अपनी बात

तो क्या सचमुच रांची प्रेस क्लब के कुछ सदस्यों ने इसे स्वीकारा है कि मीडिया कप क्रिकेट के नाम पर क्लब के लोग वसूली करते हैं?

रांची प्रेस क्लब के एक पूर्व के अधिकारी अखिलेश कुमार सिंह का एक पत्र पत्रकारों के बीच खुब वायरल हो रहा है। यह वायरल पत्र कुछ पत्रकारों ने विद्रोही24 तक पहुंचाई है। यह पत्र अखिलेश कुमार सिंह द्वारा रांची प्रेस क्लब के अध्यक्ष संजय मिश्र को लिखी गई है, जो वर्तमान में जमशेदपुर से प्रकाशित प्रभात खबर के संपादक है। इस पत्र को लिखा तो अखिलेश कुमार सिंह ने हैं, पर इसका समर्थन अन्य पत्रकारों ने भी किया है, जिसे उस पत्र में किये हस्ताक्षरों से समझा जा सकता है।

पत्र में लिखा गया है कि, द रांची प्रेस क्लब द्वारा हर साल की भांति मीडिया कप क्रिकेट का आयोजन किया जा रहा है। यह सुखद है कि टाटा जैसी बड़ी कारपोरेट कंपनी इस कप को प्रायोजित कर रही है। अखिलेश ने जोर देकर इस बात को लिखा है कि संजय मिश्र ने आयोजन से जुड़े बैठक के दौरान फोन व कमेटी की सभी व्हाट्सएप्प ग्रुप में सूचना दी कि दस सदस्यों ने टाटा को ई-मेल कर बताया है कि मीडिया क्लब के नाम पर वसूली हुई है। अखिलेश ने आगे लिखा है कि इस तरह का आरोप लगाना व क्लब की प्रतिष्ठा हनन का यह मामला काफी गंभीर है।

अखिलेश ने पत्र में इस बात का भी जिक्र किया है टाटा को इ-मेल भेजनेवाले सदस्यों को चिह्नित कर कठोर कार्रवाई की जाये, जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक सभी 1100 सदस्यों की भूमिका सवालों के घेरे में हैं। यह स्पष्ट होना चाहिए कि कि दोषी कौन है? प्रेस क्लब की प्रतिष्ठा को धूमिल करनेवाले पर कार्रवाई हो।

हालांकि अखिलेश कुमार सिंह रांची प्रेस क्लब में पूर्व में एक सम्मानित पद को सुशोभित कर चुके हैं, और इस बात की जानकारी उन्हें भी हैं, कि इस प्रकार के पत्र का क्या हश्र होता है? क्योंकि इसी रांची प्रेस क्लब में, पूर्व में कई सदस्य व अधिकारी ऐसे रहे हैं जिन्होंने रांची प्रेस क्लब में कितने चार चांद लगाये हैं, और उन चार चांद लगानेवाले महाशयों के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई, ये सर्वविदित है।

हाल ही में, अभी महीने भी नहीं बीते है कि रांची प्रेस क्लब के अधिकारियों के बीच ही एक गरमागरम मुद्दा छाया रहा, लगा कि अब फैसला हो जायेगा, तुरन्त फैसला हो जायेगा, पर किसी की हिम्मत नहीं कि उस मामले में फैसला कर दें, क्योंकि सभी को सभी की हैसियत/औकात मालूम हैं, पर कुछ न कुछ करते रहना है, विवादों में रहना हैं, शायद रांची प्रेस क्लब की ये नियति बन चुकी है।

One thought on “तो क्या सचमुच रांची प्रेस क्लब के कुछ सदस्यों ने इसे स्वीकारा है कि मीडिया कप क्रिकेट के नाम पर क्लब के लोग वसूली करते हैं?

  • पैंट T शर्ट जूता के लिए ज्यादातर खिलाड़ी बन जाते है ।
    कुछ तो खिलाड़ी है मगर अधिकांश चमचा गिरी कर कपड़ा ले कर चम्पत हो जाते है ।
    यकीन ना हो तो मैच के दरम्यान देखा जा सकता है। 500 रुपये में बुरा सौदा नही है ।

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