अपनी बात

वरिष्ठ पत्रकार विनय चतुर्वेदी ने भाजपा सांसद दीपक प्रकाश को दिया जवाब, समाचार सत्य व तथ्य पर आधारित, नहीं मांगेंगे माफी, उलटे दीपक को मानहानि का मुकदमा का सामना करने के लिए तैयार रहने को कहा

दैनिक भास्कर के वरिष्ठ पत्रकार विनय चतुर्वेदी ने भाजपा सांसद दीपक प्रकाश द्वारा भेजे गये कानूनी नोटिस का जवाब संप्रेषित कर दिया है। अपने जवाब में विनय चतुर्वेदी ने हर प्रकार के कानूनी पहलूओं का सूक्ष्मतापूर्वक अध्ययन करते हुए, भाजपा सांसद दीपक प्रकाश द्वारा लगाये गये हर आरोपों का खंडन करते हुए साफ कहा है कि उनके द्वारा लिखित समाचार कही से भी गलत नहीं है, न झूठा है और न ही मनगढ़ंत है। इसलिए इस मुद्दे पर उन (दीपक प्रकाश) से क्षमा मांगने का सवाल ही नहीं उठता।

विनय चतुर्वेदी ने अपने अधिवक्ता संतोष सोनी के माध्यम से भेजे गये लीगल नोटिस के माध्यम से कहा है कि उनके द्वारा दी गई समाचार तथ्यों पर आधारित था। जो अखबारों के लिए बनाई गई नियमों, प्रेस कौंसिल ऑफ इंडिया द्वारा दिये गये दिशा-निर्देशों तथा भारतीय संविधान में दिये गये मूल अधिकारों के तहत था। उन्होंने अपने समाचार के माध्यम से कहीं भी समाचार देने के नियमों का उल्लंघन नहीं किया है। इसलिए आप (दीपक प्रकाश) से इस मुद्दे पर माफी मांगने का तो सवाल ही नहीं उठता, अगर उसके बाद भी लगता है कि उनको कानून का दरवाजा खटखटाना चाहिए तो वे कानून का दरवाजा खटखटाने के लिए स्वतंत्र है।

विनय चतुर्वेदी ने अपने लीगल नोटिस में इस बात का भी जिक्र किया है कि दीपक प्रकाश ने जो सोशल साइट पर उन पर यानी विनय चतुर्वेदी पर उनसे पिछले वर्ष एक करोड़ रुपये के सांसद निधि की मांग की झूठी पोस्ट की थी। उस झूठी आरोप पर उन (विनय चतुर्वेदी) का कहना है कि भाजपा सांसद दीपक प्रकाश का यह उपर्युक्त आरोप अपने आप में झूठा है और मानहानिकारक कथन को आकर्षित करता है।

विनय चतुर्वेदी के अधिवक्ता संतोष सोनी ने लीगल नोटिस में इस बात का जिक्र किया है कि उनके मुवक्किल विनय चतुर्वेदी को अलग से इस मामले पर दीपक प्रकाश को नोटिस देने का अधिकार है, क्योंकि यह कार्रवाई का एक अलग कारण है। संतोष सोनी ने कहा है कि एक विवेकशील व्यक्ति बहुत स्पष्ट रूप से समझ सकता है कि समाचार के प्रकाशन के बाद उन्होंने बिना किसी सबूत के वह मानहानिकारक कथन लिखा कि उनके मुवक्किल द्वारा संसद सदस्य निधि के रूप में एक करोड़ रुपये की मांग की गई है।

जिसे सत्यापन के बिना कभी भी वितरित नहीं किया जा सकता है और इसलिए संवाददाता संसद सदस्य निधि से एक करोड़ रुपये की मांग कर ही नहीं सकता। ऐसे भी, यह ऑडिट विनियमन के अनुसार किए गए सत्यापन पर निर्भर है। इस प्रकार दीपक प्रकाश का यही एक बयान मानहानि और एक आपराधिक कृत्य को परिलक्षित करता है।

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