एक पत्रकार से इतना डर, कि उसे रोकने के लिए 28 दिसम्बर को CMO मुख्य द्वार पर दरबान बिठा दिये
आज एक बहुत ही विश्वसनीय मित्र का फोन आया, और वह विश्वसनीय मित्र ने जो बातें बताई, उन बातों को सुनकर मैं सन्न रह गया, क्या सचमुच कोई व्यक्ति या कोई अधिकारी इतना गिर सकता है, पर हुआ तो यही है। कुछ दिन पूर्व एक व्यक्ति ने यही बात बताई थी, तो मैंने उन बातों पर उतना ध्यान नही दिया, कि ये सब तो चलता ही रहता है, पर धीरे–धीरे ये बातें भारी संख्या में विभिन्न व्यक्तियों के द्वारा सुनने को मिली तो मैंने सोचा, क्यों न इसे आम जनमानस के बीच रख दूं।
सूत्र बताते है कि 28 दिसम्बर 2018 को हमेशा की तरह रांची स्थित मुख्यमंत्री आवास पर अपने होनहार मुख्यमंत्री रघुवर दास का चौथा राज्याभिषेक उत्सव कार्यक्रम का आयोजन हो रहा था। इस राज्याभिषेक उत्सव कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए हर अधिकारी इस प्रकार श्रम कर रहा था, जैसे एक परम भक्त भगवान के प्रति भक्ति दिखाता है।
इन्हीं अधिकारियों में सीएम रघुवर दास का एक परम भक्त बना तथा वर्तमान में सीएमओ में ही कार्यरत सूचना एवं जनसम्पर्क अधिकारी ने अपने मातहत काम कर रहे लोगों को एक काम सौंपा, कि देखो तुम लोग मुख्यमंत्री आवास के मुख्य द्वार पर रहोगे और जैसे ही कृष्ण बिहारी मिश्र को आता देखोगे, इसकी जानकारी सीएम हाउस की सुरक्षा में लगे सुरक्षा अधिकारियों और हमें अतिशीघ्र दोगे, ताकि कृष्ण बिहारी मिश्र को गेट के बाहर ही रोक दिया जाय और उन्हें इस कार्यक्रम में शामिल होने नहीं दिया जाय।
उक्त सीएम रघुवर दास के परम भक्त के इस आदेश को तो कइयों ने मानने से इनकार कर दिया पर कुछ लोग जो मानदेय और उस की कृपा से अपने घर चला रहे हैं, हार–थककर कोई विकल्प न सूझा देख, उक्त आदेश को मान लिया, पर ये क्या 28 दिसम्बर 2018 ऐसे ही बीत गया। कृष्ण बिहारी मिश्र तो आये नहीं, और मुख्यमंत्री रघुवर दास का चौथा राज्याभिषेक उत्सव कार्यक्रम निर्विघ्न संपन्न हो गया। सभी ने राहत की सांस ली। एक सुरक्षाकर्मी ने तो इसी पर दबे जबान से कह दिया कि भाई ये कृष्ण बिहारी मिश्र क्या बला है कि यहां का सूचना एवं जनसम्पर्क अधिकारी और सीएमओ इतना भय खा रहा है।
इधर इस बात की जानकारी कृष्ण बिहारी मिश्र को नहीं थी, पिछले तीन दिनों से ये समाचार उन्हें मिलनी शुरु हुई। दरअसल, 28 दिसम्बर 2018 को जिस दिन झारखण्ड के होनहार मुख्यमंत्री रघुवर दास का चौथा राज्याभिषेक उत्सव कार्यक्रम था, उक्त दिन कृष्ण बिहारी मिश्र रांची में नहीं थे, उनके बेटे का एक्सीडेंट हुआ था, वे इसलिए 26 दिसम्बर को ही अपनी पत्नी के साथ राजधानी एक्सप्रेस से दिल्ली चले गये थे, अगर रांची में रहते तो सीएम रघुवर दास के इस चौथे राज्याभिषेक उत्सव कार्यक्रम में जरुर पहुंचते, और सवाल भी दागते, क्योंकि कृष्ण बिहारी मिश्र सवाल दागने के लिए ही जाने जाते हैं, शायद यहीं डर उक्त अधिकारी के मन में भी था, जिसके लिए उसने इतना तेला–बेला मचाया।
सीएम रघुवर दास के चौथे राज्याभिषेक उत्सव कार्यक्रम में कृष्ण बिहारी मिश्र पहुंचेंगे, इस संबंध में एक चर्चा कृष्ण बिहारी मिश्र ने स्थानीय नवोदित एक पत्रकार से भी की थी, उक्त नवोदित पत्रकार ने कहा था कि सर आपके पास बाइक नहीं है, तो आप हमारी बाइक से चलेंगे, पर ये चलना क्या? ऐसी घटना घट गई कि रांची से ज्यादा कृष्ण बिहारी मिश्र को दिल्ली में रहना जरुरी था।
अब सवाल उठता है कि कोई पत्रकार, सीएम से सवाल न करें, अगर सवाल करें तो साष्टांग दंडवत् प्रणाम करता हुआ सवाल पूछे, ये किस पत्रकारीय पुस्तक या भारतीय संविधान में लिखा है। कोई पत्रकार क्या पूछेगा? ये भी निर्णय अब रांची सीएमओ में बैठे कनफूंकवे करेंगे? ये अलग बात है कि चौथे राज्याभिषेक उत्सव कार्यक्रम में कुछ पत्रकार ऐसे भी थे, जो सीएम के तख्तोताज की खुशी में शेरो–शायरी भी सुनाएं, पर क्या पत्रकार इसी के लिए बने हैं?
माफ करें, जो इस प्रकार की पत्रकारिता करता हैं, जो डायरी, कैलेंडर और भोज–भात में खुश होकर ही पत्रकारीय कार्य को संपन्न होना समझ लेता है, वो खुद समझे की, उसे क्या कहना चाहिए? हमें ऐसे लोगों और इस प्रकार की व्यूह रचना करनेवाले अधिकारियों पर तरस आती है कि आखिर ये कितने गिरेंगे, इनके गिरने का पैमाना क्या होगा? कृष्ण बिहारी मिश्र का इतना खौफ कि उसे कार्यक्रम में रोकने के लिए चौकीदार बैठा दिये गये। राम–राम, राम–राम। हे ईश्वर, ऐसे लोगों को बुद्धि दो, क्योंकि वे नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं? ऐसे लोगों के लिए तो कृष्ण बिहारी मिश्र की ओर से क्षमा ही क्षमा है।
उसका ही दुर्भाग्य है ,
संतो का दर्शन दुष्ट कुटिल नही पाते,अन्यथा उनका भाग्य साथ ही रहेगा,,और इनका दूर जाने वाला है।
जय जय नारायण