राजनीति

चूंकि कोई गुजराती सेना में नहीं जाना चाहता, इसलिए गुजरातियों के उद्योगों में दरबानी कराने के लिए अग्निवीरों की बहाली हो रही और सूरत तो एक बानगी है कि देश में चुनाव नहीं होने देना हैः सुप्रियो

झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने आज प्रेस कांफ्रेस में कहा कि अब चुनाव आयोग के नाम की कोई चीज रह नहीं गई। सूरत की घटना तो यही कह रही है। उन्होंने कहा चंडीगढ़ वोट स्कैम के बाद एक नया वोट स्कैम सूरत लोकसभा सीट पर देखने को मिला। जहां 18 लाख मतदाताओं को साजिशपूर्वक वोट देने से वंचित कर दिया गया। जहां कांग्रेस के उम्मीदवार का नामांकन रद्द कर दिया गया और बाकी के उम्मीदवारों ने एक साथ नाम वापस ले लिया।

सुप्रियो ने कहा कि हालांकि पूर्व में भी निर्विरोध प्रत्याशी जीतते रहे हैं। 1952 में हजारीबाग में तत्कालीन रामगढ़ के राजा निर्विरोध चुनाव जीते थे। ऐसी परंपरा रही है। अब तक 30 ऐसे प्रत्याशी निर्विरोध जीतकर संसद में जाते रहे हैं। लेकिन कभी किसी ने अंगूली नहीं उठाई। लेकिन इस घटना के बाद वहां के स्थानीय अखबारों व मीडिया हाउसों ने जब वहां की रपट छापी तो कुछ अलग ही दृश्य देखने को मिला।

सुप्रियो ने कहा कि इस घटना में सूरत के जिलाधिकारी पर अन्यायपूर्वक दबाव डाला गया। वह भी तब जब कि प्रस्तावक के बार में सब कुछ स्पष्ट है कि प्रस्ताव का नाम वोटर लिस्ट और उसका भाग संख्या सही होना चाहिये, सिग्नेचर कोई मायने नहीं रखता। प्रस्तावक एक से ज्यादा प्रत्याशियों का भी प्रस्तावक हो सकता है। ये चुनाव आयोग का निर्देश है। पर वहां क्या हुआ? गुजरात का क्राइम ब्रांच, तीन प्रस्तावकों को जबरन उठाकर एफिडिविट कराया कि उनका सिग्नेचर नहीं है और इसी एफिडिविट के आधार पर कैंडिडेट का नाम रिजेक्ट कर दिया गया। जब प्रस्तावकों को प्रेस और पार्टी के लोग खोजने लगे तो पता चल रहा है कि सारे प्रस्तावक गायब हैं।

सुप्रियो ने कहा कि वहां बीएसपी के एक कैंडिडेट के फार्म हाउस पर गुजरात पुलिस के क्राइम ब्रांच ने छापा मारा। वह भी तब जबकि उनका मोबाइल बंद था। लोकेशन को लोकेट कर उन्हें उठाकर सूरत के अतिप्रतिष्ठित होटल ली मेरिडियन में सारी कवायदें पूरी कर दी गई। आज वहीं के सीएम यहां आये हुए हैं। मतलब सारी हया शर्म सब कुछ का इन सबने परित्याग कर दिया है।

उसी राज्य के पूर्व केन्द्रीय मंत्री रुपाला ने क्षत्रिय समाज के बारे में जिस भाषा का प्रयोग कर रहे हैं। उसी क्षत्रिय समाज से जुड़े भाजपा के एक कद्दावर नेता कल खूंटी में थे। खूंटी में उन्होंने अपनी पराजय को स्वीकार करते हुए कहा कि जिस पार्टी में बाबूलाल मरांडी और सुदेश महतो जैसे नेता हो, वहां अर्जुन मुंडा को हरा कौन सकता है? मतलब वे स्वीकार कर चुके हैं कि अर्जुन मुंडा चुनाव हार रहे हैं, क्योंकि पिछली बार 1445 वोटों से जीते थे। ऐसे भी अर्जुन मुंडा ने पूरे खूंटी को पिछले पांच वर्षों में उपेक्षित रखा। सिवाय पीएम मोदी को तीन दौरे के सिवा खूटी में हुआ ही क्या है? न तो औद्योगिक क्षेत्र बना और न ही स्पेशल इकोनोमिक जोन ही बना।

सुप्रियो ने कहा कि इनके नेता आजकल सिर्फ और सिर्फ क्षत्रियों को गाली दे रहे हैं। उन क्षत्रियों को जिनके नाम पर सेना में राजपूत राइफल्स है। मतलब साफ है कि हम जो पहले कह रहे थे, वो सही है कि देश में यह अंतिम चुनाव है। यह संविधान और लोकतंत्र बचाने का ही नहीं, अब तो देश के विभाजन को रोकने का भी चुनाव है। जिस प्रकार से देश में पीएम मोदी जिस भाषा का इस्तेमाल, धर्म और जाति का कर रहे हैं। ये झारखण्ड में नहीं चलेगा। यहां सभी जाति व धर्म के लोगों का सम्मान सर्वोपरि है। सूरत तो एक बानगी है। दूसरे चरण के चुनाव के बाद देश की स्थिति और भयावह होगी। इमरजेंसी से भी बदतर हालात होंगे। ईडी और सीबीआई का विपक्षी दलों का जुबान बंद करने के लिए इस्तेमाल होगा। ये अभी सिर्फ मटन, मछली, मंगलसूत्र और मुसलमान की बात कर रहे हैं, पर म से महंगाई भी होता है। इसे भूल जा रहे हैं।

सुप्रियो ने कहा कि गुजरात का बच्चा सेना में नहीं जाता. गुजराती सिर्फ उद्योग चलाना पसन्द करते हैं। इसलिए उनके उद्योगों में दरबानी करने के लिए चार साल वाली अग्निवीरों की बहाली हो रही है। मतलब अग्निवीर बनो। चार साल वहां ट्रेनिंग लो और गुजरातियों की दरबानी करो। जबकि क्षत्रिय व जाट का बच्चा का पहली पसन्द सेना होता है। झारखण्ड के आदिवासियों का पहला पसन्द सेना होता है। इसलिए ये फौज में भी आउटसोर्सिंग की बात ला रहे हैं। फौजी बाहर और अफसर अंदर। क्योंकि अफसर तो संपन्न घरों से आते हैं और सिपाही गरीबों के घर से।