नियुक्ति के लिए आये अभ्यर्थियों ने किया हंगामा, सीएम रघुवर दास के खिलाफ लगाये नारे
रांची के खेलगांव में नौकरी के लिए आये बेरोजगार युवाओं का आखिरकार गुस्सा फूट ही पड़ा। वे आज इतने गुस्से में थे कि वे सीएम रघुवर दास के खिलाफ नारे लगाने लगे। उनका कहना था कि रोजगार देने के नाम पर राज्य सरकार उनकी भावनाओं से खेल रही है। न तो यहां खाने-पीने का इंतजाम है और न ही कोई ऐसी व्यवस्था, जिसे लेकर यहां पहुंचे बेरोजगार युवाओं को लगे कि सचमुच राज्य सरकार उनकी बेरोजगारी दूर करने के लिए चिंतित है। उनका कहना था यहां तो मजदूरों से भी कम वेतन दिलाने का काम राज्य सरकार कर रही है, वे लोग दो-तीन दिनों से यहां आये हुए हैं, पर नियुक्ति का कोई प्रारुप नजर नहीं आ रहा, जो भी कुछ दिख रहा है, वह केवल हवाबाजी है।
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एक ओर बेरोजगार युवा नाराज चल रहे हैं, दुसरी ओर राज्य सरकार एक बार फिर चौक-चौराहों पर बैनर-होर्डिंग के माध्यम से अपना प्रचार-प्रसार शुरु कर नियुक्ति दिलाने के नाम पर अपना पीठ थपथपा रही है। राज्य सरकार का कहना है कि स्वामी विवेकानन्द की जयंती पर झारखण्ड के 25 हजार युवाओं को नौकरी देने जा रही है, लेकिन युवाओं को सरकार के इस दावे पर भरोसा नहीं है।
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कई अभ्यर्थियों ने बताया कि वे कौशल विकास के तहत प्रशिक्षण प्राप्त कर नौकरी पाने के लिए यहा आ तो गये पर किस कंपनी में नौकरी मिलेगी, कितना वेतन मिलेगा, कौन सा पद मिलेगा? इसकी जानकारी नहीं दी जा रही। कई अभ्यर्थियों ने तो यहां तक कह दिया कि पहले नौकरी तो मिले, तब न फैसला करेंगे कि वहां जायेंगे या नहीं, अगर सुविधा होगी, लाभ प्राप्त होगा तो जायेंगे, नहीं तो पांच-सात हजार की नौकरी के लिए कोई दिल्ली क्यों जायेगा? कई अभ्यर्थी तो यहां तक कह रहे है कि हमें बोला गया कि रांची चलो, नौकरी मिलेगी तो आ गये, पर यहां आने से उन्हें लगता है कि कुछ फायदा नहीं होनेवाला, सिवाय नुकसान के। आश्चर्य इस बात की भी है कि जो सेंटर पर मौजूद हैं, उन्हें भी इस बारे में ठीक से जानकारी नहीं।
इधर कई अखबारों में कौशल विकास केन्द्र द्वारा लगाये जा रहे इस नियुक्ति पत्र मेला के बारे में जो जनता के सामने बातें रखी गई, उससे भी इस नियुक्ति पत्र में आये अभ्यर्थियों को संशय हो चुका है, कुल मिलाकर यह नियुक्ति पत्र मेला भी, कहीं मोमेंटम झारखण्ड की भेंट न चढ़ जाये, फिलहाल देखने से तो यहीं लग रहा।
रघुवर सरकार केवल विज्ञापन के भरोसे चल रही है