अपनी बात

धिक्कार हैं ऐसे पत्रकारों/संपादकों पर, जो नेताओं के पैर छूते हैं

जी बिहार-झारखण्ड, एक क्षेत्रीय चैनल है। इस चैनल की ओर से  पिछले दिनों यानी 26 मार्च को पटना के एस के मेमोरियल हॉल में एक शाम जवानों के नाम कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में राज्य के बड़े-बड़े, बहुत बड़े-बड़े नेता आमंत्रित थे। उनके स्वागत में खुद, जी बिहार-झारखण्ड के संपादक स्वयं प्रकाश मुख्य द्वार पर खड़े थे। उनका स्वागत करने का अंदाज इन दिनों सोशल साइट पर चर्चा का विषय बना हुआ है।

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आश्चर्य इस बात की है कि घटना 26 मार्च की है, पर वायरल आज हो रही है। ये विजुयल किसी ने बहुत ही प्रेम से, बड़े ही आराम से संप्रेषित किया है। संप्रेषण के क्रम में भेजनेवाले ने लिखा है कि देखिये ये है बिहार के एक क्षेत्रीय नंबर वन टीवी चैनल के संपादक, इनको देखकर पूरा वास्तविक पत्रकार बिरादरी के सिर शर्म से झूक गया हैं। महाशय लाइभ में ही मोदी-नीतीश का पैर छूकर आशीर्वाद ले रहे…और यह सब कुछ उन्हीं के चैनल पर लाइभ चलता रहा।

सचमुच, जिसके अंदर भी थोड़ा सा जमीर होगा, पत्रकारिता हृदय में हिलोरे मारता होगा, वह ये सब किसी जिंदगी में नहीं करेगा, किसी को देखकर अभिवादन करना, उसका स्वागत करना, हमारी परपंरा है, हमारी संस्कृति है, पर नेताओं के आगे कलम के सिपाही का इस कदर खुद को झुकाना, आज की गिरती पत्रकारिता का सुंदर उदाहरण भी है। सवाल उठता है कि आखिर एक संपादक, किसी नेता के आगे इतना क्यूं झूकता हैं? क्या मजबूरी है? आखिर वह इतना झूककर पैर छूकर क्या प्रदर्शित करना चाहता है? क्या मिलता है? उसे नेताओं की जी-हुजूरी करने या पैर छूने से। आखिर वह ऐसा करके, अपने यहां कार्य कर रहे लोगों को क्या संदेश दे रहा है?

इधर बिहार एवं झारखण्ड में अपनी पत्रकारिता का धाक जमा चुके वरिष्ठ पत्रकार गुंजन सिन्हा अपने फेसबुक पर लिखते है कि अभी किसी ने एक विजुअल भेजा है, जिसमें जी बिहार –झारखण्ड के संपादक स्वयं प्रकाश मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी के चरण स्पर्श कर रहे है, ऐसे चारण संपादकों की सार्वजनिक भर्त्सना होनी चाहिए,  जनता को मालूम होना चाहिए कि कौन से सरीसृप उसके पत्रकार प्रतिनिधि है तथा पत्रकारिता में इनकी शिक्षा-दीक्षा कहां हुई है?

इन्हीं के वॉल पर वरिष्ठ पत्रकार देवप्रिय अवस्थी लिखते है, धन्य है ऐसे संपादक, धिक्कार है उन्हें। हालांकि विश्व के सबसे ज्यादा प्रसार संख्यावाले अखबार के संपादक-मालिक भी एक समय देश के सबसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री के पैर छूते रहे है। ऐसे हम आपको बता दें कि एक नई पीढ़ी अब तैयार हुई है, जो अब नेताओं को पांव छूने में शान समझती है, जैसे ही वह नेता उसे बाइट या एक्सक्लूसिव इंटरव्यू दे देता है, या उसकी कोई काम करा देता है, वह उस नेता को अपने मां-बाप से भी बड़ा मानते हुए, उसके आगे स्वयं को समर्पित कर देता है, इसलिए यह एक नई संस्कृति का आगाज है, आत्मसात करिये… सोचियेगा कि हर कोई पराड़कर और विद्यार्थी ही आज के युग में मिल जाये तो ऐसा नहीं न होगा, क्योंकि नये लोगों को कई गुरु ऐसे भी मिले हैं, जो उन्हें “जीना सिखा दिया” है। समझे या नहीं।