भाजपा में भगदड़ की स्थिति, बड़े-बड़े नेता ही नहीं बल्कि एक प्रकोष्ठ ही समाप्त, सबकी पहली पसन्द बन रही झामुमो, राजनीतिक पंडितों ने कहा कि भाजपा की ऐसी दुर्दिन कभी नहीं देखी गई, उधर झामुमो के हौसले बुलंद
भाजपा में भगदड़ की स्थिति है। एक को इधर मनाया जा रहा है, दूसरा कब रुठ कर झामुमो का दामन पकड़ लेगा। इसकी थाह भी भाजपा के प्रदेश स्तरीय नेताओं को नहीं लग रही है। भाजपा में कहने को बैठक का दौर चल रहा हैं। लेकिन ये बैठक सिर्फ खानापूर्ति और उपर के नेताओं को दिखाने के लिए हो रही हैं। कोई किसी की नहीं सुन रहा। सभी अपने-अपने में मगन हैं। उधर झामुमो के हौसले बुलंद है, क्योंकि जो भी भाजपा नेता अपनी पार्टी से बगावत कर रहे हैं, उनकी पहली और अंतिम पसन्द झामुमो बन रही हैं और ये सभी भाजपा को हराने में जुट जाने को दृढ़संकल्पित होते जा रहे हैं।
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि भाजपा की ऐसी दुर्दिन कभी नहीं देखी गई। भाजपा इस बार दस से पन्द्रह सीट भी ले आये तो बड़ी गनीमत है। जरा देखिये आज ही की बात है कि रांची स्थित मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के आवास पर जाकर भाजपा नेता स्व. रीतलाल वर्मा के बेटे प्रणव वर्मा ने झामुमो का दामन थाम लिया। यही नहीं दारा हाजरा जो भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रवक्ता थे, उन्होंने भी भाजपा को बाय-बाय कर झामुमो का झंडा पकड़ लिया।
यही नहीं सूचना यह भी है कि आज ही भाजपा के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक अशेष बारला, बनमाली महतो प्रदेश सह संयोजक, अमित कुमार गुप्ता, प्रदेश सह संयोजक, मनोज कुमार जिला सह संयोजक हजारीबाग, विक्रांत गुप्ता, जिला संयोजक रामगढ़, अगस्त्या कुमार, जिला संयोजक चतरा, कुन्दन कुमार, जिला संयोजक कोडरमा, शशिकांत सिन्हा, जिला संयोजक हजारीबाग, रोहित हाजरा, जिला संयोजक गिरिडीह और रंथा महली पूर्व जिला परिषद, अनगड़ा (पश्चिमी), वर्तमान ग्राम प्रधान बेड़वारी गोंदली पोखर ने भाजपा से सदा के लिए नाता तोड़ दिया है।
स्थिति ऐसी है कि प्रदेश के जो बड़े-बड़े नेता विभिन्न सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं। उनकी भी स्थिति बहुत नाजुक हो गई हैं। उन्हें हराने के लिए उनके ही नेता कमर कस चुके हैं। कई नेताओं को मनाने में ये लोग सफल हो गये। लेकिन सच्चाई यह भी है कि कई ऐसे भी हैं, जो मानने से इनकार कर दिया। जो नहीं माने, वे इनके डीलिंग के चक्कर में नहीं आये।
राजनीतिक पंडित कहते हैं कि ऐसे में पीएम नरेन्द्र मोदी या गृह मंत्री अमित शाह ही क्या कर लेंगे। उधर भाजपा के ऐसे-ऐसे कार्यकर्ता जो बड़े पदों पर कभी भाजपा में तैनात थे। वे सोशल साइट पर अपने ही नेता की बैंड बजा रहे हैं। कई ऐसे हैं कि वे अपने ही प्रदेश के नेताओं को नया नाम दे दिया है और उस नये नाम से उनका बैंड बजाये जा रहे हैं। जिसमें उन्हें सफलता भी मिल रही हैं। लेकिन प्रदेश के भाजपा नेताओं को लगता है कि इससे उनका क्या हो जायेगा?
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि यही अहंकार भाजपा को सर्वनाश की ओर ले जा रहा है। ये सोच रहे है कि चम्पाई सोरेन उनका कोल्हान में बेड़ा पार कर देंगे और संथाल में सीता सोरेन उनकी नैया पार कर देंगी तो सच्चाई यह है कि दोनों ही क्षेत्रों में झामुमो ने भाजपा की ऐसी जबरदस्त किलाबंदी की हैं कि इस किलाबंदी से भाजपा प्रत्याशियों का निकलना मुश्किल है। स्वयं रघुवर दास की बहू जमशेदपुर पूर्व से अच्छी स्थिति में नहीं हैं और न ही जमशेदपुर पश्चिम में सरयू राय की स्थिति बेहतर कही जा रही है।