राजनीति

तो क्या प्रवर्तन निदेशालय व केन्द्र में बैठी भाजपा सरकार अपने नेता व राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को बचाने में लगी है?

सरयू राय के ट्विट को देखिये तो ऐसा ही लगता है कि प्रवर्तन निदेशालय व केन्द्र में बैठी भाजपा सरकार अपने नेता व राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को बचाने में लगी है, नहीं तो जिस भ्रष्टाचार मामले में राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को समन भेजा चुका हैं, वहीं समन राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को क्यों नहीं भेजा जा रहा? ये सवाल है निर्दलीय विधायक सरयू राय का, जो ट्विट के माध्यम से बार-बार पूछ रहे हैं।

जरा सरयू राय का पहला ट्विट देखिये – ‘प्रवर्तन निदेशालय ने झारखण्ड के भ्रष्टाचार मामले में दो चार्जशीट न्यायालय में दाखिल किया है। एक पूजा सिंघल और दूसरा पंकज मिश्रा में। दोनों चार्जशीट बताते हैं कि भ्रष्टाचार और अवैध कमाई 2020-22 के बीच हेमन्त सोरेन सरकार से कई गुणा अधिक 2015-19 के बीच रघुवर सरकार में हुई हैं।’

अब सरयू राय का दूसरा ट्विट देखिये – ‘पूजा सिंघल मामले में तो पूरी काली कमाई 2013-19 के बीच हुई हैं। पंकज मिश्रा मामले में पीरपैंती से बिना चालान रेलवे रैक से दो तिहाई काली कमाई 2015-19 के बीच हुई है। चार्जशीट दे दिया तो प्रवर्तन निदेशालय कार्रवाई भी करें। 3आर से पूछताछ करें। केन्द्र की भाजपा और राज्य भाजपा के लोग संज्ञान लें। भ्रष्टाचार पर कार्रवाई करें।’

सरयू राय की ये दोनों ट्विटें बताने के लिए काफी हैं कि उनका इशारा किस ओर हैं। थ्री आर लिखकर उन्होंने साफ कह दिया कि वे कहना क्या चाह रहे हैं। उनका इशारा रघुवर दास, राजबाला और राकेश चौधरी की ओर है, पर पता नहीं क्यों प्रवर्तन निदेशालय इस ओर ध्यान नहीं दे रही, अभी प्रवर्तन निदेशालय का ध्यान सिर्फ और सिर्फ राज्य सरकार की ओर ही हैं।

इधर राजनीतिक पंडितों का कहना कि कुछ न कुछ तो घालमेल हैं, खनन लीज मामले में एक आंख में सूरमा और दूसरे आंख में काजल नहीं चलेगा। आखिर प्रवर्तन निदेशालय और केन्द्र सरकार को इस मामले में जनता की अदालत में जवाब देना ही होगा। नहीं तो माना जायेगा कि प्रवर्तन निदेशालय ने वर्तमान मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन पर कार्रवाई करने की धृष्टता की पर पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास तथा उनके शासनकाल में इस घटना में शामिल लोगों पर कृपा लुटाई।