शर्मनाक, ईद में भी वेतन नहीं मिला, पारा टीचर मो. सिद्दिकी ने धनबाद में किया आत्मदाह का प्रयास
फिलहाल राज्य सरकार, भाजपा कार्यकर्ता और उनके समर्थक लोकसभा चुनाव में भाजपा को झारखण्ड में मिली अपार सफलता से गदगद हैं, प्रतिदिन नवनिर्वाचित सांसदों के नागरिक अभिनन्दन में स्वयं को झोक रखे हैं, पर किसी को यह नहीं पता कि झारखण्ड के पारा टीचरों के परिवारों पर क्या बीत रही हैं? ईद सर पर हैं, पर उन्हें छः महीने से मानदेय नहीं मिला हैं, घर-परिवार के सपने, बच्चों की खुशियां तिनके की तरह बिखरते देख कई पारा टीचर आत्मदाह करने को विवश हैं।
आज एक बार फिर धनबाद में अपने परिवार के सपनों को बिखरता देख, पेट की आग में झुलसता एक पारा टीचर मो. सिद्दिकी शेख धनबाद कार्यालय के समक्ष आत्मदाह करने का प्रयास किया, जिसे मौके पर उपस्थित पुलिस पदाधिकारियों ने रोक लिया, नहीं तो क्या स्थिति होती? इसकी आप कल्पना कर सकते हैं। मो. सिद्दिकी एकीकृत पारा टीचर संघर्ष समिति के जिला सचिव हैं।
आश्चर्य की बात है कि पारा टीचरों से राज्य सरकार जमकर काम ले रही हैं, पर जब वे अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतरने को विवश होते हैं, तो उनके आंदोलनों को बेदर्दी से कुचलने में कोई कसर नहीं छोड़ते, पिछले ही साल जब पारा टीचरों ने राज्य स्थापना दिवस के दिन आंदोलन किया था, तो उस वक्त पारा टीचरों के साथ राज्य सरकार ने बड़ा ही शर्मनाक व्यवहार किया, उन पर लाठी-डंडे बरसाये, इसी दौरान आंदोलन के क्रम में एक दर्जन से ज्यादा पारा टीचरों की मौत हो गई, मामला विधानसभा में भी उठा, पर सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी।
आश्चर्य है कि पारा टीचरों में भी दो गुट हैं, एक वह हैं, जो बहुत ही निर्धन हैं, घर में खाने को, पहनने तक को नहीं हैं, वे भीख मांगने के लिए उपायुक्त तक पत्र सौंप देते हैं, वे जब देखते है कि उनके पास कोई विकल्प नहीं हैं तो वे आत्मदाह करने को विवश हैं, पर जो लोग पैसों से मजबूत हैं, वे भाजपा का झंडा ढोने में भी शर्म महसूस नहीं करते। जब विद्रोही24.कॉम ने मो.सिद्दीकी शेख से बात की, तब उनका कहना था कि क्या करें, उन्हें समझ नहीं आ रहा कि ऐसी स्थिति में जबकि ईद सर पर खड़ा हैं, पर उनके पास कुछ भी नहीं कि वे अपने बच्चों व परिवार को ईदी भी दे सकें, ऐसे में उनके पास विकल्प ही क्या है?
इधर एकीकृत पारा टीचर संघ ने आज की घटना को गंभीरता से लिया हैं, तथा एक बार फिर राज्य सरकार के खिलाफ जोरदार आंदोलन चलाने के लिए तैयार हो रहा हैं, अगर ऐसा होता हैं तो समझ लीजिये कि एक बार फिर राज्य में शिक्षा व्यवस्था चौपट हो जायेगी और सरकार और उनके अधिकारियों की क्रूरता इन पारा टीचरों पर फिर बरसेगी, अंततः इन पारा टीचरों को ही बेमौत मरना होगा।