अपनी बात

कांग्रेसी-वामपंथी विचारधारा से जुड़े पत्रकारों को लगा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने अर्नब को दी जमानत, महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ SC की कड़ी टिप्पणी

अर्नब गोस्वामी को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है, पर जमानत की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जो प्रतिक्रिया दी है, वो बताने के लिए काफी है कि अगर कोई सरकार या निचली अदालत गलत फैसले लेगी, तो सुप्रीम कोर्ट उस व्यक्ति को न्याय दिलाने में तनिक भी देर नहीं करेगा। जिस मामले में अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी हुई और उसके बाद ताबड़तोड़ जिस प्रकार महाराष्ट्र सरकार और वहां की पुलिस अर्नब गोस्वामी के खिलाफ केस पर केस दर्ज किये जा रही थी, उनकी ये हरकते बताने के लिए काफी था कि उनके इरादे कम से कम अर्नब को लेकर नेक नहीं थे।

सोशल साइट पर तो यहां तक लोग खुलकर बोलने लगे थे कि महाराष्ट्र सरकार का इरादा अर्नब गोस्वामी को दीपावली तक जेल में रखने का हैं, पर जिस प्रकार से सुप्रीम कोर्ट ने आज जमानत दे दी, उससे मुंबई हाई कोर्ट और उद्धव सरकार भी सकते में होगी, क्योंकि उनके दिलों पर सुप्रीम कोर्ट ने आज अपने फैसले से वज्रपात जो कर दिया। अब अर्नब दिपावली के दिन अपने घर में होंगे, अपने इष्टमित्रों के साथ दिपावली का आनन्द लेंगे। ऐसे भी जिस प्रकार से अर्नब के पक्ष में देश के अधिकांश लोग खड़े हुए, वो बताता है कि कोई भी सरकार किसी भी व्यक्ति के खिलाफ गलत करेगी तो भारतीय जनमानस उसके खिलाफ उठ खड़ा होगा, जैसा कि अर्नब मामले में देखने को मिला।

राहत तो उन कांग्रेसी-वामपंथी पत्रकारों को भी मिली होगी, जो किसी न किसी मामले में विभिन्न अदालतों में केस लड़ रहे हैं, जिन्हें कोई भी राज्य सरकार जब चाहे, तब जेल में भेजने की तैयारी में जुटी है, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से उन्हें जरुर राहत मिली होगी कि जब उन पर भी कोई सरकार ऐसा अत्याचार करेगी तो सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी उनके साथ होगा, हालांकि अर्नब प्रकरण पर कांग्रेसी व वामपंथी विचारधारा से ओत-प्रोत पत्रकारों ने जिस प्रकार की हरकतें की हैं, वो शर्मनाक है। इन पत्रकारों को जब भी मौका मिला, इन्होंने अर्नब को गालियों से नवाजा, तथा जमकर अपनी भड़ास निकाली, पर वे भूल गये कि कौआ, कौआ का मांस नहीं खाता और आनेवाले समय में, वे भी जब किसी राज्य सरकार या पुलिस के कोपभाजन के शिकार बनेंगे, तो उनका भी अर्नब से ज्यादा हश्र खराब हो जायेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने ठीक ही कहा कि किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत आजादी पर बंदिशें लगाना, न्याय का माखौल उड़ाना है। न्यायाधीश धनंजय वाइ.चंद्रचूड़ और न्यायाधीश इन्दिरा बनर्जी की बेंच द्वारा दिये गये फैसले लोगों में न्यायालय के प्रति संवेदना जगा दी है, इस बेंच ने ठीक ही कहा कि अगर राज्य की सरकारें लोगों को निशाना बनायेंगी तो उन राज्य सरकारों को इस बात का एहसास होनी ही चाहिए कि नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा हेतु देश में सर्वोच्च न्यायालय भी है।

सर्वोच्च न्यायालय ने साफ कहा कि मतभिन्नता और विचारधारा को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि अगर सरकार इस आधार पर लोगों को निशाना बनायेंगी तो यह गलत है, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि होना तो यह चाहिए था कि महाराष्ट्र सरकार अर्नब के ताने पर ध्यान ही नहीं देती, अगर आपको इनकी विचारधारा पसन्द नहीं है, तो आप चैनल को नापसंद कर सकते हैं, लेकिन इस प्रकार की हरकतें सही नहीं, क्योंकि भारत का लोकतंत्र असाधारण तरीके से लचीला है।