हरियाणा चुनाव परिणाम देखकर प्रदेश भाजपा को ज्यादा उछलने की जरुरत नहीं, क्योंकि यहां के कार्यकर्ताओं ने प्रदेशस्तरीय नेताओं के पंच प्रण की तरह एक प्रण ले लिया है कि इस बार हर हाल में भाजपा प्रत्याशियों को हरायेंगे
हरियाणा विधानसभा के चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में जाने के बाद से झारखण्ड के वे भाजपा नेता कुछ ज्यादा ही उछलने लगे हैं। जो कल तक तो झामुमो में थे और आज भाजपा की शरण में जाकर भाजपा नेताओं के भजन गाने लगे हैं। उन्हें लगता है कि हरियाणा विधानसभा के चुनाव परिणाम का असर झारखण्ड विधानसभा चुनाव पर भी पड़ेगा। लेकिन उन्हें ये नहीं पता कि हरियाणा में कांग्रेस पार्टी अपने नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में लड़ रही थी, जो जलेबी की फैक्ट्री लगवाने में ज्यादा विश्वास करते हैं और अभी महाराष्ट्र में बैगन की सब्जी और रहर दाल कैसे बनाई जाती हैं, उसकी प्रशिक्षण ले रहे हैं।
झामुमो नेताओं का बयान अभी-अभी एक चैनल पर देखा हूं। जिन्होंने इस हरियाणा विधानसभा चुनाव परिणाम पर नारा दिया कि ‘हरियाणा तो झांकी है, झारखण्ड अभी बाकी है।’ सचमुच झारखण्ड बाकी है। क्योंकि झारखण्ड ही भाजपा को सांप सुंघायेंगा, क्योंकि यहां जो चुनाव होगा, वो राहुल गांधी के नेतृत्व में नहीं होगा। यहां जो भी चुनाव होगा, वो झामुमो नेता हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में होगा। जो हारी हुई बाजी को कैसे पलटा जाता है, वो जानता है। पर यहां तो बाजी हारी हुई नहीं, बल्कि पूर्णतः जीती हुई है।
तभी तो भाजपा झामुमो की सारी योजनाओं को कॉपी-पेस्ट कर अपनी तरफ से रजिस्ट्रेशन भी करवाने लगी है। नहीं तो मंईयां सम्मान योजना व अबुआ आवास योजना के तर्ज पर भाजपा की गोगो दीदी योजना तथा सबके लिए आवास योजना क्या है? हरियाणा के चुनाव परिणाम के बारे में जो भी व्यक्ति हरियाणा का एबीसीडी जानता है, बता देगा कि हरियाणा की जनता क्या चाहती है?
हरियाणा और झारखण्ड में एक बहुत बड़ा अंतर यह है कि हरियाणा में शहरों की संख्या अधिक है, वहां की एक बहुत बड़ी आबादी शहरों में रहती है। लेकिन झारखण्ड में अभी भी गांवों की बाहुल्यता हैं और उन गांवों में कमल के तालाब भले ही न हो, लेकिन तीर-धनुष तो हर घर में देखने को मिल जायेगा। जो यहां के आदिवासियों-मूलवासियों की बहुत बड़ी पहचान रही है।
दूसरी सबसे बड़ी बात यह है हरियाणा में भाजपा की लड़ाई सिर्फ कांग्रेस से थी। उसकी लड़ाई भाजपा के कार्यकर्ताओं या अपने लोगों से नहीं थी। लेकिन यहां भाजपा की लड़ाई झामुमो से बाद में, अपने लोगों से पहले हैं। यहां कोई ऐसा इलाका नहीं हैं। जहां भाजपा कार्यकर्ता आक्रोशित नहीं हैं। भाजपा जो गोगो दीदी योजना के नाम पर मतदाताओं का डाटा कलेक्ट कर रही है।
हमारा सलाह होगा कि भाजपा को सबसे पहले ये सब छोड़कर अपने भाजपा कार्यकर्ताओं का डाटा क्लेक्ट करना चाहिए और पता लगाना चाहिए कि उनके किस इलाके में कितने कार्यकर्ता आक्रोशित है और उनके आक्रोश का कारण क्या है? अगर ये डाटा भाजपा कलेक्ट कर लेती हैं तो उसे कुछ फायदा भी हो सकता है। नहीं तो, हेमन्त और उनके कार्यकर्ताओं ने भाजपा को समूल नष्ट करने के लिए अच्छी व्यवस्था कर दी। यही कारण है कि जो नेता झामुमो से भाजपा में गये हैं। उनके लिए भी झामुमो के मुंह से फूल ही बरसते हैं, जबकि भाजपा में ऐसा नहीं हैं।
राजनीतिक पंडितों की मानें तो जो भी नेता झामुमो से भाजपा में गये हैं या दलबदलू हैं। उनकी इस बार राज्य की जनता सबक सिखाने के लिए तैयार बैठी है। बस चुनाव आयोग द्वारा मतदान के ऐलान की घोषणा करना बाकी है। फिर देख लीजियेगा कि भाजपा कहां फेकायेगी। झामुमो की जीत का मूल कारण हेमन्त सोरेन द्वारा जनता से सीधा जुड़ाव, झामुमो के कार्यकर्ताओं का जनता और अपने नेताओं से सीधा सम्पर्क तथा सरकार की योजनाओं का जनता द्वारा लिया जा रहा सीधा लाभ है।
कल्पना सोरेन की मंईयां सम्मान यात्रा में उमड़ रही भीड़ तो झामुमो की जीत के लिए चक्रवृद्धि ब्याज का काम कर रही हैं। शायद उन नेताओं को पता ही नहीं, जो झामुमो या एनसीपी या अन्य दलों से भाजपा में गये हैं। रही बात भाजपा कार्यकर्ताओं की तो उन्होंने भी भाजपा के प्रदेशस्तरीय नेताओं की पंच प्रण की तरह एक प्रण लिया है कि इस बार भाजपा प्रत्याशी को हर हाल में हरायेंगे और सबक सिखायेंगे कि दलबदलू, धन देकर टिकट खरीदनेवाला, जमीन लूटेरा या दागी उम्मीदवार नहीं चलेगा। ऐसे में हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणाम को देखकर भाजपा के नेताओं को ज्यादा उछलने की जरुरत नहीं हैं।