अपनी बात

शर्मनाक, क्या रांची के पत्रकार इतने गये-गुजरे हैं कि वे अपने लिए दो जून की रोटी का भी प्रबंध नहीं कर सकते?

बस अब यही बाकी रह गया था रांची प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष पिंटू दूबे, उसे भी आपने पूरा कर दिया। आपने वो काम किया, हमें लगता है कि जिसके पास थोड़ा सा भी स्वाभिमान होगा, वो इस प्रकार का काम अपने जिंदगी में नहीं कर सकता। क्या रांची का पत्रकार इतना गया-गुजरा है कि वह अपने और अपने परिवार के लिए दो जून की रोटी का प्रबंध नहीं कर सकता? और अगर ऐसा हैं तो यह सारे मीडिया संस्थानों, और मीडिया के नाम पर चल रहे सारे संघों/क्लबों तक के लिए डूब मरने की बात है।

रांची प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष पिंटू दूबे, जरा आप रांची महानगर कांग्रेस कमेटी का प्रेस विज्ञप्ति देख लीजिये, उसने पूरे पत्रकार बिरादरी की बैंड बजा दी है, इस बैंड बजाने पर मुझे एक सवाल पूछने का आपसे मन कर रहा हैं? जरा आप ही बताइयेगा कि आपने किसी नेता को इस प्रकार से अनाज के थैले पकड़ते देखा है, अगर देखा हो, तो जरुर बताइयेगा, पर आपने इन कांग्रेसियों से जो पत्रकारों/कैमरामैनों को अनाज की थैली उछल-कूद कर थमवाई, वो किसी भी स्वाभिमानी पत्रकार के लिए डूब मरने की बात है। अरे प्रेस विज्ञप्ति देखिये, वो क्या लिख कर सभी को संप्रेषित किया –

“भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी के पुण्य तिथि के पूर्व दिवस पर रांची महानगर कांग्रेस कमेटी द्वारा स्वास्थ्य सुरक्षा पखवाड़ा महानगर कांग्रेस अध्यक्ष संजय पांडे के नेतृत्व में आरंभ किया गया। इस अवसर पर आज कोरोना की दूसरी लहर में समाज के लिए वास्तविक रूप से कोरोना वारियर्स का कार्य कर रहे स्वतंत्र एवं निष्पक्ष तथा विभिन्न समाचार पत्रों एवं चैनलों से जुड़े कैमरामैन तथा पत्रकार बंधुओं के बीच रांची प्रेस क्लब के पिंटू दुबे के पहल पर 50 पत्रकारों के बीच राशन वितरित किया गया”।

कितने शर्म की बात है, कि प्रेस विज्ञप्ति में आपका नाम सुनहले अक्षरों में लिखा गया हैं, वह भी यह कहकर की रांची प्रेस क्लब के पिंटू दूबे के पहल पर 50 पत्रकारों के बीच राशन वितरित किया गया, यानी आपके माध्यम से पूरे रांची के नागरिकों को पता लग गया कि रांची में भूक्खड़ पत्रकार भी हैं, जिनकी संख्या 50 हैं और पिंटू दूबे की पहल पर काग्रेसियों ने उनके भूख की शांत करने के लिए 50 थैलियों में राशन की व्यवस्था कर दी, वह भी राजीव गांधी की पुण्य तिथि के अवसर पर।

क्या आपने इसके लिए अपने रांची प्रेस क्लब के अध्यक्ष या महासचिव से पूछताछ की, या अन्य से इस पर विचार-विमर्श किया? हमें पूरा विश्वास है कि आपने किसी से पूछताछ नहीं किया होगा, क्योंकि मैं देख रहा हूं कि रांची प्रेस क्लब में सारे अधिकारी अपने मन के मालिक है, जो चाहे जो करते हैं, किसी को सम्मान से कोई मतलब ही नहीं हैं, होगा भी कैसे? सम्मान के बारे में वही जानेगा, जो सम्मान को समझेगा।

पिंटू दूबे एक लोकोक्ति है – पंडित जी, अपने तो गये ही, साथ ही साथ यजमान को भी लेते चले गये। ठीक आपने भी वहीं किया, आपने अपनी सम्मान को तो जो चूना लगाना था, लगाया ही, बाकी स्वाभिमानी पत्रकारों के सम्मान पर भी बट्टा लगा दिया। खुशी इस बात की है कि आपके इस हरकत पर रांची प्रेस क्लब के लोगों ने भी नाराजगी व्यक्त की है, और इसे गलत बताया, तथा आपकी जमकर आलोचना कर रहे हैं, पर आप सुधरेंगे, ऐसा हमें नहीं लगता।

ऐसी ही हरकत, आपलोगों ने पिछले साल भी की थी, एक एनजीओ तथा एक अन्य संस्थान के आगे भोजन के लिए हाथ फैलाया था, जिसको लेकर विद्रोही24 ने अंगूलियां उठाई थी, हमें लगा कि आप सुधर गये होंगे, पर आप क्यों सुधरेंगे भाई, लगे रहिये, आज कांग्रेस के आगे हाथ पसारे हैं, कल भाजपाइयों, फिर राजद के पास इसी तरह हर राजनीतिक दलों के कार्यालय में इस प्रकार की पहल करने का अनुरोध कीजिये, सभी व्यवस्था कर देंगे, क्योंकि आप सामान्य थोड़े ही हैं, आप तो रांची प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष है।

इसी तरह पत्रकारों के सम्मान का जनाजा निकालते रहिए, ऐसे भी कुछ पत्रकार आपको मिल ही जायेंगे, जो थैले में रखे अनाजों को लेने के लिए आपके इस कार्य की प्रशंसा भी कर देंगे, क्योंकि मैं खुद देख रहा हूं कि लाखों का कैमरा ढोनेवाला, हजारों रुपये का लेंस रखनेवाला एक कैमरामैन भी बड़े उत्साह से कांग्रेसी राशन पकड़ने के लिए लालायित था।