झारखण्ड उच्च न्यायालय के वरीय अधिवक्ता अभय कुमार मिश्र ने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के नाम जारी किया खुला पत्र, कहा उनके लोग उन्हें तबाह करने में लगे हैं, मुख्यमंत्री समझने की कोशिश करें
झारखण्ड उच्च न्यायालय के एक वरीय व चर्चित अधिवक्ता अभय कुमार मिश्र ने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के नाम एक खुला पत्र जारी किया है। उन्होंने उक्त पत्र को सोशल साइट पर भी डाला है। जो इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। आखिर अभय कुमार मिश्र जैसे अधिवक्ता को मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के नाम खुला पत्र क्यों जारी करना पड़ा। आइये उक्त मूल समस्याओं को उनके पत्र में ही ढुंढते हैं। जो उनके सोशल साइट पर आज भी विद्यमान है। पत्र इस प्रकार है –
माननीय मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन जी,
पूर्व मे भी आपको निवेदन किया था। मैं तिनका-तिनका जोड़कर विवेकानंद विद्यालय को फर्श से अर्श पर ले गया हूं। मुझे इस संस्था से बेहद प्रेम है। मैंने एक फूटी कौड़ी भी चोरी नहीं की है। पिछले 10 वर्ष से जांच आपके करीबियों के द्वारा करवाई जा रही है। 71 मुकदमे उन्होंने किया है। 67 हार चुके हैं। मेरे अथवा संस्था के ऊपर सभी के सभी मुकदमे मिथ्या, कपोल-कल्पित व झूठ पर आधारित है।
जो आप के कुछ लोगो के निजी स्वार्थपूर्ति के लिए दाखिल किए गए हैं। आपके दो-चार व्यक्ति दिन-रात मेरे पीछे ही लगे रहते हैं, मुझे मजबूरन बचाव में लड़ना पड़ता है। जिसका प्रतिफल बहुत ही बुरा होता है। पिछली बार का प्रतिफल इतना बुरा हुआ, आपको पता है। मेरी कोई निजी लड़ाई नहीं है, मगर इस संस्था को हड़पने के लिए आपके करीबी मेरे उपर बारंबार झुठा मुकदमा करते रहते हैं। गिरफ्तारी का प्रयास करते रहते हैं। जिसमें आपके कुछ अधिकारी भी उनके साथ हो लेते हैं।
प्रथम बार, जब उन्होंने मेरे उपर मिथ्या, कपोल-कल्पित मुकदमे को बेईमानी, छल, कपट द्वारा सत्य करवा लिया तो प्रतिक्रियावश मुझे भी अनेको रिट याचिका/शिकायतवाद करनी पड़ी। जो ED, CBI जांच के लिए, सभी के सभी उच्च न्यायालय से स्वीकृत भी हुए। आप उच्चतम न्यायालय गए। सबसे अजीब बात है। जिन्होंने यह सब किया उनको कुछ नहीं हुआ। परेशानी दूसरों को हुई,आपको हुई। दोबारा वही लोग पुनः इसी प्रयास मे है। मुझे लगता है, आपके साथ के कुछ लोग आपको परेशान देख खुश होते हैं।
उनको यह पता है, वो मुझे तंग करेगे तो मैं प्रतिक्रिया करना चालू करूंगा। इससे यह स्पष्ट है, तथाकथित आपके लोग जो आपके साथ हैं, आपको शांत देखना नहीं चाहते, आपकी खुशी से उन्हें दुख है, नहीं तो वह मुझे तंग नहीं करते। खैर जो भी हो फिर से एक बार लिख देता हूं, मुझे आपसे अथवा आपके किसी व्यक्ति से निजी लडाई नहीं है, ना मनमुटाव। आप तो बहुत अच्छे व्यक्ति हैं।
मगर आपके कुछ लोग अपने स्वार्थपूर्ति हेतु इधर-उधर लगे रहते हैं। वो अपने निजी स्वार्थ हेतु आपके नाम का उपयोग कर सभी को नष्ट-भ्रष्ट करते रहते हैं। उनके नाम तो आपको पता ही है। अपना बचाव में चींटी भी काटता है मैं तो चींटी नहीं, माटा हूं। लाल माटा ( भोजपुरी मे लाला चींटा) खैर आगे आपकी मर्जी, अपने लोगो का सुने या मेरा निवेदन सुने।