सिद्धार्थ त्रिपाठी का प्रयास रंग लाया, मेरी रांची मेरी जिम्मेवारी अभियान में योगदा से जुड़े सत्यमजी ने आज 41 पौधे हरमू मुक्तिधाम परिसर में लगवाएं
“मेरी रांची मेरी जिम्मेवारी” अभियान के तहत मंगलवार को हरमू मुक्तिधाम परिसर को हरा-भरा करने की शुरूआत की गई। अपने दादा-दादी शीशा महाराज और अत्रि देवी तथा माता-पिता वीणा शर्मा और शिव भगवान शर्मा की याद में सत्यनारायण शर्मा सत्यम ने उक्त परिसर में 41 पौधे लगवाये। जिनमें रूद्राक्ष, चंदन, पीपल, मौलश्री, महोगनी, चंपा, पारिजात, सीता, अशोक आदि शामिल हैं। सत्यम जी ने इसके लिए पूर्व में मेहनत भी खूब किया।
उन्होंने काफी पहले गड्ढे खुदवाकर उनमें आवश्यक खाद और अन्य सामग्री भरवा दी थी, जो आम तौर पर कोई नहीं करता। पौधा रोपण अभियान के इस सुअवसर पर राज्य निर्वाचन आयोग के पूर्व अध्यक्ष सेवानिवृत्त वरीय आइएएस अधिकारी एनएन पांडेय, इस अभियान की परिकल्पना करने वाले मुख्य वन संरक्षक सिद्धार्थ त्रिपाठी, एचइसी के पूर्व सीएमडी अविजीत घोष, पलांडू हॉर्टिकल्चर सेंटर के पूर्व निदेशक डॉ शिवेंद्र कुमार, रांची सिविल सोसाइटी के विकास सिंह और आरपी शाही, प्रो.हरविंदर सिंह, चेंबर के अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबड़ा, मारवाड़ी सहायक समिति के अध्यक्ष प्रदीप राजगढ़िया, योगदा सत्संग आश्रम के डॉ जीएस मंगत, सेवा सदन ट्रस्ट के कमल केडिया, वार्ड पार्षद अरुण कुमार झा आदि ने पौधे लगाये।
सत्यनारायण शर्मा ने कहा कि वे इन पौधों के वृक्ष बनने तक बच्चों की तरह इनकी सेवा और देखभाल करेंगे। उन्होंने अपने दादा जी द्वारा पौधारोपण और रांची की सेवा के संबंध में बताया कि 1947 से पूर्व रांची पहाड़ी जाने का रास्ता दक्षिण की ओर था, जो अब उत्तर दिशा की ओर है। अपर बाजार निवासी स्वर्गीय सागरमल चौधरी एवं शीशा महाराज के द्वारा उस सीढ़ी का निर्माण कराया गया था, जिस पर आज लोग चलते हैं।
यह कार्य देश की आजादी के दो वर्षों बाद पूर्ण हुआ। सीढ़ी निर्माण में स्व. सागरमल चैधरी के 2500 और स्व. शीशा महाराज के 650 रुपये लगे थे। शीशा महाराज ने आठ महीने अनवरत आठ घंटे बैठकर उस सीढ़ी का नाम निर्माण करवाया था। उस समय जो भी श्रद्धालु पहाड़ी मंदिर जाते थे, उन्हें पीने का पानी एवं एक मुट्ठी चना शीशा महाराज देते थे, ताकि उनकी थकान मिट जाये और उनका मन भी खिल उठे।
पहाड़ी मंदिर के दरवाजे के समीप भक्तजनों की यह सेवा पहले लट्टू वर्मा एवं बाद में उनके पुत्र जगन्नाथ वर्मा किया करते थे, जिन्हें बतौर पारिश्रमिक सात रुपये मासिक शीशा महाराज देते थे। रांची पहाड़ी के मुख्य द्वार के पास जितने भी वृक्ष लगे हुए हैं, वे सभी शीशा महाराज और उनकी धर्मपत्नी अत्रि देवी ने 1950-60 के बीच लगाया था। उसी से सबक लेकर उनकी याद में और यह मानकर मुक्तिधाम परिसर में पौध रोपण किया गया है कि प्रकृति की सेवा ही परमात्मा की सेवा है।
सत्य नारायण शर्मा योगदा सत्संग मठ से भी जुड़े हैं। जब भी योगदा सत्संग मठ में कुछ भी विशेष आयोजन होता है, योगदा के संन्यासियों और मठ की सेवा में वे आगे रहते हैं, जिन्हें सभी ने देखा भी है और महसूस भी किया है। इधर “मेरी रांची मेरी जिम्मेवारी” अभियान की पूरे शहर में चर्चा है, और ये इसमें भी तन-मन-धन तीनों से शामिल है।
इधर इस अभियान के चर्चा का मूल कारण रांची को हरा – भरा रखना और उसकी जिम्मेवारी महसूस करना है। हालांकि पूर्व में भी रांची को हरा-भरा करने का सरकारी प्रयास हुआ। कहने को तो एक ही बार में लाखों वृक्ष लगा दिये गये, पर वे वृक्ष कहां हैं? खुद लगाने-लगवाने वालों को ही पता नहीं। लेकिन इस अभियान में माजरा ही कुछ उलट है।
इसमें हैं कि आपको स्वयं प्रयास करना है, कि रांची हरा-भरा दिखे और यह भी शत् प्रतिशत सत्य है कि जब तक किसी अभियान में जनता की सहभागिता नहीं होगी, वो अभियान कभी सफल हो ही नहीं सकता। दूसरी बात, ऐसा अभियान तभी सफल होता है, जब कोई ऐसा व्यक्ति सामने आता है, कि जिसके क्रियाकलापों पर जनता को ये विश्वास हो जाता है कि ये सही हैं, ये गलत नहीं कर सकता और लीजिये फिर क्रांति और बदलाव से कौन रोक सकता है।
यहां रांची में अभी यहीं हो रहा है। सचमुच जिस प्रकार से ये बदलाव दिख रहा हैं, सफल हो गया तो सिद्धार्थ त्रिपाठी व उनकी बनी इस टीम का इतिहास स्वर्णाक्षरों में लिखा जायेगा। तब तक के लिए विद्रोही24 की शुभकामनाएं, आप सभी स्वीकार करें। प्रणाम्।