रांची के कुछ पत्रकारों ने भी 1932 के खतियान का समर्थन किया, विधानसभा परिसर में तख्ती लेकर फोटो खिंचाई, ट्विट भी किया
11 नवम्बर को झारखण्ड विधानसभा में राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन जब 1932 के खतियान से संबंधित विधेयक पेश कर रहे होंगे तो शायद उन्हें इस बात का ऐहसास नहीं होगा कि सदन के बाहर, कई पत्रकार भी 1932 के खतियान को लेकर खुशियां मना रहे होंगे, 1932 के खतियान संबंधी तख्ती को लेकर फोटो खींचा, उसे अपने ट्विटर पर डाल रहे होंगे, पर हुआ ऐसा ही।
रांची के एक प्रतिष्ठित पत्रकार व कई एनजीओ व अन्य संगठनों से राजकीय स्तर पर सम्मानित, राज्य के सभी राजनीतिक दलों व सरकार के मंत्रियों/प्रशासनिक अधिकारियों के बीच बेहद लोकप्रिय व शैक्षिक-नौकरी के लिए संघर्ष करनेवाले युवाओं के दिलों में बसनेवाले तथा सभी पत्रकारों में अत्यंत प्रतिभाशाली पत्रकार सन्नी शारद ने 1932 के खतियान की तख्ती लेकर मुस्कुराते हुए इसे ट्विट किया, जिसका एक-दो को छोड़कर सभी ने समर्थन किया। फिलहाल ये इस विषय को लेकर चर्चा के विषय भी बने हैं।
कई आदिवासी/मूलवासी संगठनों ने भी इनकी इस सोच की भूरि-भूरि प्रशंसा की तथा इनकी निडरता व व्यवहार कुशलता की सराहना की। कई पत्रकारों ने सन्नी शारद के इस बेहतरीन सोच के लिए उन्हें शुभकामनाएं भी दी तथा मुख्यमंत्री व झारखण्ड विधानसभाध्यक्ष से उन्हें इस मुद्दे पर सम्मानित करने का भी अनुरोध किया, ताकि 1932 के खतियान को पूरे राज्य में लागू करनेवालों तथा उनका समर्थन करनेवालों की संख्या दिनानुदिन बढ़ सकें।
राजनीतिक पंडित कहते हैं कि जब मंडल आयोग लागू हुआ था, तो उस समय भी कई पटना के कई पत्रकार खुलकर मंडल आयोग के सिफारिशों के लागू करने का समर्थन किये थे, ऐसे में सन्नी शारद द्वारा 1932 के खतियान का समर्थन करना भी कहीं से उन्हें गलत नहीं दिखता।
जीवन मे कुछ विषय स्वार्थ से ओतप्रोत होते है, तथा कुछ समाजिक सरोकार से। पत्रकार भी एक व्यक्ति होता है उसकी निजी सोँच उसके विधा को कभी कभी दमन कर देती है ।
सन्नी के इस उन्मुक्त प्रदर्शन हेतू , सराहना होनी चाहिए ,अपनी आत्मा और विचारों का किसी भी स्थिति में मरना नही चाहिए।