भाजपाइयों से आग्रह, अपनी क्षुद्र राजनीतिक स्वार्थ के लिए बच्चों के भविष्य से मत खेले, उन्हें अपना शिकार न बनाएं
इन दिनों देखने को मिल रहा है, कि बड़ी संख्या में भाजपा वाले बच्चों को पार्टी का झंडा हाथ में थमा दे रहे हैं। यहीं नहीं बच्चों के माथे पर पार्टी की टोपी तो गले में पार्टी का पट्टा भी डालने से परहेज नहीं कर रहे, चूंकि बच्चे तो बच्चे हैं, उन्हें सही-गलत का अंदाजा होता नहीं, वे किसी की भी बातों तथा इन रंग-बिरंगे झंडों व पट्टों में जल्द उलझ जाते हैं और फिर इनका भावनात्मक शोषण इन दलों द्वारा शुरु हो जाता है।
आम-तौर पर यही बच्चें किसी दुकान या किसी प्रतिष्ठान में काम करते नजर आ जाये और कोई व्यक्ति इसकी शिकायत श्रम विभाग या बाल कल्याण समिति या बाल अधिकार संरक्षण आयोग से कर दें तो फिर देखिये ये लोग कैसे-कैसे तिकड़मी कानून का सहारा लेकर, उस दुकान या प्रतिष्ठान के मालिक का कबाड़ा निकाल देते हैं।
अगर अखबार या चैनलवालों की इन पर नजर पड़ जाये तो लीजिये, ये हाय-तौबा मचाने से भी पीछे नहीं हटेंगे, पर जब एक सत्तारुढ़ दल बच्चों से अपना प्रचार कराने लगे, उनके गले में अपने पार्टी का पट्टा डालने लगे, उन्हें अपनी टोपी पहनाने लगे, उनसे अपना झंडा ढुलवाने लगे, उनसे प्रचार कराने लगे तब इनकी आंखे, कैमरे, कमल व बूम वो कमाल नहीं दिखाती, जो व्यवसायिक प्रतिष्ठान में काम कर रहे बच्चों पर दिखाई दे जाती है।
अगर एक सामान्य शिक्षक इन बच्चों से स्कूल की सफाई करवाने लग जाये, तो फिर देखिये ये हाय-तौबा मचायेंगे और जब पार्टी की बात आयेगी, उनके झंडे ढोने की बात आयेगी, बच्चों को पार्टी का पट्टा गले में बांधने की बात आयेगी तो इन सब का मुंह सील जायेगा। अब तो इन बच्चों से नेताजी का अभिनन्दन करवाने का भी समय आ गया है।
हाल ही में गिरिडीह में जब मुख्यमंत्री रघुवर दास गिरिडीह के दौरे पर थे, तो कुछ स्कूली बच्चों को उनका अभिनन्दन करने के लिए सड़कों पर पंक्तिबद्ध खड़ा कर दिया गया था, बाद में वहां के उपायुक्त ने विद्यालय व भाजपा नेताओं पर एक्शन लेने का ड्रामा भी किया, पर हुआ क्या? कुछ नहीं।
यानी ये सब चीजें बताती है कि हमारे देश व हमारे राज्य में किस प्रकार कानून की धज्जियां उड़ाई जाती है, और कैसे हमारे नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जाता है, कहने को तो अपने यहां बाल अधिकार संरक्षण आयोग और बाल कल्याण समिति उनके हितों के लिए काम कर रहा हैं, पर वह भी शुद्ध रुप से राजनीति का शिकार हैं।
ऐसे भी जो व्यक्ति सीएम रघुवर व भाजपा की कृपा पर उस आयोग का अध्यक्ष या वरीय पदाधिकारी बना हैं, भला अपने आका व पार्टी के खिलाफ कैसे जायेगा? वह तो एक्शन उस पार्टी के खिलाफ लेगा, जो सीएम रघुवर और भाजपा के गलत नीतियों का विरोध करता है। अब ऐसे में, जहां ऐसी सोच पलती हैं, उस राज्य के बच्चों का तो भगवान ही मालिक है न।