्यक्ति द्वारा की गई अवैध वसूली के लिए उसे दंड क्या मिलेगा और कब तक मिलेगा?