कही रामकथा, कही सुंदर कांड तो कही दुर्गासप्तशती के मंत्रों से सर्वत्र गुंजायमान है रांची का छोटा सा ब्रह्मांड
कोरोना, सुंदर कांड, दुर्गासप्तशती, रामकथा, ब्रह्मांडकोरोना ने गजब ढाया है। भक्ति पर भी उसने अपनी ओर से अंकुश लगाने का कम प्रयास नहीं किया। राज्य सरकार भी कोरोना से इतनी डरी है कि फिर से इसकी आहट न सुनाई दे जाये, इसके लिए वो अपना प्रशासनिक दंड का इस्तेमाल कर रही है। इस बार पुलिसिंग भी अच्छी की गई है, ये अलग बात है कि जिन्हें गलत करना हैं, वे इस बेहतर पुलिसिंग में भी कुछ न कुछ गलत कर ही डालते हैं।
हां हम इधर बात कर रहे हैं, रांची के भक्तिमय माहौल की। सुबह हो या शाम…, दिन हो या रात… फिलहाल रांची की छटा देखते बन रही है। विभिन्न दुर्गा पंडालों, विभिन्न दुर्गामंदिरों, तथा जिन मंदिरों में श्रीराम हनुमान सहित अपने परिवार के साथ विराजे हुए हैं, उन मंदिरों की बात ही निराली है। यहां कही सुंदर कांड तो कही श्रीरामचरितमानस की नवाह्ण परायण बहुत ही भक्तिभाव से चल रहा है। कई घरों में नवरात्र के अवसर पर भक्तों ने भगवती को अपने घर ही आमंत्रित कर लिया हैं, जिनकी आराधना दुर्गासप्तशती के मंत्रों से चल रही है।
कल महासप्तमी के दिन, मुझे बूटी मोड़ जाना हुआ, ज्ञातव्य है कि पूरे रांची में धन्वन्तरि जी की मंदिर एक ही जगह है, वो है सूर्यमुखी दिनेश आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में, जहां सुन्दर कांड का पाठ चल रहा था, बड़ी संख्या में नवरात्र के अवसर पर लोग यहां सुंदरकांड पाठ का आनन्द ले रहे थे, तथा गायकों की मंडली भी अपने सुर-साधना से भक्तों को भाव-विह्वल कर रही थी, जो आकर्षण का केन्द्र था।
मंदिर की सज्जा ऐसी थी, जैसे लगता था कि भगवान अभी प्रतिमा से निकल, भक्तों के बीच आकर स्वयं भी ब्रह्मानन्द में लीन हो जायेंगे। सचमुच ऐसे भाव व सुंदर दृश्य कभी-कभी ही दिखाई पड़ते हैं। रांची की जनता इस कोरोना काल में भक्ति में लीन है, हमें लगता है कि भगवान भक्त की पुकार जरुर सुनेंगे और ये कोरोना काल भी भूतकाल के गर्भ में समा जायेगा।