सोशल साइट EX-CM रघुवर का और छा गये CM हेमन्त सोरेन, जनता ने जमकर खिल्ली उड़ाई रघुवर दास का
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के लिए इससे बड़े शर्म की बात और क्या होगी, कि जिस योजना को लेकर वे बड़े-बड़े दावे करते थे। अखबारों व चैनलों में अपनी पीठ थपथपवाया करते थे। चुनाव के समय बड़े-बड़े विज्ञापन निकलवाया करते थे। उस योजना को निरस्त कर दिये जाने के बाद भी उनका समर्थन करने के लिए लोगों का टोटा पड़ा हुआ है, जबकि राज्य की बहुतायत जनता ने हेमन्त सरकार के इस निर्णय को सराहा है।
आश्चर्य इस बात की है, कि स्वयं रघुवर दास ने अपने सोशल साइट पर हेमन्त सरकार के इस निर्णय की कड़ी निन्दा की है, पर झारखण्ड की ज्यादातर जनता हेमन्त सरकार के साथ है, और इसका दावा कर रहा हैं, स्वयं रघुवर दास का सोशल साइट, जहां रघुवर दास को छा जाना था, उस सोशल साइट पर हेमन्त सोरेन छाये हुए हैं। जिसमें आम जनता रघुवर दास को ही कटघरे में खड़ी कर रही है, जिसका जवाब न तो रघुवर दास के पास है और न ही उनके मुट्ठी भर समर्थकों के पास।
सूत्र बता रहे हैं कि जैसे ही राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने तत्काल प्रभाव से पूरे राज्य में महिलाओं के नाम पर एक रुपये में जमीन की रजिस्ट्री बंद करवाई, लोगों में हर्ष की लहर दौड़ गई। लोगों का यह कहना था कि जो व्यक्ति लाखों का जमीन खरीद सकता है, क्या वह इस जमीन के बदले राज्य सरकार को एक छोटी सी राशि राजस्व के रुप में नहीं दे सकता? लोग इसी को लेकर गुस्से में है, और आज भी पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के इस निर्णय से खफा है और उनसे सवाल पूछ रहे है कि आखिर ये बेतूका काम उन्होंने क्यों किया?
कमाल है अब से 23 घंटे पूर्व किये गये पोस्ट में पूर्व सीएम रघुवर दास ने हेमन्त सरकार को महिला विरोधी बताया है, जबकि जनता ने रघुवर दास की उन्हीं के पोस्ट पर जमकर खिंचाई कर दी है। अमन कुमार कहते है कि गरीब आदमी जमीन नहीं परचेंजिंग करता है साहेब। एस केडी कहते है कि पूर्ण रुप से सरकार द्वारा लिया गया सही निर्णय। सरकार को राजस्व की क्षति के कारण कर्मचारियों पर वेतन की आफत भी आ पड़ी थी। पहले सिर्फ जमीन दलालों को फायदा होता रहा। अगर कोई पचास लाख की जमीन ले सकता है, तो क्या उसका कुछ लाख रुपया रजिस्ट्री फ्री नहीं दे सकता। ये गरीबों की नहीं, अमीरों की योजना थी।
इफ्तखारुल हक कहते है कि और जो अपने कार्यकाल में महिला प्रदर्शनकारियों को जो पिटवाये थे, वो क्या था महिलाओं का सम्मान। आर बी राम कहते है कि रजिस्ट्री एक रुपये में और घुस दस हजार फायदा? मो. रिजवान कहते है कि आपने क्या किया, नहीं किया, इसका जवाब तो सरयू राय ने आपको दे दिये हैं। निखिल कुमार कहते है कि हम खतियानी लोग है साहब, हमें जमीन की रजिस्ट्री की आवश्यकता नहीं। यह गोरखधंधा (पूर्व सीएम रघुवर दास के लिए आपत्तिजनक शब्द का प्रयोग) के द्वारा बाहरियों को झारखण्ड में बसाने के लिए की गई थी।
आजाद रजा कहते है कि आपने महिला उत्पीड़न करनेवालों को राजनीतिक संरक्षण प्रदान किया। मुकदमा वापसी, पार्टी टिकट, चुनाव प्रचार में आये, उसके छोटे-बड़े कार्यक्रम में शामिल होने का कुत्सित प्रयास किया, आप अगर हेमन्त सरकार को महिला विरोधी कहें, तो आश्चर्य होता है। रवि रंजन कहते है कि क्यू सर, पचास लाखवालों से कोई टैक्स क्यों नहीं? दीपक केसरी कहते है कि लाठी चार्ज फिर क्यों हुआ, गरीब महिला पर। अमीरों की महिलाओं को फायदा हो रहा था।
महादेव मुर्मू कहते है कि महिलाओं के इम्पावरमेन्ट के और भी कई रास्ते है सर, लेकिन एक रुपये में पचास लाख की सम्पति का निबंधन कही से भी उचित नहीं है, क्योंकि जिनके पास लाखों की संपत्ति है, उनके लिए कुछ हजार रुपये देना मुश्किल नहीं है। तूहिन बनर्जी कहते है कि सर आप को बोले थे ना रेस्ट करो। इट इज भेरी गुड डिसीजन बाइ द गवर्नमेंट। इट वाज ए माल प्रैक्टिस जुमला फोर रजिस्ट्री ऑफिस। नॉट ए सिंगल पूअर वीमेन गेट दिस बिनिफ्टस। ऑल द रिच मेन पर्चेज द प्रापर्टी।
रामदयाल महतो कहते है कि जमीन खरीदारी कौन करता है गरीब या अमीर? अमीर वर्ग को लाभ पहुंचे का था, अच्छा हुआ झारखण्ड सरकार ने बंद कर दिया। अरविन्द पासवान कहते है कि आपकी करनी सब को पता चला और बीजेपी के साथ झारखण्ड को भी डूबा दिया, तभी श्वेत पत्र जारी करने की नौबत आई। अनूप बोस कहते है कि जो किया ठीक किया, जो आदमी जमीन खऱीद सकता है, जमीन लेने के लिए घूस दे सकता है, वो आदमी हमारी राज्य सरकार का जमीन के रजिस्ट्री नहीं करा सकता।
मुकेश कुमार कहते है कि जिस महिला के पास पचास लाख रुपये की संपत्ति हो, वो पहले से सशक्त और समृद्ध है, ये केवल ब्लैक मनी को वाइट मनी करने के लिए चलाई गई स्कीम थी। जो खुद अधिकारियों ने तैयार की थी, अगर चचा खुद से कोई स्कीम लाते तो न सरकार जानती और न चचा की कुर्सी। पिंटू गिन्नी चौबे कहते है कि आपने जो बर्बाद किया, उसका भरपाई में अभी दस साल लगेगा झारखण्ड को उबरने में। आपका मंशा कुछ और ही था, कैसे हम झारखण्डियों को बर्बाद करना है और बाहरियों को आबाद करना है।
रंजीत राय कहते है कि महिलाओ को छूट दिए अच्छी बात थी लेकिन सरकार का राजस्व का नुकसान कर दिए न। जो महिला लाखो करोड़ो का जमीन खरीद सकती है वो मामूली सा निबंधन शुल्क नहीं दे सकती है क्या। चाचा जी अभी लगभग महिलाओं ने छूट ले लिया है। अब इस स्कीम को बंद कर के सरकार को राजस्व वसूली कर लेने दीजिये। नही तो राज्य की आर्थिक स्थिति खराब हो जाएगी।
इनायत अली कहते है कि हेमन्त सरकार का उचित कदम है। महिलाओं के नाम पर भूमाफियाओ को राज्य के राजस्व के लूट की छूट अब और नहीं दी जा सकती है। मनीष कुमार कहते है कि ये नेताओं और अधिकारियों के पत्नी के लिए था। रमेश प्रसाद यादव कहते है कि क्या कोई भी गरीब कभी अपने जिंदगी में पचास लाख का जमीन खरीद सकता है। महेश कुमार कहते है कि सही किया है झारखण्ड सरकार ने अमीर उदयोगपति, डाक्टर की पत्नी ही लाभ ले रही थी।
आश्चर्य है कि भाजपा और संघ के कट्टर समर्थक भी हेमन्त सरकार के इस निर्णय के साथ है। एक संघ के स्वयंसेवक ने तो फेसबुक में साफ लिख दिया – “झारखण्ड सरकार का साहसिक निर्णय। झारखण्डी स्मिता के संरक्षण हेतु यह कानून का जाना उचित ही था।” जितेन्द्र पाठक तो साफ लिखते है कि “झारखण्ड में एक रुपये में महिलाओं के जमीन की रजिस्ट्री बंद हो गई। अच्छा हुआ। जो टीवी खरीद सकते हैं, उनको मुफ्त में स्टेबलाइजर देने का कोई सार्थक मतलब नहीं है।”