साहेबगंज के SP, DIG, IG व अन्य पुलिसकर्मी, संथाल में पंकज मिश्रा के लठैत के रुप में काम कर रहे हैं – बाबू लाल
नेता प्रतिपक्ष के लिए झारखण्ड विधानसभा में संघर्ष कर रहे, राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी ने भाजपा प्रदेश मुख्यालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि रुपा तिर्की मामले में राज्य सरकार को जल्द निर्णय लेना चाहिए और इसकी जांच सीबीआई से कराने का फैसला ले लेना चाहिए, क्योंकि रुपा तिर्की के परिवार ही नहीं, बल्कि पूरा आदिवासी समुदाय, संथाल परगना के लोग इस कांड की जांच सीबीआई से कराना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें राज्य की पुलिस पर अब भरोसा नहीं रहा।
बाबू लाल मरांडी ने कहा कि उन्हें आश्चर्य हो रहा है कि जब रुपा तिर्की की मौत की खबर आई, तो उनके परिवार के लोग साहेबगंज पहुंचे थे, और इस संबंध में लिखित शिकायत स्थानीय थाने व एसएसपी को सुपूर्द किया था, जिसमें उन लोगों ने पंकज मिश्रा का भी जिक्र किया था, पर प्राथमिकी से पंकज मिश्रा का नाम ही गायब कर दिया गया, जबकि सभी जानते है कि पंकज मिश्रा राज्य के मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि है, आश्चर्य यह भी है कि जब एसपी ने प्रेस रिलीज जारी किया, तो उसमें पंकज मिश्रा का नाम तक नहीं था। बाबू लाल मरांडी ने कहा कि प्राथमिकी में पंकज मिश्रा का नाम नहीं होना और उससे पूछताछ नहीं होना ही सारे संदेह को जन्म देता है।
बाबू लाल मरांडी ने कहा कि पंकज मिश्रा कितना प्रभावशाली आदमी है, वो इसी से पता चलता है कि बरहहवा में नगर परिषद के टोल कलेक्शन के लिए जब बोली लगनी थी, पंकज मिश्रा ने डीएसपी प्रमोद मिश्रा को कहकर बरहरवा जाने के रास्ते पर ही रोक लगा थी, फिर भी शंभू भगत वहां पहुंच ही गया, बाद में उसने पंकज मिश्रा के खिलाफ थाने में केस भी किया, दो-तीन दिनों में ही पंकज मिश्रा को जांच से ही मुक्त कर दिया गया। लोकायुक्त को पत्र लिखा, फिर भी कुछ नहीं हुआ।
बाबू लाल मरांडी ने अंकुश और सब-इंस्पेक्टर के बीच चल रही बातों से संबंधित वायरल वीडियो की चर्चा करते हुए कहा कि इस बातचीत से भी पता लग जाता है कि राज्य के हालात क्या है? उन्होंने कहा कि जानकारी मिली है कि पूरे संथाल परगना को एक तरह से गैंग बनाकर लूट की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। खुलकर प्राकृतिक संपदा की लूट मची है। दो घाटों से जमकर अवैध खनन की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है, आश्चर्य हो रहा है कि इसका विरोध उन्हीं के पार्टी के एक वरिष्ठ नेता लोबिन हेम्ब्रम ने सदन में उठाया, पर उनकी बातों को भी अनसुनी कर दी गई।
उन्होंने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से कहा कि उनके शासनकाल में भी एक घटना घटी थी, निरसा के एक राजनीतिज्ञ की हत्या हो गई थी, लोगों ने कहा कि इसकी सीबीआई जांच कराई जाये, हमने जांच के आदेश दिये थे। उन्होंने यह भी कहा महेन्द्र सिंह की हत्या होने के बाद, इनकी हत्या की भी जांच सीबीआई से कराने की बात उठी थी, जिसकी मांग हमने तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा से की, और उन्होंने इस मांग को स्वीकार कर लिया। ऐसे में अगर रुपा तिर्की के परिवार के लोग, पूरा आदिवासी समुदाय एवं झारखण्ड के समस्त नागरिक रुपा तिर्की के हत्याकांड की जांच सीबीआई से कराने की मांग कर रहे हैं, तो सरकार को इसमें क्यों दिक्कत आ रही हैं, जल्द से उन्हें ये आदेश देकर, सबकी मुंह बंद कर देनी चाहिए।
बाबू लाल मरांडी ने यह भी कहा कि साहेबगंज इलाके में वहां के एसपी, डीआइजी, आइजी सभी पंकज मिश्रा के लठैत के रुप में काम कर रहे हैं, ऐसे में रुपा तिर्की के परिवारवालों को न्याय कैसे मिलेगा? सरकार को समझना चाहिए कि जितना न्याय करना जरुरी है, उतना ही है कि लोगों को न्याय हुआ यह दिखना भी चाहिए, साथ ही लोगों को भरोसा भी होना चाहिए, जो फिलहाल दिख नहीं रहा।